HomeCitizen NewsWhat is Tulbul Project: भारत के लिए क्यों है अहम पाकिस्तान की...

What is Tulbul Project: भारत के लिए क्यों है अहम पाकिस्तान की कैसे अटकी है जान

What is Tulbul Project: जम्मू-कश्मीर की सियासत में एक बार फिर तुलबुल नेविगेशन प्रोजेक्ट को लेकर जबरदस्त हलचल मची है। इस बार बहस की वजह बने हैं पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती, जिनके बीच इस मुद्दे पर तीखी जुबानी जंग छिड़ गई है।

Subscribe to IBN24 NEWS NETWORK’s Facebook channel today for real-time updates!

Channel Link:
 https://www.facebook.com/ibn24newsnetwork

पूरा विवाद तब शुरू हुआ जब उमर अब्दुल्ला ने सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty – IWT) के निलंबन के संदर्भ में वुलर झील पर तुलबुल प्रोजेक्ट का काम फिर से शुरू करने की वकालत की। उनका कहना था कि यह प्रोजेक्ट जम्मू-कश्मीर के हित में है और भारत को इसे आगे बढ़ाना चाहिए। वहीं, महबूबा मुफ्ती को उमर का यह बयान बिल्कुल रास नहीं आया। उन्होंने इसे “गैर-जिम्मेदाराना” और “खतरनाक रूप से भड़काऊ” करार दिया।

What is Tulbul Project: जुबानी जंग के पीछे की असल वजह

What is Tulbul Project

महबूबा मुफ्ती का तर्क है कि ऐसे बयान सीमापार तनाव बढ़ा सकते हैं और जम्मू-कश्मीर की शांति प्रक्रिया पर असर डाल सकते हैं। उनका मानना है कि भारत और पाकिस्तान के बीच बनी सिंधु जल संधि जैसी संधियों का सम्मान किया जाना चाहिए। दूसरी ओर, उमर अब्दुल्ला ने पलटवार करते हुए कहा कि महबूबा मुफ्ती “सीमा पार के कुछ लोगों को खुश करने की अंध लालसा” में सच को नजरअंदाज कर रही हैं और जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ हुए “ऐतिहासिक विश्वासघात” को नहीं समझ रहीं।

What is Tulbul Project: क्या है तुलबुल नेविगेशन प्रोजेक्ट

तुलबुल नेविगेशन प्रोजेक्ट, जिसे आमतौर पर वुलर बैराज भी कहा जाता है, जम्मू-कश्मीर के बारामूला जिले में स्थित वुलर झील के मुहाने पर प्रस्तावित एक लॉक-कम-कंट्रोल स्ट्रक्चर है। इस परियोजना का उद्देश्य झेलम नदी में जल प्रवाह को नियंत्रित करना है, खासकर अक्टूबर से फरवरी के महीनों में जब नदी में पानी की मात्रा कम हो जाती है।

इस प्रोजेक्ट के माध्यम से न केवल नौवहन (navigation) को सुगम बनाया जा सकता है, बल्कि यह क्षेत्र में बाढ़ नियंत्रण और जल प्रबंधन में भी अहम भूमिका निभा सकता है।

What is Tulbul Project: पाकिस्तान क्यों कर रहा है विरोध

जब भारत ने 1987 में इस परियोजना पर काम शुरू किया, तब पाकिस्तान ने इसका कड़ा विरोध किया। पाकिस्तान का कहना है कि यह प्रोजेक्ट सिंधु जल संधि का उल्लंघन है, क्योंकि यह एक तरह का “स्टोरेज बैराज” है। पाकिस्तान का दावा है कि भारत इस प्रोजेक्ट के जरिए झेलम नदी पर जल संग्रहण कर सकता है, जिसकी अनुमति IWT के तहत नहीं है।

पाकिस्तान का तर्क है कि इस बैराज की क्षमता लगभग 0.3 मिलियन एकड़ फीट (0.369 बिलियन घन मीटर) पानी रोकने की है, जो downstream यानी पाकिस्तान में पानी के बहाव को प्रभावित कर सकता है।

What is Tulbul Project: भारत का पक्ष क्या है

भारत का कहना है कि तुलबुल प्रोजेक्ट पूरी तरह से “नॉन-कंजम्पटिव” है, यानी यह पानी की खपत नहीं करता, बल्कि सिर्फ जल प्रवाह को नियंत्रित करता है। यह IWT के तहत अनुमत गतिविधि है।

IDSA के वरिष्ठ फेलो डॉ. उत्तम सिन्हा के मुताबिक, पाकिस्तान अब तक यह साबित नहीं कर पाया है कि इस प्रोजेक्ट से उसके हिस्से में पानी की कोई कमी आएगी। भारत की दलील है कि यह प्रोजेक्ट स्थानीय विकास, परिवहन सुविधा, और जल प्रबंधन के लिए जरूरी है और इससे पाकिस्तान को कोई नुकसान नहीं होगा।

What is Tulbul Project: भारत के लिए क्यों अहम है यह परियोजना

स्थानीय विकास: जम्मू-कश्मीर की जनता लंबे समय से इस परियोजना को लेकर आशान्वित रही है। इससे न केवल जल यातायात में सुधार होगा, बल्कि कृषि, पर्यटन और व्यापार को भी बढ़ावा मिलेगा।

बाढ़ नियंत्रण और जल प्रबंधन: वुलर झील से जल निकासी को संतुलित करने में मदद मिलेगी, जिससे निचले इलाकों में जल-जमाव और बाढ़ की समस्या कम होगी।

रणनीतिक महत्व: वर्तमान परिप्रेक्ष्य में यह प्रोजेक्ट भारत की रणनीतिक प्राथमिकताओं का हिस्सा बन चुका है। सिंधु जल संधि के निलंबन के बाद भारत के लिए यह एक मौका है कि वह अपनी जल संसाधन नीति को अधिक मजबूती और मुखरता के साथ लागू कर सके।

जलविद्युत उत्पादन में लाभ: यह प्रोजेक्ट झेलम नदी में पानी की गहराई बनाए रखने में भी मदद करेगा, जिससे भविष्य में जलविद्युत उत्पादन में भी लाभ हो सकता है।

What is Tulbul Project: अब आगे क्या

अब जबकि भारत ने औपचारिक रूप से सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया है, विशेषज्ञों का मानना है कि तुलबुल परियोजना को जमीन पर उतारने का यह सबसे उचित समय है।

यह प्रोजेक्ट केवल एक जल संसाधन योजना नहीं रह गया है। यह भारत की आंतरिक राजनीति, क्षेत्रीय विकास, और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति का अहम हिस्सा बन चुका है। पाकिस्तान के लगातार विरोध के बावजूद भारत के लिए यह जरूरी है कि वह अपने संसाधनों का स्वतंत्र और जिम्मेदाराना तरीके से इस्तेमाल करे।

निष्कर्ष

तुलबुल नेविगेशन प्रोजेक्ट आज कश्मीर की नदियों में बहते पानी से कहीं अधिक बन चुका है। यह परियोजना अब भारत की संप्रभुता, कश्मीर के विकास, और आर्थिक-सामरिक नीति का प्रतीक है। उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती की बयानबाजी के बीच असली सवाल यह है कि क्या भारत इस मौके को भुनाकर अपने हितों को प्राथमिकता देगा या फिर कूटनीतिक दबाव में एक और बार इसे टाल देगा।आर्थिक-सामरिक नीति का प्रतीक है। उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती की बयानबाजी के बीच असली सवाल यह है कि क्या भारत इस मौके को भुनाकर अपने हितों को प्राथमिकता देगा या फिर कूटनीतिक दबाव में एक और बार इसे टाल देगा।

पल पल की खबर के लिए IBN24 NEWS NETWORK का YOUTUBE चैनल आज ही सब्सक्राइब करें। चैनल लिंक: https://youtube.com/@IBN24NewsNetwork?si=ofbILODmUt20-zC3

ये भी पढ़ें चंडीगढ़ में फिर से सायरन की गूंज, दिल्ली, यूपी से राजस्थान तक अलर्ट,पाकिस्तान को भारत की करारी चेतावनी

Html code here! Replace this with any non empty raw html code and that's it.
Exit mobile version