बेटे की शादी में मां क्यों नहीं जाती बारात? जानिए इसके पीछे का कारण

शादी करने के तरीके को लेकर आज भला जमाना बदल गया है। लेकिन रस्म-रिवाज आज भी पहले की तरह ही चल रही है। फेरा, कन्यादान, सिंदूरदान और मंगलसूत्र पहनाने की रस्म के साथ ही कोई भी हिंदू विवाह संपन्न माना जाता है। वहीं भारत में शादी दो लोगों के बीच नहीं बल्कि दो परिवारों के बीच होती है। शादी में दो लोग ही नहीं दो परिवारों का मिलना होता है और इस रिश्ते को सभी को बखूबी निभाना होता है। शादी में पूरा परिवार और खानदान शामिल होता है लेकिन आज भी कई जगह दूल्हे की मां बेटे की शादी नहीं देखती हैं। इसके पीछे कई कारण हैं। 

गृह प्रवेश की तैयारी

शादी के बाद जब बारात वापस आती है तब ससुराल में दुल्हन का स्वागत रस्मों के साथ किया जाता है। तो दूल्हे की मां बहू के गृह प्रवेश की तैयारी के लिए भी घर पर रुक जाती हैं। दरअसल, नई दुल्हन का गृह प्रवेश बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। इस दौरान कई रस्में भी की जाती है, जिसके लिए बहुत सी तैयारी करनी होती है।

चोरी-डकैती के डर से

कहा जाता है कि पहले मां भी बेटे की शादी में शामिल हुआ करती थीं लेकिन मुगल काल के बाद सब बदल गया। दरअसल, कहा जाता है कि मुगल शासन के दौरान चोरी-डकैती का खतरा काफी था। ऐसे में घर खाली रहने पर चोरी का खतरा अधिक था। यही वजह है कि महिलाएं घर पर रुककर घर की रखवाली के साथ नई दुल्हन के गृह प्रवेश की तैयारी में जुटी रहती थीं।

अब बदला जमाना

बदलते दौर के साथ अब दूल्हे की मां भी बेटे की शादी में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने लगी हैं। वह बारात में जमकर डांस भी करती हैं। हालांकि, यूपी, बिहार, राजस्थान और मध्यप्रदेश के कई हिस्सों में अब भी माएं बेटे की शादी नहीं देखती हैं।

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