Nepal Protests Turn Violent: नेपाल एक बार फिर से भारी राजनीतिक और सामाजिक उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है। राजधानी काठमांडू सहित कई प्रमुख शहरों में प्रदर्शनकारियों का आक्रोश तेज हो गया है। हाल ही में आई खबरों के अनुसार, नाराज प्रदर्शनकारियों ने नेपाली कांग्रेस के दफ्तर में घुसकर तोड़फोड़ की और बाहर पत्थरबाजी एवं आगजनी की घटनाएं भी सामने आईं। यह घटनाक्रम नेपाल की राजनीति और लोकतांत्रिक व्यवस्था पर गहरे सवाल खड़े करता है।
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Nepal Protests Turn Violent: प्रदर्शन की पृष्ठभूमि
नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता कोई नई बात नहीं है। लंबे समय से सत्ता संघर्ष, सरकारों का बार-बार गिरना और जनता की अपेक्षाओं का अधूरा रह जाना लोगों के गुस्से को लगातार बढ़ा रहा है। हाल ही में हुई आर्थिक कठिनाइयों, बेरोजगारी और महंगाई की मार ने भी आम जनता को सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर कर दिया।
नेपाली कांग्रेस, जो देश की सबसे पुरानी और बड़ी राजनीतिक पार्टी मानी जाती है, इन विरोध प्रदर्शनों का मुख्य निशाना बन रही है। जनता का एक वर्ग मानता है कि कांग्रेस नेतृत्व ने उनकी समस्याओं को नजरअंदाज किया है और सत्ता के लिए केवल अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं पर ध्यान दिया है।

Nepal Protests Turn Violent: दफ्तर पर हमला और आगजनी
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों का एक बड़ा समूह काठमांडू में स्थित नेपाली कांग्रेस के केंद्रीय दफ्तर के बाहर जमा हुआ। देखते ही देखते यह भीड़ उग्र हो गई और दफ्तर के अंदर घुस गई। वहां मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें रोकने की कोशिश की, लेकिन भीड़ ने पत्थरबाजी शुरू कर दी।
स्थिति तब और बिगड़ गई जब प्रदर्शनकारियों ने बाहर खड़ी गाड़ियों और आसपास के इलाके में आगजनी कर दी। पुलिस ने हालात काबू में करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज भी किया। कई प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाकर्मियों के घायल होने की खबर है।
Nepal Protests Turn Violent: जनता की नाराजगी के कारण

- आर्थिक संकट: नेपाल लंबे समय से आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहा है। महंगाई और बेरोजगारी ने आम लोगों की जिंदगी मुश्किल कर दी है।
- राजनीतिक अस्थिरता: बार-बार बदलती सरकारें और सत्ता संघर्ष ने विकास कार्यों को ठप कर दिया है।
- भ्रष्टाचार के आरोप: जनता का एक बड़ा वर्ग मानता है कि नेता केवल अपनी जेब भरने में लगे हैं और जनहित की अनदेखी कर रहे हैं।
- युवाओं की हताशा: युवाओं को रोजगार और बेहतर भविष्य की उम्मीदें टूटती नजर आ रही हैं, जिससे वे विरोध की राह पकड़ रहे हैं।
Nepal Protests Turn Violent: सरकार और विपक्ष की प्रतिक्रिया
सरकार ने इन घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दिए हैं। प्रधानमंत्री ने अपील की है कि जनता शांति बनाए रखे और हिंसा से दूर रहे। वहीं, विपक्ष ने इसे सरकार की नाकामी बताया है और कहा है कि जनता का गुस्सा बिल्कुल जायज है।
नेपाली कांग्रेस ने अपने दफ्तर पर हुए हमले को लोकतंत्र पर हमला करार दिया है। पार्टी नेताओं का कहना है कि इस तरह की हिंसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं है और इसे सख्ती से निपटा जाएगा।
Nepal Protests Turn Violent: आगे की राह

नेपाल के लिए यह समय बेहद नाजुक है। जनता का आक्रोश लगातार बढ़ रहा है और अगर इसे समय रहते शांत नहीं किया गया, तो हालात और बिगड़ सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि सरकार और सभी राजनीतिक दल मिलकर जनता की वास्तविक समस्याओं पर ध्यान दें और ठोस समाधान निकालें।
विशेषज्ञों का मानना है कि केवल राजनीतिक स्थिरता, पारदर्शिता और ईमानदार नेतृत्व ही नेपाल को इस संकट से बाहर निकाल सकता है। अगर भ्रष्टाचार और सत्ता संघर्ष जारी रहा, तो देश को गंभीर अराजकता का सामना करना पड़ सकता है।
निष्कर्ष
नेपाल में भड़के विरोध प्रदर्शन और कांग्रेस दफ्तर पर हमला केवल एक घटना नहीं है, बल्कि यह वहां के गहरे राजनीतिक और सामाजिक संकट का आईना है। जनता अब केवल आश्वासनों से संतुष्ट नहीं होगी। यदि नेताओं ने इस बार भी जनता की आवाज को अनसुना किया, तो आने वाले दिनों में नेपाल और बड़े संकट में फंस सकता है।
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