BJP big win in Haryana: How did BJP achieve massive victory कांग्रेस की हार के क्या कारण रहे BJP को कैसे मिली बंपर जीत

BJP big win in Haryana
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BJP big win in Haryana: हरियाणा निकाय चुनाव में भाजपा ने शानदार प्रदर्शन किया है। राज्य की 10 नगर निगमों में से 9 पर भाजपा ने मेयर पद पर कब्जा जमाया, जबकि कांग्रेस अपना खाता भी नहीं खोल पाई। भाजपा ने “ट्रिपल इंजन” का नारा देकर चुनाव प्रचार किया, जिसमें मुख्यमंत्री नायब सैनी ने अहम भूमिका निभाई और पूरे अभियान की कमान संभाली।

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BJP big win in Haryana: भाजपा  की जीत के क्या कारण

इन चुनावों में भाजपा ने दावा किया कि उसने 90 फीसदी निकायों में जीत हासिल की और कांग्रेस को पूरी तरह हाशिए पर धकेल दिया। कांग्रेस की हालत इतनी खराब रही कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने खुद स्वीकार किया कि उनकी पार्टी ने चुनाव में सक्रिय रूप से भाग ही नहीं लिया।

भाजपा की इस जीत के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण रहे। सबसे बड़ा कारण रहा राज्य में भाजपा सरकार का होना, जिसका सीधा फायदा पार्टी को मिला। विधानसभा चुनाव में लगातार तीसरी बार जीत दर्ज करने के बाद भाजपा की लोकप्रियता बरकरार रही और जनता ने एक बार फिर भाजपा के पक्ष में मतदान किया।

BJP big win in Haryana

भाजपा ने अपने प्रचार में “ट्रिपल इंजन” का नारा दिया, जिसमें बताया गया कि अगर केंद्र, राज्य और नगर निगम—तीनों में भाजपा की सरकार होगी, तो विकास की रफ्तार तेज होगी। इसके अलावा, भाजपा ने बूथ स्तर पर संगठन को मजबूत किया और वार्ड-टू-वार्ड पहुंच बनाकर लोगों को अपने पक्ष में जोड़ा।

मुख्यमंत्री नायब सैनी ने खुद चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी संभाली और मंत्रियों व बड़े नेताओं को भी मैदान में उतारा। हर नगर निगम में मुख्यमंत्री ने रोड शो किए और स्थानीय स्तर पर व्यापक जनसंपर्क अभियान चलाया। इन रणनीतियों ने भाजपा को बड़ी जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई।

BJP big win in Haryana: क्यों हारी कांग्रेस

हरियाणा में निकाय और नगर निगम चुनावों में कांग्रेस की हार के पीछे कई वजहें रहीं।

  1. संगठन की कमजोरी: कांग्रेस अब तक राज्य में अपना संगठन मजबूत नहीं कर पाई है। खुद सांसद कुमारी सैलजा ने चुनाव के दौरान कहा था कि पार्टी का संगठन पिछले दस सालों से नहीं बन पाया है।
  2. अंतर्कलह और नेतृत्व संकट: विधानसभा चुनाव की तरह निकाय चुनाव में भी कांग्रेस एकजुट नहीं दिखी। चुनाव के बीच में ही प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया को बदला गया। पार्टी अध्यक्ष को हटाने की भी चर्चा हुई, लेकिन इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया। साथ ही, कांग्रेस अपना नेता प्रतिपक्ष तक तय नहीं कर पाई।
  3. नेताओं की उदासीनता: कांग्रेस के प्रमुख नेता चुनाव प्रचार से दूर रहे। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने प्रचार में रुचि नहीं ली और साफ कहा कि वह “छोटे चुनावों” में प्रचार के लिए नहीं जाते। सांसद कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला ने भी चुनाव प्रचार से दूरी बनाए रखी।

कुल मिलाकर, विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जो रणनीतिक कमजोरियां थीं, वही कहानी निकाय चुनाव में भी दोहराई गई।

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BJP big win in Haryana: हार पर क्या बोले भूपेंद्र सिंह हुड्डा

निकाय चुनाव में हार के बाद भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा, “भाजपा पहले से ही जीती हुई थी, हम तो चुनाव में गए ही नहीं।” उन्होंने यह भी कहा कि जब वे मुख्यमंत्री थे, तब भी ऐसे चुनावों में प्रचार करने नहीं जाते थे। उनके इस बयान से साफ हो गया कि कांग्रेस ने निकाय चुनावों को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई।

वहीं, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने भाजपा की इस जीत को “मोदी सरकार की नीतियों की जीत” बताया।

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