What is CAA: नागरिकता संशोधन अधिनियम, CAA , 2019 तीन पड़ोसी देशों (पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश) के जातीय अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देने का मार्ग प्रशस्त करता है, जो लंबे समय से भारत में शरण मांग रहे हैं। इस कानून में भारतीयों को चाहे उनका धर्म कुछ भी हो, नागरिकता से वंचित करने का कोई प्रावधान नहीं है। इस कानून से मुसलमानों या किसी भी धर्म या समुदाय के लोगों के नागरिकता अधिकार को कोई खतरा नहीं है।लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले मोदी सरकार ने बड़ा सियासी दांव चल दिया है। केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है।
What is CAA: CAA कब पारित हुआ?
सीएए को भारतीय संसद द्वारा 11 दिसंबर, 2019 को पक्ष में 125 और विपक्ष में 105 वोटों से पारित किया गया था। इस बिल को 12 दिसंबर को राष्ट्रपति ने भी मंजूरी दे दी थी
नागरिकता संशोधन कानून यानी CAA का फुल फॉर्म Citizenship Amendment Act है। CAA – नागरिकता संशोधन अधिनियम। संसद द्वारा पारित होने से पहले यह CAB (नागरिकता संशोधन विधेयक) था। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह बिल नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) बन गया।
What is CAA: CAA पर क्यों है विवाद?
नागरिकता (संशोधन) अधिनियम अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से कुछ धार्मिक समुदायों (हिंदू, सिख, जैन, ईसाई, बौद्ध और पारसी) के अवैध प्रवासियों को भारतीय नागरिकता का प्रावधान प्रदान करता है। कुछ आलोचकों का कहना है कि यह प्रावधान भेदभावपूर्ण है क्योंकि इसमें मुसलमानों को ध्यान में नहीं रखा गया है। इस वजह से यह विवादों में घिरा हुआ है।
What is CAA: नागरिकता किसे मिलती है?
CAA लागू होने के बाद नागरिकता देने का अधिकार पूरी तरह से केंद्र सरकार के पास है. पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी धर्म के शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता दी जाएगी। हम आपको याद दिला दें कि केवल वही लोग नागरिकता प्राप्त कर सकते हैं जो 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में आकर बस गए हों। इस कानून के अनुसार, जो व्यक्ति वैध यात्रा दस्तावेजों (पासपोर्ट और वीजा) के बिना भारत में प्रवेश कर चुके हैं या जो वैध दस्तावेजों के साथ भारत आए हैं, लेकिन निर्धारित अवधि से अधिक समय तक भारत में रहे हैं, उन्हें अवैध अप्रवासी माना जाता है।
What is CAA: विपक्षी नेताओं का सरकार पर वार
कांग्रेस का कहना है कि दिसंबर 2019 में संसद द्वारा पारित नागरिकता संशोधन अधिनियम के नियमों की घोषणा करने में मोदी सरकार को चार साल और तीन महीने लग गए। वहीं, सांसद ओवैसी ने भी मोदी सरकार की मंशा पर सवाल उठाए। कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह ने कहा कि बीजेपी का एकमात्र लक्ष्य हर मुद्दे को हिंदू-मुस्लिम बनाना है!
What is CAA: CAA मामला सुप्रीम कोर्ट में गया
भारत की मुस्लिम लीग प्रतिबंध की मांग कर रही है यूनियन मुस्लिम लीग ऑफ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर नए नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) 2024 पर रोक लगाने की मांग की है। यह याचिका नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 और नागरिकता संशोधन अधिनियम के विवादास्पद प्रावधानों के आगे कार्यान्वयन को रोकने की मांग करती है। 2024. याचिका में कहा गया है कि यह अनुच्छेद केवल कुछ धर्मों को लाभ पहुंचाता है।
इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए), 2024 के नए नियमों पर रोक लगाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 और नागरिकता संशोधन नियम 2024 के विवादित प्रावधानों के निरंतर संचालन पर रोक लगाने की मांग की गई है।
इस याचिका में तर्क दिया गया है कि यह कानून और कानून मूल्यवान अधिकार बनाते हैं और केवल एक निश्चित धर्म से संबंधित लोगों को नागरिकता प्रदान करते हैं। इस कारण वर्तमान रिट याचिका पर सुनवाई नहीं हो सकी है और संभावना है कि यह खारिज कर दी जायेगी!
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