
तुलसी विवाह 2025: 1, 2 या 5 नवंबर — किस दिन है तुलसी विवाह? कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी मनाई जाती है, और इसके अगले दिन तुलसी विवाह का पवित्र पर्व होता है। यह पर्व हिंदू धर्म में एक विशेष स्थान रखता है, क्योंकि इसी दिन भगवान विष्णु चार महीने की योगनिद्रा से जागते हैं और मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है।
वर्ष 2025 में, तुलसी विवाह की तिथि को लेकर भक्तों के मन में असमंजस है कि यह 1, 2 या 5 नवंबर को मनाया जाएगा। इस लेख में हम पंचांग के आधार पर तुलसी विवाह 2025 की सही तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा की सरल विधि और इसके धार्मिक महत्व को विस्तार से जानेंगे।

तुलसी विवाह 2025: सही तिथि और शुभ मुहूर्त
तुलसी विवाह 2025: 1, 2 या 5 नवंबर — किस दिन है तुलसी विवाह? तुलसी विवाह का पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है। यह तिथि देवउठनी एकादशी के ठीक अगले दिन आती है।
देवउठनी एकादशी 2025
सबसे पहले देवउठनी एकादशी की तिथि जानना आवश्यक है, क्योंकि इसी के बाद तुलसी विवाह होता है।
| विवरण | तिथि | समय |
| एकादशी तिथि प्रारंभ | 1 नवंबर 2025, शनिवार | सुबह 09 बजकर 11 मिनट से |
| एकादशी तिथि समाप्त | 2 नवंबर 2025, रविवार | सुबह 07 बजकर 31 मिनट तक |
चूंकि एकादशी तिथि का समापन 2 नवंबर को सूर्योदय से पहले हो रहा है, इसलिए देवउठनी एकादशी का व्रत 1 नवंबर 2025, शनिवार को रखा जाएगा।
तुलसी विवाह 2025
तुलसी विवाह 2025: 1, 2 या 5 नवंबर — किस दिन है तुलसी विवाह? तुलसी विवाह द्वादशी तिथि को होता है।
| विवरण | तिथि | समय |
| द्वादशी तिथि प्रारंभ | 2 नवंबर 2025, रविवार | सुबह 07 बजकर 33 मिनट से |
| द्वादशी तिथि समाप्त | 3 नवंबर 2025, सोमवार | सुबह 02 बजकर 07 मिनट तक |
उदया तिथि के अनुसार, द्वादशी तिथि 2 नवंबर को पूरे दिन रहेगी। इसलिए, तुलसी विवाह का पर्व 2 नवंबर 2025, रविवार को मनाया जाएगा।
निष्कर्ष: तुलसी विवाह 2025 की सही तिथि 2 नवंबर, रविवार है। हालांकि, कई स्थानों पर एकादशी से लेकर पूर्णिमा (5 नवंबर) तक तुलसी विवाह का आयोजन किया जाता है, लेकिन मुख्य तिथि 2 नवंबर ही है।
तुलसी विवाह का धार्मिक महत्व
तुलसी विवाह 2025: 1, 2 या 5 नवंबर — किस दिन है तुलसी विवाह? तुलसी विवाह केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह भगवान विष्णु और माता तुलसी के मिलन का उत्सव है।
•मांगलिक कार्यों की शुरुआत: इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की योगनिद्रा से जागते हैं, जिसे चातुर्मास का समापन माना जाता है। इसके साथ ही विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे सभी मांगलिक और शुभ कार्य फिर से शुरू हो जाते हैं।
•कन्यादान का पुण्य: मान्यता है कि जो भक्त विधि-विधान से तुलसी और शालिग्राम का विवाह कराते हैं, उन्हें कन्यादान के समान पुण्य प्राप्त होता है। इससे उनके जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और घर में सुख-समृद्धि आती है।
•मोक्ष की प्राप्ति: तुलसी को भगवान विष्णु की प्रिय माना जाता है। तुलसी विवाह कराने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी दोनों का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
तुलसी विवाह की सरल पूजा विधि
तुलसी विवाह 2025: 1, 2 या 5 नवंबर — किस दिन है तुलसी विवाह? तुलसी विवाह का आयोजन किसी भी विवाह समारोह की तरह ही किया जाता है। यहां एक सरल पूजा विधि दी गई है:
1. तैयारी: पूजा स्थल को साफ करें और तुलसी के पौधे के चारों ओर सुंदर रंगोली बनाएं। तुलसी के गमले को गेरू और चूने से सजाएं।
2. मंडप: तुलसी के पौधे के ऊपर गन्ने या किसी अन्य सामग्री से एक छोटा सा मंडप बनाएं।
3. तुलसी का श्रृंगार: माता तुलसी को लाल चुनरी, चूड़ियां, बिंदी, मेहंदी और अन्य सुहाग की सामग्री अर्पित करें।
4. शालिग्राम की स्थापना: भगवान शालिग्राम (जो भगवान विष्णु का प्रतीक हैं) को स्नान कराकर तुलसी के गमले के पास स्थापित करें।
5. विवाह की रस्में:
• शालिग्राम को तुलसी के चारों ओर सात बार परिक्रमा कराएं।
• तुलसी और शालिग्राम को हल्दी और कुमकुम का तिलक लगाएं।
• तुलसी को चुनरी ओढ़ाएं और शालिग्राम को जनेऊ पहनाएं।
• विवाह के मंत्रों का जाप करते हुए दोनों का गठबंधन करें।
• पूजा के अंत में आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
6.कन्यादान: विवाह संपन्न होने के बाद, तुलसी के पौधे को शालिग्राम को समर्पित करते हुए कन्यादान की भावना से पूजा करें।
तुलसी विवाह की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, जालंधर नामक एक अत्यंत शक्तिशाली असुर था, जिसकी पत्नी वृंदा एक परम पतिव्रता स्त्री थी। वृंदा के सतीत्व के कारण जालंधर को कोई भी पराजित नहीं कर सकता था। जालंधर के अत्याचारों से परेशान होकर देवताओं ने भगवान विष्णु से सहायता मांगी।

भगवान विष्णु ने जालंधर का रूप धारण कर वृंदा के सतीत्व को भंग कर दिया। जैसे ही वृंदा का सतीत्व भंग हुआ, जालंधर की शक्ति समाप्त हो गई और वह युद्ध में मारा गया। जब वृंदा को भगवान विष्णु के छल का पता चला, तो उन्होंने क्रोधित होकर भगवान विष्णु को पत्थर (शालिग्राम) बनने का श्राप दिया और स्वयं सती हो गईं।
तुलसी विवाह 2025: 1, 2 या 5 नवंबर — किस दिन है तुलसी विवाह? वृंदा की राख से एक पौधा उत्पन्न हुआ, जिसे भगवान विष्णु ने तुलसी नाम दिया और वरदान दिया कि उनका विवाह शालिग्राम रूप में तुलसी से ही होगा। तभी से हर साल देवउठनी एकादशी के अगले दिन तुलसी और शालिग्राम का विवाह कराया जाता है।
तुलसी विवाह का महत्व: एक तालिका में
| पहलू | महत्व |
| तिथि | कार्तिक शुक्ल द्वादशी (2 नवंबर 2025) |
| मुख्य उद्देश्य | भगवान विष्णु का योगनिद्रा से जागरण और मांगलिक कार्यों की शुरुआत। |
| प्राप्त पुण्य | कन्यादान के समान पुण्य, सुख-समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति। |
| विवाह के पात्र | माता तुलसी (वृंदा का रूप) और भगवान शालिग्राम (विष्णु का रूप)। |
तुलसी विवाह का यह पर्व हमें पवित्रता, प्रेम और समर्पण का संदेश देता है। यह दिन हर हिंदू परिवार के लिए खुशियों और नए आरंभ का प्रतीक होता है। इस दिन सच्चे मन से किया गया पूजन आपके जीवन में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का अनंत आशीर्वाद लेकर आता है।
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