Why To We Celebrate Holi: होली एक सांस्कृतिक, धार्मिक और सामाजिक पर्व होली भारत के सबसे प्रमुख और लोकप्रिय त्योहारों में से एक है। यह त्योहार रंगों, उल्लास और सौहार्द्र का प्रतीक माना जाता है। हिंदू धर्म में होली का विशेष महत्व है, लेकिन आज यह दुनिया भर में कई समुदायों द्वारा मनाई जाती है। होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत, प्रेम, भाईचारे और नई ऊर्जा का संदेश देता है। इस लेख में हम होली का महत्व, उसकी ऐतिहासिक और पौराणिक कथाएं, वैज्ञानिक कारण और इसे मनाने की विधि पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
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होली का धार्मिक और पौराणिक महत्व होली का त्योहार मुख्य रूप से दो पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है—पहली कथा भक्त प्रह्लाद और राजा हिरण्यकश्यप की है, और दूसरी कथा भगवान कृष्ण और राधा से जुड़ी हुई है।

Why To We Celebrate Holi: प्रह्लाद, हिरण्यकश्यप और होलिका की कथा
होली के पीछे सबसे प्रसिद्ध कथा भक्त प्रह्लाद और असुर राजा हिरण्यकश्यप की है। हिरण्यकश्यप एक शक्तिशाली असुर था जिसने कठोर तपस्या कर भगवान ब्रह्मा से अमरत्व जैसा वरदान प्राप्त किया। इस वरदान के कारण वह अत्यंत अहंकारी हो गया और खुद को भगवान मानने लगा। उसने अपने राज्य में विष्णु की पूजा पर रोक लगा दी, लेकिन उसका पुत्र प्रह्लाद विष्णु का अनन्य भक्त था।
हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को विष्णु भक्ति से हटाने के कई प्रयास किए, लेकिन वह असफल रहा। अंततः उसने अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद को मारने का आदेश दिया। होलिका को वरदान था कि वह आग में नहीं जल सकती, इसलिए उसने प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठने की योजना बनाई। लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद बच गया और होलिका जलकर भस्म हो गई। यही कारण है कि होली की पूर्व संध्या पर ‘होलिका दहन’ किया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
Why To We Celebrate Holi: कृष्ण और राधा की रंग वाली होली
दूसरी पौराणिक कथा भगवान श्रीकृष्ण और राधा की प्रेम लीला से जुड़ी हुई है। माना जाता है कि भगवान कृष्ण को बचपन में पूतना राक्षसी ने विषैला दूध पिलाया था, जिसके कारण उनका रंग नीला हो गया। कृष्ण इस बात को लेकर चिंतित रहते थे कि राधा और अन्य गोपियां उनसे प्रेम करेंगी या नहीं। तब माता यशोदा ने उन्हें सलाह दी कि वे राधा और गोपियों को रंग लगा सकते हैं। कृष्ण ने राधा के चेहरे पर रंग लगाया और यहीं से रंगों की होली की परंपरा शुरू हुई।
Why To We Celebrate Holi: होली मनाने के पीछे वैज्ञानिक कारण
होली केवल धार्मिक और पौराणिक महत्व ही नहीं रखती, बल्कि इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी हैं।
- मौसम परिवर्तन और स्वास्थ्य लाभ
होली का त्योहार सर्दी के अंत और गर्मी की शुरुआत के बीच मनाया जाता है। इस समय वातावरण में कई प्रकार के बैक्टीरिया उत्पन्न होते हैं। होलिका दहन के दौरान जलने वाली लकड़ियों की गर्मी और धुआं वातावरण में मौजूद हानिकारक कीटाणुओं को नष्ट करने में मदद करता है। - रंगों का मनोवैज्ञानिक प्रभाव
रंग हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। प्राकृतिक रंग त्वचा के लिए लाभदायक होते हैं और तन-मन को नई ऊर्जा प्रदान करते हैं। - सामाजिक समरसता
होली के दिन सभी आपसी भेदभाव को भूलकर एक-दूसरे को रंग लगाते हैं और गले मिलते हैं। इससे समाज में प्रेम और भाईचारे की भावना को बढ़ावा मिलता है।
Why To We Celebrate Holi: होली का उत्सव और परंपराएं
होली का त्योहार दो दिनों तक मनाया जाता है—पहला दिन होलिका दहन और दूसरा दिन रंगों की होली।

1. होलिका दहन
होली से एक दिन पहले रात को लकड़ियों और उपलों का विशाल ढेर जलाकर होलिका दहन किया जाता है। इसे ‘चोटी होली’ या ‘होलिका पूजन’ भी कहा जाता है। इस दिन लोग अग्नि की परिक्रमा कर बुराई को नष्ट करने और अच्छे कार्यों को अपनाने की प्रार्थना करते हैं।
2. रंगों वाली होली
अगले दिन सभी लोग रंगों से खेलते हैं, एक-दूसरे को गुलाल लगाते हैं और पानी में भीगकर होली का आनंद लेते हैं। इस दिन पकवानों का विशेष महत्व होता है। खासकर गुजिया, ठंडाई, मालपुआ, दही-भल्ले आदि इस दिन बनाए जाते हैं।
Why To We Celebrate Holi: भारत में होली के विभिन्न रूप
भारत के विभिन्न राज्यों में होली को अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है:
- ब्रज और मथुरा की लठमार होली – इसमें महिलाएं पुरुषों को लाठियों से मारती हैं और पुरुष ढाल से अपनी रक्षा करते हैं।
- शांतिनिकेतन की बसंत उत्सव – रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा शुरू की गई इस होली में रंगों के साथ-साथ नृत्य और संगीत का आयोजन किया जाता है।
- पंजाब की होला मोहल्ला – यह सिखों का विशेष उत्सव होता है, जिसमें युद्ध कौशल का प्रदर्शन किया जाता है।
- बिहार की फगुआ – इसमें फाग गीतों और ढोल-नगाड़ों के साथ होली खेली जाती है।
Why To We Celebrate Holi: होलिका दहन मुहूर्त 2025
13 मार्च को होलिका दहन का मुहूर्त या होली पूजा का मुहूर्त 1 घंटा 4 मिनट का है! उस रात भद्रा के समापन पर ही होलिका दहन किया जाएगा! होलिका दहन का मुहूर्त रात 11:26 पी एम से देर रात 12:30 बजे तक है!
निष्कर्ष
होली केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि यह प्रेम, सद्भाव, भाईचारे और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह त्योहार हमें आपसी मतभेद भुलाकर एकता और सौहार्द बनाए रखने की सीख देता है। होली के रंग हमें जीवन के हर पहलू में खुशियां घोलने की प्रेरणा देते हैं। इसीलिए, हर साल यह पर्व पूरे हर्षोल्लास से मनाया जाता है और हमें आनंद और उमंग से भर देता है।
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