
कैथल: आम आदमी आज जहां पहले ही महंगाई के बोझ तले दबा है, ऐसे में निजी स्कूल उसके बोझ और बढ़ा देते हैं. हर साल एडमिशन के दौरान निजी स्कूल नए नियमों के तहत अपनी जेबें भरते हैं और अभिभावक बोझ तले दबते जाते हैं. लेकिन अब कैथल में ऐसा नहीं होगा. निजी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों ने इसी दिक्कत का तोड़ निकाल लिया है. निजी स्कूल संचालकों की मनमानी पर लगाम लगाने के लिए अभिभावकों ने बुक बैंक बनाया है.
बुक बैंक के हिसाब से पुरानी किताबों का सेट देकर बच्चे अगली कक्षा की किताबें ले सकेंगे. बुक बैंक के इस आइडिया से अभिभावकों के हर साल करीब 4 से 5 हजार रुपये बचेंगे. विभागीय आदेशों को दरकिनार कर जिले के अधिकतर निजी स्कूल एनसीईआरटी के बजाय निजी प्रकाशकों की पुस्तकें लगवा रहे हैं, जो कई गुना महंगी हैं. स्कूल संचालकों की यह मनमानी अभिभावकों की जेब पर भारी पड़ रही है. ऐसे में बुक बैंक का ये आइडिया अभिभावकों को राहत देता नजर आ रहा है.
तीन साल पहले शुरू हुआ बुक बैंक
स्टूडेंट पैरेंट वेलफेयर ग्रुप के गुरमीत सिंह ने बताया कि यह संस्था तीन साल पुरानी है और इसी संस्था के तहत यह बुक बैंक शुरू किया गया है. बताया कि करीब तीन साल पहले जब निजी स्कूलों द्वारा अभिभावकों की जेबों पर डाका डल रहा था और कोरोना की वजह से कुछ लोगों के पास कमाई के साधन कम हो गए थे, तब ये आईडिया आया. अभिभावकों को इकट्ठा करके एक अभिभावक मंच तैयार किया गया. उसके बाद एक ऐसी जगह देखी गई, जहां खर्च भी न आए और स्कूली बच्चे अपनी किताबें देकर अगली कक्षा की किताबें आसानी से बिना किसी शुल्क के ले जाएं.
पुरानी ड्रेस भी ले सकते हैं
अभिभावकों की मेहनत रंग लाई और लोगों ने जुड़ना शुरू किया. आज लगभग 1500 से अधिक अभिभावक इस बुक बैंक से जुड़े हैं. इस बुक बैंक में कक्षा एक से लेकर 12वीं तक की किताबें उपलब्ध हैं. यहां पर पुरानी स्कूल ड्रेस भी उपलब्ध हैं, जिसमें जो अभिभावक नई स्कूल ड्रेस नहीं खरीद सकते वे यहां से पुरानी ड्रेस देकर या फिर कम दाम में स्कूल ड्रेस खरीद सकते हैं.