हरियाणा। दो दिनों के लिए आपको परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। कारण है दो दिन देशभर के पेट्रोल पंपों पर हो सकती है पेट्रोल डीजल की किल्लत। पेट्रोल पंप डीलर पेट्रो कंपनियों से पेट्रो पदार्थ नहीं खरीदेंगे। मंगलवार- बुधवार यानि 31 मई और एक जून को 24 राज्यों के पेट्रोल पंप डीलर नो परचेज कैंपेन में शामिल होंगे। इस कारण कोई भी डीलर इस दिन तेल विपणन कंपनियों (OMCS) से पेट्रोल और डीजल नहीं खरीदेगा।
यह विरोध पेट्रोल डीजल पर उनका कमीशन बढ़ाने की मांग को लेकर है। इसमें पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, दिल्ली, गुजरात, बिहार, तेलंगाना समेत अन्य राज्यों के पेट्रोल डीलर शामिल होंगे। डीलर्स का कहना है कि यह पेट्रो कंपनियों के विरोध में है, क्योंकि वह प्राविधान के मुताबिक कमीशन नहीं बढ़ा रही है। 2017 से यह बढ़ोत्तरी नहीं हुई है। बिजली के खर्च, वेतन और तेल के दाम काफी बढ़ गए हैं। पंपों से उड़ने वाले तेल का खर्च भी बढ़ा है। उनके मुताबिक कोशिश होगी कि आम उपभोक्ताओं को इससे ज्यादा मुश्किल न हो, लेकिन यह करने का निर्णय इसलिए लेना पड़ा ताकि कंपनियां उनकी बातों को सुने।
क्या है विरोध के पीछे का कारण
उनका कहना है कि डीलर कमीशन- 2017 में, केंद्र सरकार ने हमें हमारे डीलर कमीशन में एक प्राविधान किया था। ओएमसी और डीलर संघों के बीच एक समझौता हुआ कि डीलर मार्जिन को हर छह महीने में संशोधित किया जाएगा। हालांकि, 2017 के बाद से इसे संशोधित नहीं किया गया है।
क्यों उठी है मांग
2017 के बाद से ईंधन की कीमतें लगभग दोगुनी हो गई हैं, इसलिए कार्यशील पूंजी कारोबार दोगुना हो गया है, जिससे अतिरिक्त ऋण और उसके बाद बैंक हित बढ़े हैं। वाष्पीकरण हानियों में आनुपातिक रूप से वृद्धि हुई है। डीलर कमीशन अनिवार्य रूप से हमारे वेतन, बिजली बिल, बैंक शुल्क आदि जैसे खर्चों की प्रतिपूर्ति है जो पिछले पांच वर्षों के दौरान कई गुना बढ़ गया है। डीलर्स के मुताबिक कमीशन को संशोधित करने की उनकी मांग को ओएमसी द्वारा अनदेखा कर दिया गया है, ऐसा करके ओएमसी अपने स्वयं के नेटवर्क को आर्थिक रूप से अव्यवहारिक बना रहे हैं।
उत्पाद शुल्क में कटौती – डीलर संघों को दी गई राहत का स्वागत है
केंद्र सरकार द्वारा देश के नागरिक को राहत देने के लिए पेट्रोल और डीजल की कीमतों के उत्पाद शुल्क में भारी कटौती की, उससे भी पेट्रोल पंप संचालकों को भारी झटका लगा। इन अचानक कटौती से कंपनी को भारी वित्तीय नुकसान हुआ है। पिछले छह महीनों में केंद्र सरकार व राज्यों ने दो बड़ी कटौती की घोषणा की है। उत्पाद शुल्क (4.11.2021 और 21.05.2022 को) इसमें पेट्रोल पंप पर 13 रुपये लीटर और डीजल पर 16/लीटर की कटौती की है। जून 2017 के बाद से जब गतिशील मूल्य निर्धारण तंत्र (डीपीएम) लागू किया गया था, उत्पाद शुल्क को आठ बार संशोधित किया गया है, इनमें से पांच गुना उत्पाद शुल्क में कमी के कारण खुदरा बिक्री मूल्य (आरएसपी) कम हो गया, जिससे डीलरों को नुकसान हुआ और तीन गुना आरएसपी को बदले बिना और मूल्य वृद्धि का लाभ ओएमसीएस को हस्तांतरित किए बिना उत्पाद शुल्क में वृद्धि की गई थी।