भारत में क्या हैं किडनी ट्रांसप्लांट के नियम, जानिए- कौन दे सकता है?

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की बेटी ने रोहिणी आचार्य ने अपने पिता को एक किडनी दी. सिंगापुर में उनकी सफलतापूर्वक ट्रांसप्लांट सर्जरी पांच दिसंबर को हुई. इसे लेकर सोशल मीडिया में लोग रोहिणी आचार्य के बारे में चर्चा कर रहे हैं. वहीं, कई लोगों के मन में ये सवाल भी आ रहे हैं कि भारत में किडनी डोनेशन के क्या नियम हैं. क्यों लोग भारत की जगह विदेशों में जाना प्रिफर करते हैं. कौन-कौन लोग किडनी डोनेट कर सकता है. आइए-ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब जानते हैं.

NOTTO की ओर दी गई जानकारी के अनुसार, किडनी दो तरह के लोग डोनेट कर सकते हैं. पहले तो जीवित दाता यानी ऐसा व्यक्ति जो अपनी मर्जी से अपना एक गुर्दा दान कर सकता है क्योंकि दूसरा गुर्दा दाता के लिए पर्याप्त रूप से शरीर के कार्यों को बनाए रखने में सक्षम है. इसके अलावा दूसरे प्रकार में मृत दाता आते हैं. वो लोग जिनकी किसी कारण से (मस्तिष्क-स्टेम/कार्डियक) मृत्यु हो जाती है. ऐसे लोग अपने कई अंग और ऊतक दान कर सकता है. इस तरह उसके कई अंग दूसरे रोगी को जीवनदान देते हैं.

क्या होती है आयु सीमा?

वैसे तो अंग दान के लिए आयु सीमा अलग-अलग होती है. यह इस बात पर निर्भर करता है कि यह जीवित दान है या शव दान. उदाहरण के लिए जीवित दान में, व्यक्ति की आयु 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए, और अधिकांश अंगों के लिए निर्णायक कारक व्यक्ति की शारीरिक स्थिति है न कि आयु. विशेषज्ञ या स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर मृत्यु के बाद ये तय करते हैं कि कौन से अंग दूसरे के लिए उपयुक्त हैं. 70 और 80 के दशक में लोगों के अंग और ऊतक पूरी दुनिया में सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित किए गए हैं. इसमें  ऊतकों और आंखों के मामले में आमतौर पर उम्र मायने नहीं रखती. एक मृत दाता आम तौर पर अंगों और ऊतकों को दान कर सकता है जिसकी आयु सीमा होती है. लेकिन किडनी और लिवर दान की आयु सीमा अध‍िकतम 70 साल होती है. 

कौन दे सकता है किडनी

किडनी डोनेशन में परिवार के सदस्य जैसे दादा-दादी, नाना-नानी, माता-पिता, पति-पत्नी, भाई-बहन या बच्चे डोनेट कर सकते हैं. बता दें कि अंग प्रत्यारोपण केवल जीवन रक्षक उपचार के रूप में किया जाता है. केवल ट्रांसप्लांट टीम ही यह तय कर सकती है कि मरीज को मिलने वाला लाभ डोनर के सामने आने वाले जोखिम के लायक है या नहीं. प्रत्यारोपण टीम डोनर की मृत्यु दर और रुग्णता को ध्यान में रखती है. 

क्यों विदेश में कराते हैं सर्जरी 

बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका और चीन के बाद भारत तीसरा देश है जहां किडनी या अंगों का ट्रांसप्लांट सबसे ज़्यादा होता है. ये आंकड़ा ग्लोबल ऑब्ज़र्वेटरी ऑन डोनेशन एंड ट्रांसप्लांटेशन ने जारी किया है. लेकिन ये लोगों की निजी इच्छा और सुव‍िधाओं पर निर्भर करता है कि वो कहां सर्जरी कराएं. हालांकि विदेशों से भी बड़ी संख्या में रोगी यहां आकर ट्रांसप्लांट कराते हैं. 

क्या है भारत का कानून? 

भारतीय कानून के तहत अंग प्रत्यारोपण और दान की अनुमति दी जाती है. ये मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994′ के तहत कवर किया गया है, जिसमें जीवित और मृत मस्तिष्क वाले डोनर द्वारा पहले से अंग दान की अनुमति दी गई है. वर्ष 2011 में अधिनियम के संशोधन के जरिए मानव ऊतकों के दान को इसमें शामिल किया गया है और इस प्रकार संशोधित अधिनियम ऊतक और अंग प्रत्यारोपण अधिनियम 2011” कहलाता है.

किडनी ट्रांसप्लांटेशन पर मिलती है सब्स‍िडी

अंग प्रत्यारोपण के लिए भारत सरकार ने राष्ट्रीय अंग और प्रत्‍यारोपण कार्यक्रम (एनओटीपी) आरंभ किया है, जिसके तहत गरीबी रेखा से नीचे के रोगियों को प्रत्यारोपण के खर्च के अलावा प्रत्यारोपण के बाद एक वर्ष तक दवाओं का खर्च पूरा करने के लिए आर्थिक रूप से समर्थन दिया जाता है. इसके अलावा सभी सार्वजनिक अस्पताल में गुर्दा प्रत्यारोपण पर भारत सरकार की नीति के अनुसार सब्सिडी दी जाती है.

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