How to make the right decisions in life: भगवद गीता में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को सिखाया कि निर्णय हमेशा धैर्य, निष्काम कर्म और आत्मज्ञान के आधार पर लेना चाहिए, न कि सिर्फ भावनाओं के प्रभाव में। जब भी किसी कठिन परिस्थिति में हों, तो खुद से ये सवाल करें
- क्या मेरा निर्णय धर्म और कर्तव्य के अनुरूप है?
- क्या यह निर्णय केवल तात्कालिक भावनाओं के कारण लिया जा रहा है?
- क्या यह निर्णय मेरे और दूसरों के कल्याण के लिए उचित है?
- क्या मैं अपने कार्य के परिणाम को ईश्वर को समर्पित कर सकता हूँ?
गीता हमें संतुलित बुद्धि (स्थितप्रज्ञता) रखने की सीख देती है, जिससे हम बिना किसी मोह या भय के सही निर्णय ले सकें।
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How to make the right decisions in life: सही निर्णय लेने की कला
जीवन में हमें हर दिन छोटे-बड़े फैसले लेने पड़ते हैं। कई बार ये निर्णय आसान होते हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी होते हैं, जिन्हें लेने के बाद वापस बदला नहीं जा सकता। ऐसी स्थितियों में हम अक्सर घबरा जाते हैं और सही-गलत के बीच असमंजस में पड़ जाते हैं।

भगवद गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को निष्काम कर्म, आत्मसंयम और धैर्य का पाठ पढ़ाया था, जो आज भी हमारी निर्णय क्षमता को बेहतर बनाने में सहायक सिद्ध हो सकता है। अगर आप भी किसी कठिन निर्णय को लेकर असमंजस में हैं, तो गीता के इन मूल मंत्रों को अपनाएं—
🔹 निष्काम कर्म योग – बिना फल की चिंता किए कर्म करना सीखें।
🔹 स्थिति प्रज्ञता – मानसिक स्थिरता बनाए रखें और भावनाओं में बहकर निर्णय न लें।
🔹 धर्म और कर्तव्य – निर्णय हमेशा सही मूल्यों और कर्तव्य को ध्यान में रखकर लें।
🔹 स्वयं पर विश्वास – स्वयं की अंतरात्मा की आवाज सुनें और आत्मविश्वास के साथ निर्णय लें।
भगवदाचार्य पंडित राघवेंद्र शास्त्री (भोपाल) के अनुसार, यदि हम श्रीकृष्ण के उपदेशों को अपनाएं, तो जीवन के किसी भी मोड़ पर निर्णय लेने में आसानी होगी और परिणाम सदैव सकारात्मक होंगे।
How to make the right decisions in life: अपने-परायों के आधार पर निर्णय लेने से बचें
जीवन में निर्णय लेते समय भावनाओं का प्रभाव होना स्वाभाविक है, खासकर जब वे हमारे अपनों से जुड़े हों। लेकिन भगवद गीता सिखाती है कि सही निर्णय हमेशा निष्पक्षता और कर्तव्यभावना से लेना चाहिए, न कि सिर्फ भावनाओं के आधार पर।
कुरुक्षेत्र में अर्जुन भी इसी दुविधा में थे—अपने ही परिजनों के खिलाफ युद्ध करने की स्थिति में थे। तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें सिखाया कि:
🔹 निर्णय हमेशा तटस्थ होकर लें, अपने-परायों के आधार पर नहीं।
🔹 संवेदनाओं पर नहीं, धर्म और कर्तव्य पर ध्यान दें।
🔹 जो सही है, वही करें, चाहे वह किसी के भी खिलाफ हो।
यदि हम श्रीकृष्ण के इन उपदेशों को अपनाएं, तो जीवन के कठिनतम निर्णय भी आसानी से और सही तरीके से ले सकते हैं।
How to make the right decisions in life: निष्काम कर्म और आत्मविश्वास से लें सही निर्णय

भगवद गीता में श्रीकृष्ण ने कहा है कि कर्म करो, लेकिन फल की चिंता मत करो। जब हम निष्काम भाव से कर्म करते हैं, तो हमारे निर्णय सही होते हैं और परिणाम भी सकारात्मक मिलते हैं।
How to make the right decisions in life: क्या सीख सकते हैं गीता से
🔹 निष्काम कर्म – कर्म करना हमारा कर्तव्य है, लेकिन परिणाम पर हमारा अधिकार नहीं।
🔹 आत्मविश्वास बनाए रखें – अपने निर्णयों और कर्मों पर विश्वास रखें।
🔹 धैर्य और समर्पण – जो भी निर्णय लें, उस पर अडिग रहें और भगवान पर भरोसा रखें।
अगर हम श्रीकृष्ण के इन उपदेशों को अपनाएं, तो जीवन में आने वाली किसी भी चुनौती का सामना आसानी से कर सकते हैं और हर निर्णय को सही दिशा में ले जा सकते हैं।
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