
पानीपत। सिरसा स्थित डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह राम रहीम का प्रभाव क्षीण भले हुआ हो, लेकिन अब भी बड़ी संख्या में लोग गुरमीत के प्रति श्रद्धावनत हैं। इसका प्रमाण पानीपत के सेक्टर 13-17 में हुआ वर्चुअल सत्संग है। लगभग 15 हजार डेरा अनुयायी जुटे थे, जबकि पूर्व में उनकी उपस्थित लाखों की संख्या में होती थी। यह बात अलग है कि अब भी डेरे के अनुयायियों के लिए गुरमीत मैसेंजर आफ गाड हैं, और उनका मानना है गुरुदेव षडयंत्र का शिकार हुए हैं।
कई नगरों में कर रहे वर्चुअल सत्संग
अनुयायी तो डेराप्रमुख को पूज्य मानते हैं, लेकिन उनकी घटती संख्या से डेराप्रमुख निश्चित रूप से चिंतित हैं। अनुयायियों की संख्या ही तो उनकी शक्ति थी, अब भी है। यदि यह क्षीण होती है तो राजनीति में उनके प्रभाव पर दुष्प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है। संभवतः इसीलिए डेरा प्रमुख हरियाणा के कई नगरों में आभासी (वर्चुअल) सत्संग कर रहे हैं। इसमें वह पूर्व की भांति अनुयायियों को सदमार्ग पर चलने का संदेश देते हैं।
राजनीति से जुड़े लोग नतमस्तक
यद्यपि इसके निहितार्थ कुछ और हैं। जैसे,अनुयायी बिखरने न पाएं और डेराप्रमुख का आभामंडल समाप्त न हो जाए। यदि उनका आभामंडल क्षीण हुआ तो अनुयायी कम हो जाएंगे और राजनीति से जुड़े लोग उनके सामने नतमस्तक भी नहीं होंगे। सो, वह अपनी तरफ से अपने प्रभाव को बचाए रखने के लिए भरपूर प्रयास कर रहे हैं। इसमें उन्हें कुछ सीमा तक सफलता भी प्राप्त हो रही है।
राजनीति से जुड़े लोग नतमस्तक
यद्यपि इसके निहितार्थ कुछ और हैं। जैसे,अनुयायी बिखरने न पाएं और डेराप्रमुख का आभामंडल समाप्त न हो जाए। यदि उनका आभामंडल क्षीण हुआ तो अनुयायी कम हो जाएंगे और राजनीति से जुड़े लोग उनके सामने नतमस्तक भी नहीं होंगे। सो, वह अपनी तरफ से अपने प्रभाव को बचाए रखने के लिए भरपूर प्रयास कर रहे हैं। इसमें उन्हें कुछ सीमा तक सफलता भी प्राप्त हो रही है।
ये राजनेता भी पहुंचे
पानीपत में उनके आभासी सत्संग में पानीपत ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र के विधायक महिपाल ढांडा के भाई हरपाल ढांडा, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बुल्लेशाह के पुत्र विपुल शाह, मेयर अवनीत कौर, सीनियर डिप्टी मेयर दुष्यंत भट्ट, डिप्टी मेयर रविंद्र फुले, पार्षद लोकेश नांगरू, शकुंतला गर्ग, संजीव दहिया, अंजलि शर्मा, अशोक कटारिया , मंजीत कौर की उपस्थिति इसका प्रमाण है।
डेरे ने किया था भाजपा का समर्थन
उल्लेखनीय है कि 2014 से चुनावों से पहले प्रदेश भाजपा के दिग्गज नेता रामबिलास शर्मा का डेरे में गुरमीत के सामने दंडवत करते हुए चित्र बहु प्रसारित हुआ था। उस चुनाव में डेरे ने भाजपा का समर्थन भी किया था। भाजपा की सरकार बन गई। उसके बाद साध्वी यौन शोषण कांड में बीस साल के कारावास से दंडित किए जाने के पश्चात वह जेल चले गए। डेरे में उत्तराधिकार को लेकर शीतयुद्ध चलने लगा। अब अपनी कथित बेटी हनीप्रीत को उत्तराधिकारी के रूप में प्रस्तुत कर गुरमीत जेल से फरलो मिलने के बाद एक बार फिर से अपने प्रभाव की पुनर्वापसी के लिए प्रयासरत हैं।
2019 में नहीं किया था समर्थन
उल्लेखनीय है सन 2019 के विधानसभा चुनाव में डेरे ने किसी राजनीतिक दल का समर्थन नहीं किया था। वास्तव में तब किसी दल ने इसके लिए प्रत्यक्ष रूप से याचना भी नहीं की थी। हां, कुछ प्रत्याशी अवश्य नेपथ्य में प्रयास किए थे। लेकिन इसबार हिमाचल चुनाव में कई नेता उनके शरणागत होते देखे गए। यह बात अलग है कि हरियाणा में पंचायत चुनावों में डेरा की कोई प्रमुख भूमिका स्पष्ट नहीं नजर आई। शायद डेराप्रमुख को यह आभास रहा हो कि इससे उनके अनुयायियों में बिखराव हो सकता है। लेकिन डेरा अगले चुनाव में अपने राजनीतिक प्रभाव को दर्शाने से नहीं चूकेगा, ऐसा राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है।