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Who Is Justice Yashwant Verma: जस्टिस वर्मा के आवास पर नकदी मिलने की पुष्टि CJI खन्ना ने जस्टिस वर्मा को इस्तीफा देने का दिया विकल्प

Who Is Justice Yashwant Verma: नकदी बरामद में बड़ा खुलासा

Justice Yashwant Verma Cash Case: दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास पर 14 मार्च को लगी आग के दौरान भारी मात्रा में नकदी बरामद होने के मामले ने देश की न्यायपालिका में हलचल मचा दी है। अब इस पूरे प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय जांच समिति ने बड़ा खुलासा किया है। समिति ने अपनी रिपोर्ट में इन आरोपों को विश्वसनीय और तथ्यों पर आधारित माना है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना ने जस्टिस वर्मा को रिपोर्ट की प्रति भेजते हुए उन्हें स्वैच्छिक रूप से इस्तीफा देने का विकल्प दिया है।

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Who Is Justice Yashwant Verma: जांच समिति की रिपोर्ट

Who Is Justice Yashwant Verma

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, जांच समिति की रिपोर्ट 22 मार्च को सुप्रीम कोर्ट को सौंपी गई थी, जिसमें जस्टिस वर्मा के खिलाफ लगे आरोपों को सच मानते हुए अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की गई थी। इस समिति का गठन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने किया था। इसमें पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाई कोर्ट की न्यायाधीश जस्टिस अनु शिवरामन को शामिल किया गया था।

Who Is Justice Yashwant Verma: सुप्रीम कोर्ट की कार्रवाई

समिति ने कई अहम गवाहों के बयान दर्ज किए, जिनमें दिल्ली फायर सर्विस के निदेशक अतुल गर्ग, मौके पर मौजूद तीन फायरमैन, न्यायाधीश के सरकारी सुरक्षा गार्ड, सीआरपीएफ जवान, दिल्ली पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा, डीसीपी देवेश महला और एडिशनल डीसीपी सुमित झा शामिल थे। इन बयानों और सबूतों के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला गया कि जस्टिस वर्मा के आवास पर नकदी की मौजूदगी को नकारा नहीं जा सकता।

Who Is Justice Yashwant Verma: CJI का रुख

सीजेआई खन्ना ने 4 मई को जस्टिस वर्मा को रिपोर्ट की एक कॉपी भेजी और उन्हें स्वैच्छिक इस्तीफे का सुझाव दिया। इसके साथ ही उन्होंने इस संवेदनशील मामले पर सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही शुरू होने से पहले अन्य वरिष्ठ जजों से भी अनौपचारिक चर्चा की। बताया जा रहा है कि सीजेआई इस मामले को गंभीरता से ले रहे हैं और चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट की प्रतिष्ठा और पारदर्शिता बनी रहे।

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Who Is Justice Yashwant Verma: जस्टिस वर्मा के जवाब

गौरतलब है कि यह मामला सामने आने के कुछ दिन बाद ही 20 मार्च को जस्टिस वर्मा का तबादला इलाहाबाद हाई कोर्ट कर दिया गया था। उन्होंने 5 अप्रैल को वहां पदभार ग्रहण किया था। हालांकि, जस्टिस वर्मा ने दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय को भेजे गए अपने जवाब में यह दावा किया था कि उनके आवास से कोई नकदी बरामद नहीं हुई है। बावजूद इसके, जांच समिति की रिपोर्ट में उनकी बात को नकारते हुए आरोपों को पुष्टि योग्य माना गया है।

Who Is Justice Yashwant Verma: जस्टिस वर्मा के विकल्प

अब जब रिपोर्ट जस्टिस वर्मा को सौंप दी गई है, तो उनके पास कुछ सीमित विकल्प शेष हैं। वे सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम से व्यक्तिगत तौर पर मिल सकते हैं और अपना पक्ष रख सकते हैं। वर्तमान में कोलेजियम की अध्यक्षता सीजेआई संजीव खन्ना कर रहे हैं, जिनके साथ जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस सूर्यकांत भी शामिल हैं। चूंकि सीजेआई खन्ना 13 मई को सेवानिवृत्त हो रहे हैं, इसलिए यदि कोई ठोस कार्रवाई करनी है तो वह इस समय सीमा के भीतर ही संभव होगी।

Who Is Justice Yashwant Verma: इतिहास में समान घटनाएं

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यह मामला 2008 में कोलकाता हाई कोर्ट के जस्टिस सौमित्र सेन से मिलता-जुलता है। उस समय भी सुप्रीम कोर्ट की आंतरिक जांच समिति ने उन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को सही पाया था। तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश के.जी. बालाकृष्णन ने उन्हें इस्तीफा देने या वीआरएस लेने की सलाह दी थी। जब उन्होंने इन विकल्पों को ठुकरा दिया, तब संसद में उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया गया। अंततः उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।

Who Is Justice Yashwant Verma: न्यायपालिका की साख पर असर

जस्टिस वर्मा का मामला वर्तमान में देश की न्यायपालिका की निष्पक्षता, पारदर्शिता और विश्वसनीयता के लिए एक चुनौती बन चुका है। सुप्रीम कोर्ट की गरिमा और उसकी सार्वजनिक छवि को बनाए रखना सर्वोच्च प्राथमिकता है। ऐसे में अब सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि जस्टिस वर्मा क्या कदम उठाते हैं — क्या वे स्वैच्छिक रूप से इस्तीफा देंगे, सेवानिवृत्ति का विकल्प चुनेंगे या कोलेजियम के सामने पेश होकर अपनी बात रखेंगे?

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Operation Sindoor: पाकिस्तान पर हमला कब, कहां और कैसे हुआ तय? किसने बनाया प्लान, किसने दी मंजूरी — जानिए इनसाइड स्टोरी

Operation Sindoor: ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी बेहद सीमित लोगों तक ही थी। अंतिम निर्णय एनएसए अजीत डोभाल ने लिया। जैसे ही उनका सिग्नल मिला, भारतीय एयरक्राफ्ट ने आतंकी ठिकानों पर धावा बोल दिया

भारत ने लिया आतंकियों से बदला, ऑपरेशन सिंदूर से दहला पाकिस्तान

Operation Sindoor

India Strikes in Pakistan: पहलगाम में 26 निर्दोष भारतीय नागरिकों की नृशंस हत्या का भारत ने करारा जवाब दिया है। 6-7 मई की रात को हुए ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय वायुसेना के हमलों से पाकिस्तान में मौजूद लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिज्बुल मुजाहिदीन जैसे बड़े आतंकी संगठनों के मुख्य अड्डे तबाह कर दिए गए। बताया जा रहा है कि इस मिशन में लगभग 900 आतंकियों के मौजूद होने की जानकारी थी और 9 प्रमुख टारगेट्स पर एयरस्ट्राइक की गई।

Operation Sindoor

Ajit Doval Operation Sindoor : इस ऑपरेशन को पूरी तरह से नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर (NSA) अजीत डोभाल की अगुवाई में अंजाम दिया गया। उन्होंने इस मिशन की प्लानिंग से लेकर एग्जीक्यूशन तक हर चरण की निगरानी की। साथ ही NTRO (नेशनल टेक्निकल रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन) की टेक्निकल इंटेलिजेंस और स्पेशल टास्क फोर्स की मदद से इस ऑपरेशन को बेहद गोपनीय तरीके से तैयार किया गया।

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पहले चरण में पाकिस्तान के अंदर मौजूद आतंकी नेटवर्क पर इंटेलिजेंस इनपुट इकट्ठा किए गए। फिर संभावित आतंकी ठिकानों की पहचान कर उन्हें प्राथमिकता के आधार पर सूचीबद्ध किया गया। इसके बाद अजीत डोभाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर विस्तृत योजना साझा की। प्रधानमंत्री से हरी झंडी मिलने के बाद ऑपरेशन को अंतिम रूप दिया गया।

Operation Sindoor

Operation Sindoor की पूरी योजना बेहद सीमित अधिकारियों को ही पता थी। दिल्ली में बनाए गए हाई-सिक्योरिटी कंट्रोल रूम से खुद एनएसए डोभाल निगरानी कर रहे थे। और जब 6 मई की रात उन्होंने अंतिम सिग्नल दिया, तो भारतीय फाइटर जेट्स ने पाकिस्तान की सीमा पार कर आतंकी अड्डों को टारगेट करना शुरू कर दिया।

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Pakistan terrorist camps destroyed : यह हमला न केवल एक सटीक सैन्य कार्रवाई था, बल्कि यह दुनिया के लिए एक स्पष्ट संदेश भी था — भारत अपने नागरिकों पर हुए हमलों का जवाब देने में कभी पीछे नहीं हटेगा।

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Operation Sindoor: भारतीय सेना का ‘ऑपरेशन सिंदूर’

Operation Sindoor: भारतीय सेना ने एक साहसिक कदम उठाते हुए मंगलवार देर रात ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित नौ आतंकी ठिकानों को सफलतापूर्वक ध्वस्त कर दिया है। यह हमला उस बर्बर आतंकी हमले के जवाब में किया गया जिसमें जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 25 भारतीय नागरिकों और एक नेपाली नागरिक की निर्मम हत्या की गई थी।

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इस सैन्य कार्रवाई के बाद भारत सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह एक ‘फोकस्ड’, ‘मेजर’ और ‘नॉन-एस्केलेटरी’ ऑपरेशन था। इसका उद्देश्य केवल आतंकी ठिकानों को निशाना बनाना था, न कि पाकिस्तान की किसी सैन्य प्रतिष्ठान को। सरकार ने यह सुनिश्चित किया कि इस ऑपरेशन से सीमा पार तनाव और अधिक न बढ़े।

Operation Sindoor

Operation Sindoor: आतंक के अड्डों पर सीधा वार

इस ऑपरेशन में भारतीय सेना ने उन नौ ठिकानों को टारगेट किया जहां से भारत के खिलाफ आतंकी साजिशें रची जा रही थीं। यह कार्रवाई बेहद सटीक और योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दी गई। रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि इस ऑपरेशन को इस तरह से अंजाम दिया गया कि आम नागरिकों को कोई नुकसान न पहुंचे और सैन्य संघर्ष की स्थिति न उत्पन्न हो।

सेना ने अपने आधिकारिक X (पूर्व ट्विटर) हैंडल से इस ऑपरेशन की पुष्टि करते हुए कहा कि “यह कार्रवाई आतंकवाद को जवाब देने के लिए की गई है, न कि युद्ध को बढ़ावा देने के लिए।”

Operation Sindoor: सरकार की प्रतिक्रिया और रक्षामंत्री का बयान

ऑपरेशन के तुरंत बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट किया – “भारत माता की जय।” साथ ही, रक्षा मंत्रालय ने जानकारी दी कि बुधवार शाम इस ऑपरेशन को लेकर एक डिटेल प्रेस ब्रीफिंग की जाएगी जिसमें इसकी रूपरेखा और परिणामों की जानकारी दी जाएगी।

सरकार का यह भी कहना है कि यह एक ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ की तरह फोकस्ड और समयबद्ध ऑपरेशन था, जिसमें भारत की संप्रभुता की रक्षा और नागरिकों की सुरक्षा प्राथमिकता रही।

Operation Sindoor: पाकिस्तान की प्रतिक्रिया और बौखलाहट

‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद पाकिस्तान में घबराहट और बौखलाहट का माहौल देखा गया। पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (ISPR) के डायरेक्टर जनरल लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने बयान जारी कर बताया कि भारत ने अहमदपुर ईस्ट (बहावलपुर), कोटली और मुजफ्फराबाद में स्ट्राइक की है। पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक अभी नुकसान का आकलन किया जा रहा है, और प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार तीन लोगों के मारे जाने की पुष्टि की गई है।

Operation Sindoor

पाकिस्तानी सेना ने यह भी दावा किया कि भारत ने यह हमला “भारत के अंदर से” किया है। हालांकि, भारत ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि सभी कार्रवाई लक्षित ठिकानों पर की गई और सीमा पार की गई, ताकि आतंकी नेटवर्क को सीधा संदेश दिया जा सके।

Operation Sindoor: पाकिस्तान की सीजफायर उल्लंघन की कोशिश

ऑपरेशन के बाद पाकिस्तान ने प्रतिक्रिया में सीमा पर गोलीबारी शुरू कर दी। जम्मू-कश्मीर के पुंछ और राजौरी जिलों में LOC पर भारी आर्टिलरी फायरिंग की खबर सामने आई है। भीमबेर गली और नौशेरा सेक्टर के कोटली-हमीरपुर इलाके में लगातार गोलियों और गोलाबारी की आवाजें सुनी गईं। इस फायरिंग के चलते सीमा के पास के गांवों में लोग अपने घरों से निकलकर बंकरों में शरण लेने को मजबूर हो गए हैं।

भारतीय सेना ने पाकिस्तान की इस बौखलाहट का जवाब संयम और संतुलन के साथ दिया। सभी एयर डिफेंस यूनिट्स को अलर्ट पर रखा गया है और किसी भी स्थिति से निपटने के लिए सीमाओं पर सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत कर दिया गया है।

Operation Sindoor: सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो

पाकिस्तान में हुई इस सैन्य कार्रवाई के बाद वहां के स्थानीय नागरिकों में भारी दहशत का माहौल देखा गया। सोशल मीडिया पर कई वीडियो वायरल हुए हैं, जिनमें पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और बहावलपुर जैसे इलाकों में विस्फोट और अफरा-तफरी की तस्वीरें नजर आ रही हैं। लोकल रिपोर्ट्स के अनुसार, कई इलाकों में इंटरनेट सेवा भी बाधित की गई है।

Operation Sindoor

Operation Sindoor: भारत का संदेश स्पष्ट

‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जरिए भारत ने एक बार फिर दुनिया को यह स्पष्ट संदेश दिया है कि आतंकवाद और निर्दोष नागरिकों की हत्या को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस ऑपरेशन से यह भी साबित हुआ है कि भारत आतंक के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने के लिए तैयार है – वह भी बिना किसी सैन्य टकराव को न्योता दिए।

सरकार और सेना की इस रणनीतिक कार्रवाई को भारत में व्यापक जनसमर्थन मिल रहा है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि पाकिस्तान इस सैन्य दबाव और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया का सामना किस प्रकार करता है।

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Bihar Hiring Community Health Officers: बिहार में CHO भर्ती का सुनहरा मौका, अभी अप्लाई करें

Bihar Hiring Community Health Officers: सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी

बिहार राज्य स्वास्थ्य समिति (BSHS) ने नेशनल हेल्थ मिशन (NHM) के तहत सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (CHO) पद के लिए एक शानदार भर्ती अवसर की घोषणा की है। कुल 4,500 रिक्तियों के साथ, यह नर्सिंग पेशेवरों के लिए बिहार में स्वास्थ्य सेवाओं में अहम भूमिका निभाने का एक सुनहरा मौका है। यह लेख आपको इस भर्ती प्रक्रिया की पूरी जानकारी देगा, पात्रता मानदंड से लेकर आवेदन प्रक्रिया और चयन प्रक्रिया तक, ताकि आप इस अवसर का लाभ आसानी से उठा सकें।

Key InformationDetails
Post NameCommunity Health Officer (CHO)
Total Vacancies4,500
Educational QualificationB.Sc Nursing / Post Basic B.Sc Nursing / GNM with Certificate in Community Health
Age Limit21 to 37 years (General Male), 40 years (General Female, BC/EBC Male & Female), 42 years (SC/ST)
Salary₹40,000 per month (₹32,000 fixed + ₹8,000 performance-based)
Application Fee₹500 (General/OBC/EWS), ₹125 (SC/ST/Female/PwD candidates from Bihar)
Application DatesMay 5, 2025 – May 26, 2025

BSHS CHO भर्ती 2025 नर्सिंग पेशेवरों के लिए बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था में योगदान देने का एक बेहतरीन अवसर है। 4,500 रिक्तियों के साथ, यह भर्ती अभियान न केवल स्वास्थ्य कार्यबल को सशक्त बनाएगा, बल्कि पूरे राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच को भी बेहतर बनाएगा। यदि आप पात्रता मानदंडों को पूरा करते हैं, तो 26 मई 2025 की अंतिम तिथि से पहले अपना आवेदन अवश्य जमा करें।

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Bihar Hiring Community Health Officers: आवेदन करने की प्रक्रिया

1. आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं:
सबसे पहले बिहार राज्य स्वास्थ्य समिति की आधिकारिक वेबसाइट shs.bihar.gov.in पर जाएं।

2. पंजीकरण करें:
होमपेज पर “Register” बटन पर क्लिक करें।
यहाँ आपको अपना नाम, संपर्क जानकारी, ईमेल पता (सामान्य, एससी, एसटी आदि) जैसी आवश्यक व्यक्तिगत जानकारियाँ भरनी होंगी।
पंजीकरण के बाद, आपको एक पुष्टिकरण ईमेल मिलेगा जिसमें आपके लॉगिन विवरण होंगे।

3. आवेदन फॉर्म भरें:
लॉगिन करने के बाद आवेदन फॉर्म में जाएं।
सही-सही व्यक्तिगत जानकारी, शैक्षणिक योग्यता और अन्य आवश्यक विवरण भरें।
निम्नलिखित दस्तावेज़ अपलोड करें:

  • पासपोर्ट साइज फोटो
  • हस्ताक्षर
  • शैक्षणिक प्रमाण पत्र
  • प्रमाण पत्र (यदि लागू हो)
  • जन्मतिथि का प्रमाण पत्र

टिप: सुनिश्चित करें कि सभी दस्तावेज़ सही फॉर्मेट और निर्धारित आकार सीमा में हों।

4. आवेदन शुल्क का भुगतान करें:
आप आवेदन शुल्क का भुगतान नेट बैंकिंग, क्रेडिट/डेबिट कार्ड या UPI के माध्यम से कर सकते हैं।

  • सामान्य/ओबीसी/ईडब्ल्यूएस अभ्यर्थियों के लिए: ₹500
  • एससी/एसटी, दिव्यांग, और बिहार की महिला अभ्यर्थियों के लिए: ₹125

5. आवेदन सबमिट करें:
आवेदन सबमिट करने से पहले सभी विवरणों की अच्छी तरह जांच कर लें।
संतुष्ट होने पर “Submit” बटन पर क्लिक करें।
आवेदन सफलतापूर्वक जमा करने के बाद उसका प्रिंटआउट जरूर निकाल लें और सुरक्षित रखें।

इस वेबसाइट पर जाने के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करे: shs.bihar.gov.in

Bihar Hiring Community Health Officers: सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी की भूमिका

सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (CHO) का पद बिहार की स्वास्थ्य प्रणाली में एक अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। CHO मुख्य रूप से ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने, स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता फैलाने, और टीकाकरण, मातृ देखभाल जैसे स्वास्थ्य कार्यक्रमों की निगरानी करने की जिम्मेदारी निभाते हैं। उनका उद्देश्य स्वास्थ्य सेवाओं को जमीनी स्तर तक प्रभावी ढंग से पहुँचाना है, जिससे राज्य की संपूर्ण स्वास्थ्य व्यवस्था हो सके।

स्वास्थ्य शिक्षा:
CHO समुदायों को बुनियादी स्वास्थ्य देखभाल, पोषण, स्वच्छता और रोगों की रोकथाम जैसे विषयों पर जागरूक करते हैं। वे जनस्वास्थ्य समस्याओं से लड़ने और जागरूकता फैलाने में अहम भूमिका निभाते हैं।

रूटीन स्वास्थ्य सेवाएं:
CHO प्राथमिक उपचार प्रदान करते हैं, गर्भवती महिलाओं की निगरानी करते हैं और बच्चों से जुड़े स्वास्थ्य कार्यक्रमों, जैसे टीकाकरण अभियानों में सहयोग करते हैं।

रोगों की रोकथाम और नियंत्रण:
ग्रामीण क्षेत्रों में, जहाँ स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच सीमित होती है, वहाँ CHO बीमारियों के फैलाव को रोकने और उनका प्रबंधन करने में मदद करते हैं।

डेटा संग्रहण और रिपोर्टिंग:
CHO स्वास्थ्य से जुड़े आंकड़ों को इकट्ठा करने और रिपोर्ट करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जो राज्य और राष्ट्रीय स्तर की नीतियों को दिशा देने में सहायक होता है।

Bihar Hiring Community Health Officers: आयु सीमा

BSHS CHO भर्ती 2025 के लिए आयु सीमा 1 अप्रैल 2025 के आधार पर निर्धारित की गई है:

न्यूनतम आयु: 21 वर्ष

  • सामान्य (पुरुष): 37 वर्ष
    • सामान्य (महिला): 40 वर्ष
    • बीसी/ईबीसी (पुरुष एवं महिला): 40 वर्ष
    • एससी/एसटी (पुरुष एवं महिला): 42 वर्ष
    • दिव्यांगजन (PwD): सरकारी नियमों के अनुसार

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Will Mount Abu Be Renamed: स्थानीय संगठनों का विरोध

Will Mount Abu Be Renamed: राजस्थान का एकमात्र हिल स्टेशन माउंट आबू एक बार फिर चर्चा में है, और इस बार वजह है इसका संभावित नाम परिवर्तन। राजस्थान सरकार माउंट आबू का नाम बदलकर ‘आबू राज तीर्थ’ करने की योजना पर विचार कर रही है। इस प्रस्ताव के सामने आने के बाद से ही इलाके में विरोध की लहर दौड़ गई है। स्थानीय होटल एसोसिएशन, व्यापारी संगठनों और नागरिकों ने इस बदलाव के खिलाफ खुलकर आवाज़ उठाई है। उनका मानना है कि इससे न केवल पर्यटन को गहरी चोट पहुंचेगी बल्कि स्थानीय लोगों की आजीविका पर भी संकट आ जाएगा।

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Will Mount Abu Be Renamed

Will Mount Abu Be Renamed: तेज़ हुई हलचल

सूत्रों की मानें तो मई के पहले या दूसरे सप्ताह में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा माउंट आबू का दौरा कर सकते हैं। इस दौरे के दौरान नाम परिवर्तन और अन्य बदलावों पर अंतिम निर्णय लिया जा सकता है। इन बदलावों में सिर्फ नाम ही नहीं, बल्कि शराब और मांसाहारी भोजन पर प्रतिबंध लगाने जैसी योजनाएं भी शामिल हैं। सरकार द्वारा माउंट आबू को एक तीर्थस्थल के रूप में ब्रांड करने की कोशिश की जा रही है, जिससे यहां का स्वरूप पूरी तरह बदल सकता है।

Will Mount Abu Be Renamed: पर्यटन व्यवसायियों की चिंता

माउंट आबू होटल एसोसिएशन के सचिव सौरभ गंगाडिया ने कहा, “अगर हिल स्टेशन का नाम बदला गया और शराब-नॉनवेज पर प्रतिबंध लगा, तो यहां पर्यटक आना बंद कर देंगे। इससे पर्यटन पर निर्भर हजारों लोगों की रोज़ी-रोटी पर संकट आ जाएगा और बेरोजगारी तेजी से बढ़ेगी।”

नक्की लेक एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास सेठ ने भी चिंता जताते हुए कहा, “माउंट आबू को तीर्थस्थल के रूप में ब्रांड करना भ्रमित करने वाला कदम है। इससे यहां आने वाले पर्यटक हतोत्साहित होंगे, और हिल स्टेशन की मौलिक पहचान को नुकसान पहुंचेगा।”

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Will Mount Abu Be Renamed: अक्टूबर 2024 से चर्चा

इस नाम परिवर्तन की चर्चा पहली बार अक्टूबर 2024 में नगरपालिका की एक बैठक के दौरान सामने आई थी। हाल ही में, 25 अप्रैल 2025 को स्थानीय स्वशासन विभाग द्वारा नगर निकाय को एक पत्र लिखा गया, जिसमें ‘आबू राज तीर्थ’ नाम को लेकर सुझाव मांगे गए। रिपोर्ट्स के अनुसार, मुख्यमंत्री कार्यालय से पहले भी इस संबंध में संचार हुआ था, और 15 अप्रैल को एक विशेष नोट में प्रस्ताव पर फैक्टुअल कमेंट्स देने की बात कही गई थी।

Will Mount Abu Be Renamed: संगठनों ने जताया विरोध

नाम बदलने की खबर के सामने आते ही माउंट आबू के कुल 23 संगठनों ने एकजुट होकर इसका विरोध शुरू कर दिया है। इन संगठनों का कहना है कि न तो जनता से इस बारे में कोई राय ली गई और न ही कोई जनसुनवाई हुई। प्रस्ताव का सीधा असर इस हिल स्टेशन की पहचान और पर्यटन पर पड़ेगा।

Will Mount Abu Be Renamed: मांस-शराब पर भी बैन

Will Mount Abu Be Renamed

स्थानीय लोगों का दावा है कि एक विधायक और एक मंत्री माउंट आबू को धार्मिक रूप देने के प्रयास में हैं। इसके तहत मांस और शराब पर प्रतिबंध लगाने की योजना है। टाउन वेंडिंग कमेटी के एक सदस्य ने कहा कि अगर माउंट आबू को तीर्थस्थल घोषित किया गया, तो कई सामाजिक और धार्मिक प्रतिबंध लागू हो जाएंगे, जिससे व्यापार, पर्यटन और आजीविका प्रभावित होंगी।

Will Mount Abu Be Renamed: माउंट आबू का महत्व

माउंट आबू का ऐतिहासिक महत्व 1830 के दशक से जुड़ा है, जब ईस्ट इंडिया कंपनी की राजपूताना एजेंसी ने इसे सिरोही रियासत से पट्टे पर लिया था। 1845 में इसकी ठंडी जलवायु के कारण इसे एजेंसी का समर हेडक्वार्टर बनाया गया, जिससे माउंट आबू का विकास एक प्रमुख हिल स्टेशन के रूप में हुआ। आज यह राजस्थान के सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है और 7 से अधिक राज्यों के पर्यटक यहां हर साल घूमने आते हैं।

निष्कर्ष

माउंट आबू का नाम बदलने की योजना सिर्फ एक नाम परिवर्तन नहीं है, बल्कि यह इसके सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक ढांचे को बदलने की कोशिश है। स्थानीय संगठन और नागरिक इसे अपनी पहचान और अस्तित्व पर हमला मान रहे हैं। आने वाले दिनों में मुख्यमंत्री के दौरे के बाद इस पर क्या निर्णय होता है, यह देखना अहम होगा।

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Discover India from the Sky: कम समय में ज्यादा सफर

Discover India from the Sky: आज के समय में जब हर कोई समय की बचत करना चाहता है, तो ट्रैवलिंग के तरीकों में भी बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। अब सिर्फ हवाई जहाज, ट्रेन और बस ही नहीं, बल्कि हेलिकॉप्टर भी टूरिज्म का अहम हिस्सा बनता जा रहा है। खासकर ऐसे स्थानों पर जहां पहुंचना पैदल या सामान्य साधनों से मुश्किल होता है, वहां हेलिकॉप्टर सेवा सैलानियों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो रही है।

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Discover India from the Sky

Discover India from the Sky: खाटू श्याम और सालासर के लिए हेली सेवा

हाल ही में हरियाणा के गुरुग्राम में हेलिकॉप्टर टैक्सी सेवा की शुरुआत की गई है। यह सेवा धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू की गई है। इस हेलिकॉप्टर सेवा के माध्यम से श्रद्धालु खाटू श्याम और सालासर बालाजी जैसे प्रसिद्ध मंदिरों तक मिनटों में पहुंच सकेंगे। पहले जिन यात्राओं में 10 से 12 घंटे लगते थे, अब वो कुछ ही मिनटों में पूरी हो सकेंगी। हरियाणा और राजस्थान सरकार का यह संयुक्त प्रयास धार्मिक स्थलों की यात्रा को आसान और समयबद्ध बनाने की दिशा में एक सराहनीय कदम है।

Discover India from the Sky: केदारनाथ की कठिन यात्रा अब आसान

उत्तराखंड स्थित केदारनाथ मंदिर की यात्रा हर साल लाखों श्रद्धालुओं द्वारा की जाती है। यह यात्रा पहाड़ी रास्तों और लंबी चढ़ाई के कारण काफी कठिन मानी जाती है। हालांकि अब हेलिकॉप्टर सेवा की मदद से यह यात्रा कहीं अधिक सरल हो गई है। सोनप्रयाग, फाटा और गुप्तकाशी जैसे स्थानों से केदारनाथ तक रोजाना 20 से 30 उड़ानें चलाई जा रही हैं। एक हेलिकॉप्टर में लगभग 5 से 6 यात्री बैठ सकते हैं।

गुप्तकाशी से केदारनाथ की राउंड ट्रिप की शुरुआत लगभग ₹7,000 से होती है, वहीं फाटा से यह सेवा ₹5,500 से शुरू होती है। इसके अलावा बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री जैसे अन्य चार धामों के लिए भी हेलिकॉप्टर सेवा उपलब्ध है। IRCTC की वेबसाइट के माध्यम से इन सेवाओं की बुकिंग की जा सकती है। चार धाम के लिए एक लग्जरी पैकेज भी उपलब्ध है, जिसकी कीमत करीब ₹2 लाख से शुरू होती है।

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Discover India from the Sky: वैष्णो देवी और अमरनाथ की यात्रा भी सुगम

जम्मू-कश्मीर स्थित माता वैष्णो देवी का मंदिर पूरे साल खुला रहता है और यहां हर दिन हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं। कटरा से मंदिर तक की करीब 12 किलोमीटर की चढ़ाई को अब हेलिकॉप्टर के जरिए मिनटों में तय किया जा सकता है। कटरा से सांची छत तक एकतरफा हेलिकॉप्टर सेवा का किराया लगभग ₹2,000 से शुरू होता है। इसी तरह अमरनाथ गुफा तक भी हेलिकॉप्टर से आसानी से पहुंचा जा सकता है, जिससे तीर्थयात्रियों के लिए यात्रा का अनुभव और भी सरल हो गया है।

Discover India from the Sky: दिल्ली का 10 मिनट का हवाई टूर

अगर आप दिल्ली घूमने की योजना बना रहे हैं और ट्रैफिक जाम से बचना चाहते हैं, तो हेलिकॉप्टर से सिटी टूर आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प है। यह चॉपर सर्विस मात्र 10 मिनट में दिल्ली की कई ऐतिहासिक इमारतों जैसे लाल किला, कुतुब मीनार, अक्षरधाम मंदिर और हुमायूं का मकबरा जैसे स्थानों को आसमान से दिखाती है। यह सेवा रोहिणी हेलिपोर्ट से शुरू होती है। 10 मिनट के सिटी टूर की कीमत ₹2,499 है, जबकि 20 मिनट की हवाई यात्रा के लिए ₹4,999 का खर्च आता है।

Discover India from the Sky: गोवा, विशाखापट्नम और सिक्किम के खूबसूरत दृश्य अब हवा से देखें

टूरिज्म के लिहाज से गोवा हमेशा से टॉप डेस्टिनेशन रहा है। अब स्कूटी या बाइक के बजाय आप गोवा की खूबसूरती को हेलिकॉप्टर से देख सकते हैं। यहां 15 मिनट की जॉय राइड उपलब्ध है, जो सभी प्रमुख बीच और चर्चों को कवर करती है। इसकी कीमत ₹3,500 से शुरू होती है।

विशाखापट्नम में भी 20 मिनट का एरियल सिटी टूर उपलब्ध है, जिसकी कीमत ₹2,000 से शुरू होती है। समुद्र तटों और शहर के सुंदर नजारों को देखने का यह तरीका पर्यटकों को काफी पसंद आ रहा है।

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सिक्किम की यात्रा भी अब आसान हो गई है। बागडोगरा एयरपोर्ट से शुरू होने वाली हेलिकॉप्टर सेवा 20 मिनट में गंगटोक तक का सफर तय कराती है। यहां की एरियल राइड की कीमत ₹9,000 से शुरू होती है। पहाड़ी इलाकों की यात्रा अब पहले से कहीं ज्यादा सुविधाजनक और आकर्षक बन गई है।

निष्कर्ष

हेलिकॉप्टर सेवा आज न सिर्फ समय बचाने का एक बेहतरीन विकल्प बन गई है, बल्कि यह पर्यटन को एक नया अनुभव भी दे रही है। धार्मिक स्थलों से लेकर हिल स्टेशन और मेट्रो शहरों तक, अब हवा से यात्रा करना न सिर्फ संभव है बल्कि आरामदायक और रोमांचक भी है। आने वाले समय में हेलिकॉप्टर टूरिज्म भारत में और तेजी से लोकप्रिय होगा, जो देश के टूरिज्म सेक्टर को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाएगा।

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BOB Govt Job Opportunity: BOB में चपरासी की वैकेंसी, सरकारी नौकरी का सुनहरा मौका

BOB Govt Job Opportunity: चपरासी पदों पर भर्ती

दसवीं पास युवाओं के लिए सरकारी बैंक नौकरी का शानदार मौका है। बैंक ऑफ बड़ौदा ने चपरासी (ऑफिस असिस्टेंट/प्यून) के पदों पर भर्ती निकाली है। इसके लिए ऑनलाइन आवेदन 3 मई 2025 से शुरू हो गए हैं और आखिरी तारीख 23 मई 2025 है। जो भी इच्छुक और योग्य उम्मीदवार हैं, वे बैंक की आधिकारिक वेबसाइट bankofbaroda.in पर जाकर या नीचे दिए गए डायरेक्ट लिंक पर क्लिक करके आसानी से आवेदन कर सकते हैं।

इस वेबसाइट पर जाने के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करे: bankofbaroda.in

BOB Govt Job Opportunity: 500 पदों पर भर्ती

बैंक ऑफ बड़ौदा (BOB) ने देशभर की विभिन्न शाखाओं/कार्यालयों में ऑफिस असिस्टेंट (चपरासी) के 500 पदों पर भर्ती की घोषणा की है। उम्मीदवारों का चयन दो चरणों में होगा – पहले ऑनलाइन परीक्षा और फिर स्थानीय भाषा की दक्षता (लोकल वर्नैक्युलर लैंग्वेज टेस्ट) के आधार पर|

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BOB Govt Job Opportunity: सरकारी नौकरी

बैंक ऑफ बड़ौदा ने चपरासी की यह भर्ती देशभर के राज्यों के लिए निकाली है। इसमें सबसे ज्यादा पद उत्तर प्रदेश, गुजरात, राजस्थान के लिए हैं। किस राज्य में कितनी वैकेंसी निकली हैं,पूरी डिटेल्स अभ्यर्थी नीचे टेबल से देख सकते हैं।

राज्य / केंद्र शासित प्रदेशवैकेंसी
आंध्र प्रदेश22
असम04
बिहार23
चंडीगढ़ (UT)01
छत्तीसगढ़12
दादरा और नगर हवेली (UT)01
दमन और दीव (UT)01
दिल्ली (UT)10
गोवा03
गुजरात80
हरियाणा11
हिमाचल प्रदेश03
जम्मू और कश्मीर01
झारखंड10
कर्नाटक31
केरल19
मध्य प्रदेश16
महाराष्ट्र29
मणिपुर01
नागालैंड01
ओडिशा17
पंजाब14
राजस्थान46
तमिलनाडु24
तेलंगाना13
उत्तर प्रदेश83
उत्तराखंड10
पश्चिम बंगाल14
कुल रिक्तियां500

BOB Govt Job Opportunity: योग्यता एवं मापदंड

बैंक ऑफ बड़ौदा में चपरासी के पद के लिए वे उम्मीदवार आवेदन कर सकते हैं, जिन्होंने किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से 10वीं कक्षा पास की हो। साथ ही, जिस राज्य या केंद्र शासित प्रदेश (UT) से आप आवेदन कर रहे हैं, वहां की स्थानीय भाषा का अच्छा ज्ञान होना जरूरी है।

उम्मीदवार को उस भाषा को पढ़ना, लिखना और बोलना आना चाहिए।

योग्यता से जुड़ी और भी जानकारी पाने के लिए उम्मीदवार भर्ती का पूरा विज्ञापन ध्यान से पढ़ सकते हैं, जो बैंक की वेबसाइट पर उपलब्ध है।

BOB Govt Job Opportunity: कैसे करें अप्लाई

  • इस भर्ती के लिए आवेदन करने के लिए सबसे पहले बैंक ऑफ बड़ौदा की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं। वहां “Career” सेक्शन में जाकर “Current Openings” पर क्लिक करें। फिर भर्ती से संबंधित लिंक खोलें।
  • इसके बाद “Click here for New Registration” पर क्लिक करके अपना नाम, मोबाइल नंबर, ईमेल आदि जरूरी जानकारी भरकर रजिस्ट्रेशन करें।
  • रजिस्ट्रेशन के बाद लॉगिन करके बाकी जानकारी भरें, पासपोर्ट साइज फोटो और हस्ताक्षर अपलोड करें।
  • फिर अपने वर्ग के अनुसार आवेदन शुल्क ऑनलाइन जमा करें और आवेदन फॉर्म सबमिट कर दें।
  • आवेदन पूरा हो जाने के बाद फॉर्म का एक प्रिंट आउट निकालकर अपने पास सुरक्षित रख लें ताकि भविष्य में जरूरत पड़ने पर काम आ सके।

BOB Govt Job Opportunity: आयु सीमा

1 मई 2025 को उम्मीदवार की न्यूनतम उम्र 18 साल और अधिकतम उम्र 26 साल होनी चाहिए। इसका मतलब है कि उम्मीदवार की जन्मतिथि 1 मई 1999 से पहले और 1 मई 2007 के बाद की नहीं होनी चाहिए। आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को उम्र में छूट मिलेगी।

BOB Govt Job Opportunity: सैलरी

चपरासी के पद पर चयनित उम्मीदवारों को महीने का 19,500 रुपये से लेकर 37,815 रुपये तक वेतन मिलेगा। इसके अलावा, समय-समय पर पे स्केल में बदलाव होगा। बेसिक सैलरी के अलावा, बैंक द्वारा डीए (महंगाई भत्ता), एचआरए (हाउस रेंट अलाउंस), सीसीए (सिटी कम्पेंसेटरी अलाउंस), और स्पेशल अलाउंस भी दिया जाएगा, जिससे सैलरी और बढ़ जाएगी।

BOB Govt Job Opportunity: चयन प्रक्रिया

उम्मीदवारों का चयन लिखित परीक्षा और लोकल लैंग्वेज टेस्ट के आधार पर किया जाएगा।

BOB Govt Job Opportunity: आवेदन शुल्क

  • सामान्य, ईडब्ल्यूएस और ओबीसी उम्मीदवारों को 600 रुपये आवेदन शुल्क देना होगा।
  • एससी, एसटी, पीडब्ल्यूबीडी, एक्स सर्विसमैन, डिस्क्रिप्शन (DISXS) और महिला उम्मीदवारों को 100 रुपये आवेदन शुल्क देना होगा।

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Pahalgam Terror Attack: Justice For Pahalgam क्या सरकार किसी बड़े एक्शन की तैयारी में है

Pahalgam Terror Attack: भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध हमेशा से तनावपूर्ण रहे हैं, विशेषकर जब बात सीमा पार से हो रहे आतंकवाद और उकसावे की आती है। पाकिस्तान प्राय: सीजफायर का उल्लंघन करता रहा है, आतंकी गतिविधियों को समर्थन देता रहा है और भारत की आंतरिक शांति को भंग करने का प्रयास करता है। ऐसे में आम जनता और विश्लेषकों के मन में बार-बार यह सवाल उठता है — आखिर भारत कब जवाब देगा पाकिस्तान को? और अब तक भारत ने क्या कदम उठाए हैं?

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Pahalgam Terror Attack: भारत की रणनीति

भारत ने पाकिस्तान की हर उकसावे की कार्रवाई का जवाब दिया है, लेकिन वह जवाब हमेशा “सोच-समझ” कर दिया गया है। भारत की विदेश नीति में स्पष्टता है कि वह पहले हमला नहीं करेगा, लेकिन जवाब जरूर देगा

Pahalgam Terror Attack
  1. सर्जिकल स्ट्राइक (2016): उरी आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में घुसकर आतंकियों के ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक की थी। यह पहली बार था जब भारत ने स्पष्ट रूप से कहा कि वह सीमा पार जाकर आतंक के खिलाफ कार्रवाई करेगा।
  2. एयर स्ट्राइक (2019): पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत ने बालाकोट में एयर स्ट्राइक कर जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों को नष्ट कर दिया। यह भारत की ‘नयी रक्षा नीति’ का प्रमाण था जिसमें उसने “आतंक का जवाब आतंक के ठिकानों पर सीधा वार करके” दिया।

Pahalgam Terror Attack: अब देरी क्यों

पिछले कुछ समय में पाकिस्तान ने फिर से सीमा पर गतिविधियों को बढ़ाया है, लेकिन भारत ने फिलहाल कोई सीधी सैन्य कार्रवाई नहीं की है। इसकी कई वजहें हैं:

  1. अंतरराष्ट्रीय दबाव और कूटनीतिक रणनीति: भारत वैश्विक स्तर पर एक जिम्मेदार देश की छवि बनाए रखना चाहता है। अमेरिका, रूस, फ्रांस जैसे देश भारत की स्थिरता की सराहना करते हैं। भारत युद्ध की बजाय पहले कूटनीतिक दबाव बनाने का प्रयास करता है।
  2. आर्थिक प्राथमिकताएँ: भारत वर्तमान में आर्थिक विकास की ओर अग्रसर है। युद्ध या सैन्य तनाव से निवेश, व्यापार और विकास प्रभावित हो सकते हैं। ऐसे में भारत पहले रणनीतिक सोच के तहत कार्य करना पसंद करता है।
  3. घरेलू चुनाव और राजनीतिक गणित: कई बार भारत की प्रतिक्रिया चुनावी राजनीति से भी जुड़ी होती है। कोई भी निर्णय सरकार देश की राजनीतिक स्थिति को देखकर ही लेती है।

Pahalgam Terror Attack: भारत ने अब तक क्या किया

Pahalgam Terror Attack
  1. डिप्लोमैटिक आइसोलेशन: भारत ने कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को आतंकवाद का संरक्षक देश घोषित कराने की कोशिश की है। फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) में भारत की पहल पर पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाला गया।
  2. LOC पर जवाबी फायरिंग: पाकिस्तान की ओर से होने वाली गोलीबारी का भारत ने हर बार मुंहतोड़ जवाब दिया है। कई बार भारतीय सेना ने पाकिस्तान की चौकियों को ध्वस्त भी किया है।
  3. अंदरूनी सुरक्षा सुदृढ़ीकरण: भारत सरकार ने आतंकवाद प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षाबलों की संख्या बढ़ाई है और आधुनिक हथियारों व तकनीक से उन्हें लैस किया है। जम्मू-कश्मीर में आतंक के खिलाफ ऑपरेशन ऑल आउट चलाया गया, जिसमें कई शीर्ष आतंकी मारे गए।

Pahalgam Terror Attack: जनता का धैर्य और उम्मीद

भारतीय जनता की भावना यह है कि पाकिस्तान को एक कड़ा सबक मिलना चाहिए। लेकिन भारत सरकार की रणनीति दीर्घकालीन सोच पर आधारित है। सरकार हर कदम सोच-समझ कर उठाती है ताकि भारत की सुरक्षा, प्रतिष्ठा और विकास को कोई क्षति न पहुंचे।


निष्कर्ष
भारत ने कभी भी उकसावे पर चुप्पी नहीं साधी है, लेकिन उसका जवाब हमेशा योजनाबद्ध, सटीक और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के दायरे में रहा है। भारत युद्ध नहीं चाहता, लेकिन यदि मजबूरी हुई, तो देश सक्षम है निर्णायक कार्रवाई करने में। “धैर्य रखना कमजोरी नहीं, बल्कि शक्ति को संयम से बरतने की पहचान है” — यही भारत की वर्तमान नीति का सार है।

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BPSSC Forest Range Officer Recruitment: बीपीएसएससी फॉरेस्ट रेंज ऑफिसर भर्ती शुरू, अभी करें आवेदन

BPSSC Forest Range Officer Recruitment: फॉरेस्ट रेंज ऑफिसर भर्ती

बिहार पुलिस सेवा आयोग (BPSSC) ने आधिकारिक वेबसाइट bpssc.bihar.gov.in पर फॉरेस्ट रेंज ऑफिसर (FRO) भर्ती 2025 का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। इस भर्ती अभियान के तहत कुल 24 पदों पर योग्य उम्मीदवारों की नियुक्ति की जाएगी।

बीपीएसएससी फॉरेस्ट रेंज ऑफिसर के लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया 3 मई 2025 से शुरू हो चुकी है और यह 1 जून 2025 तक जारी रहेगी। उम्मीदवारों का चयन लिखित परीक्षा, इंटरव्यू, शारीरिक दक्षता परीक्षण (PET) और मेडिकल परीक्षा के आधार पर किया जाएगा। इच्छुक उम्मीदवार आवेदन करने से पहले पात्रता मानदंड अवश्य जांच लें।

इस वेबसाइट पर जाने के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करे: bpssc.bihar.gov.in

BPSSC Forest Range Officer Recruitment: कुल 24 रिक्तियों की घोषणा

बीपीएसएससी फॉरेस्ट रेंज ऑफिसर भर्ती का आयोजन करता है। इस वर्ष विभिन्न श्रेणियों के तहत कुल 24 रिक्तियों की घोषणा की गई है। बीपीएसएससी फॉरेस्ट ऑफिसर भर्ती 2025 की मुख्य जानकारियों के लिए नीचे दी गई तालिका देखें।

OrganisationBihar Police Subordinate Service Commission (BPSSC)
Post NameForest Range Officer
Total Vacancies24
Online Application DatesMay 3 – Jun 1, 2025
Exam ModeOnline (CBT)
EligibilityBachelor’s Degree in Science/Agriculture/Forestry
Age Limit21-37 years (General Male), 21-40 years (General Female)
SalaryRs. 35,400 – Rs. 1,12,400 (Level-8)
Selection ProcessWritten Exam InterviewPETMedical Test

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BPSSC Forest Range Officer Recruitment: आवेदन प्रक्रिया

बीपीएसएससी फॉरेस्ट रेंज ऑफिसर भर्ती 2025 के लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया आधिकारिक वेबसाइट पर शुरू हो चुकी है। उम्मीदवार नीचे दिए गए सरल चरणों का पालन कर सकते हैं:

  1. बीपीएसएससी की आधिकारिक वेबसाइट bpssc.bihar.gov.in पर जाएं।
  2. फॉरेस्ट रेंज ऑफिसर के लिए “Apply Online” लिंक पर क्लिक करें।
  3. वैध ईमेल आईडी और मोबाइल नंबर का उपयोग करके पंजीकरण करें।
  4. व्यक्तिगत, शैक्षणिक और संपर्क विवरण भरें।
  5. आवश्यक प्रारूप में स्कैन किए गए दस्तावेज़ अपलोड करें।
  6. श्रेणी के अनुसार आवेदन शुल्क का भुगतान करें।
  7. आवेदन सबमिट करें और भविष्य के संदर्भ के लिए पुष्टि डाउनलोड करें।

BPSSC Forest Range Officer Recruitment: आवेदन शुल्क

उम्मीदवार को निर्धारित आवेदन शुल्क का भुगतान करना होगा, जो उनकी श्रेणी के अनुसार भिन्न होता है। सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए बीपीएसएससी फॉरेस्ट रेंज ऑफिसर का आवेदन शुल्क ₹700 है। बीपीएसएससी फॉरेस्ट रेंज ऑफिसर आवेदन शुल्क की विस्तृत जानकारी के लिए नीचे दी गई तालिका देखें।

CategoryMale FeeFemale Fee
General (Bihar Domicile)Rs 700Rs 400
EWSRs 700Rs 400
BC/EBCRs 700Rs 400
SC/STRs 400Rs 400
Transgender (Bihar)Rs 400Rs 400

BPSSC Forest Range Officer Recruitment: पात्रता मानदंड

उम्मीदवार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे पात्रता मानदंडों को पूरा करते हैं, जैसे शैक्षणिक योग्यता, आयु सीमा, आदि। यदि किसी भी चरण में यह पाया जाता है कि उम्मीदवार पात्रता मानदंडों को पूरा नहीं करता है, तो इससे उम्मीदवार की अयोग्यता हो सकती है।

शैक्षणिक योग्यता: उम्मीदवार के पास किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से बोटनी, रसायन शास्त्र, भौतिकी, सांख्यिकी, जीवविज्ञान, कृषि या वानिकी में स्नातक डिग्री होनी चाहिए। BCA स्नातक भी पात्र हैं।

BPSSC Forest Range Officer Recruitment: आयु सीमा

उम्मीदवार की न्यूनतम आयु 21 वर्ष होनी चाहिए,और अधिकतम आयु सीमा लिंग और श्रेणी के आधार पर भिन्न होती है। आवश्यक आयु के लिए नीचे दी गई तालिका देखें।

CategoryMale (Max Age)Female (Max Age)
General/EWS37 years40 years
BC/EBC40 years40 years 
SC/ST42 years42 years
Transgender (Bihar Domicile)40 years40 years

BPSSC Forest Range Officer Recruitment: फॉरेस्ट रेंज रिक्तियाँ

फॉरेस्ट रेंज ऑफिसर के कुल 24 पद विभिन्न श्रेणियों में वितरित किए गए हैं ताकि सही प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जा सके, यहाँ कैटगरी वाइज दिया गया है।

CategoryNumber of Posts
General (UR)2
Backward Class (BC)7
Economically Backward Class (EBC)3
Scheduled Caste (SC)10
Scheduled Tribe (ST)1
Economically Weaker Section (EWS)1
Total24

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Apple Skips This Handy Display Upgrade: iPhone 17 Pro

Apple Skips This Handy Display Upgrade: iPhone 17 Pro Series

Apple is expected to roll out some significant upgrades with the iPhone 17 Pro series later this year. However, there’s disappointing news for fans hoping for a key display enhancement. According to recent reports, Apple has reportedly decided to scrap its plans to introduce an anti-reflective screen on the upcoming iPhone 17 Pro models—a feature that could have rivaled what Samsung currently offers with its Galaxy S24 Ultra.

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Anti-Reflective Display Plan Cancelled

The buzz around the iPhone 17 Pro series included speculation that Apple would finally introduce an advanced anti-reflective display, similar to the one seen on Samsung’s flagship Galaxy S24 Ultra. This would have marked a significant step forward in screen technology for iPhones, reducing glare and improving visibility in bright environments.

The new information comes from a tipster known as Instant Digital, who shared the update on social media platforms earlier this week. According to the tipster, Apple was initially working to integrate this anti-reflective coating on the iPhone 17 Pro’s display but has now abandoned those efforts.

Why Apple Dropped the Display Enhancement

Apple reportedly conducted internal testing of the new screen technology, but the results did not meet its high standards. One major concern was the speed and efficiency of the coating process, which turned out to be too slow to meet Apple’s massive production goals. With millions of units to be manufactured and shipped globally, any delay in the assembly process could have resulted in logistical nightmares and missed deadlines.

Due to these complications, Apple has decided to delay the inclusion of this feature rather than compromise on production speed or quality. While this move might disappoint some tech enthusiasts, it aligns with Apple’s track record of not launching a feature unless it’s completely refined and scalable.

Apple Already Uses Similar Tech on Other Devices

Interestingly, Apple already employs a similar nano-texture glass coating on some of its other products. Both the iPad Pro and MacBook Air/Pro models offer displays with this anti-glare finish, particularly beneficial for professional users who work in bright environments. This naturally raises the question: why isn’t Apple using the same technology for its upcoming iPhones?

The tipster does not mention whether the nano-texture solution used in iPads and MacBooks was considered for the iPhone 17 Pro. It’s possible that adapting this coating to a much smaller and more frequently handled device like an iPhone introduces durability or manufacturing challenges not present in larger, less mobile devices.

A Missed Opportunity?

Had Apple succeeded in bringing this technology to the iPhone 17 Pro, it would have given the device a substantial edge, particularly in outdoor visibility and content viewing. As it stands, Samsung remains ahead in this area, offering users of its Galaxy S24 Ultra a high-quality anti-reflective screen with reduced glare and improved clarity.

This feature adds both aesthetic and functional value—enhancing the premium experience that Pro-level smartphones are expected to deliver. With Apple holding back for now, Samsung may continue to dominate this niche corner of the flagship phone market, at least until Apple circles back to it in future iPhone iterations.

Looking Ahead

While Apple fans might be disappointed by this news, the decision reflects Apple’s cautious approach to innovation. Rather than rushing a feature that may not be ready for mass deployment, Apple appears to be prioritizing quality control and manufacturing consistency—an understandable move given its reputation for polished hardware.

That said, the anti-reflective display could still make its way to future iPhones, perhaps with the iPhone 18 Pro or beyond, once the manufacturing challenges are resolved. If the company can streamline the coating process without sacrificing quality or scale, we might eventually see this display technology become a staple feature on Pro-level iPhones.

Until then, users will have to make do with current-generation screens, which, while still impressive, won’t match the anti-glare finesse of the Galaxy S24 Ultra.

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