कोरोना वायरस का आसानी से शिकार हो रहे हैं ये लोग

देश में जारी 21 दिन के लॉकडाउन का शुरुआती दो हफ्ता गुजर चुका है। पिछले 14 दिन के दौरान यानी 25 मार्च से 7 अप्रैल के बीच देश में कोरोना वायरस संक्रमितों की संख्या 4225 पहुंच गई। देश में औसतन एक दिन में लगभग 301 नए मामले सामने आए। अब 8 अप्रैल यानी आज से तीसरा सप्ताह शुरू हो चुका है। लॉकडाउन खत्म होने में महज सात दिन शेष हैं, ऐसे में स्वास्थ्य मंत्रालय की उस रिपोर्ट पर गौर कर लेते हैं, जो आपके लिए बेहद जरूरी है।

दरअसल, मरीजों का विश्लेषण करते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि महिलाओं की तुलना में पुरुषों के लिए कोरोना वायरस ज्यादा घातक है, क्योंकि इसके संक्रमण में आने वाले 76 प्रतिशत पुरुष हैं जबकि महिलाओं में 24 प्रतिशत मामले सामने आए हैं। 63 प्रतिशत मौत 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों की हुई हैं। 30 प्रतिशत मौत 40 से 60 आयु वर्ग के बीच और 7 प्रतिशत मौत 40 वर्ष से कम उम्र के लोगों की हुई।

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देश में 6 अप्रैल तक कोरोना से मरने वाले 125 लोगों की औसत आयु 60 वर्ष थी। हालांकि इटली में कोविड-19 के मृतकों की औसत उम्र 80 के आसपास है। इसका एक कारण पश्चिमी देशों की तुलना में भारत की युवा जनसंख्या को बताया जा सकता है।

86 प्रतिशत मृतक एक जैसी बीमारी से पीड़ित

Covid-19 पर स्वास्थ्य मंत्रालय ने मरीजो से संबंधित कुछ और भी आंकड़े जारी किए, जिनके अनुसार भारत में कोरोना वायरस की वजह से अपनी जान गंवाने वाले 86 प्रतिशत वो लोग थे, जिन्हें पहले से मधुमेह, हाइपरटेंशन, किडनी, और दिल की बीमारी जैसी समस्याएं थीं, इसलिए जिन युवाओं को पहले से सेहत से जुड़ी कोई समस्या है, उनमें भी कोरोना वायरस का उतना ही खतरा है।

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दरअसल, बढ़ती उम्र के साथ-साथ शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता घटती जाती है। इम्यून सिस्टम के कमजोर होने के कारण ही बुजुर्ग कोरोना वायरस के शिकार हो रहे हैं, क्योंकि जब कोई नया वायरस शरीर में प्रवेश करता है तो साइटोकिन प्रतिरक्षा कोशिकाओं का ज्यादा मात्रा में उत्पादन करता है।

ये कोशिकाएं वायरस से लड़ने का काम करती हैं। इस प्रक्रिया में बुजुर्गों में तेज बुखार और ऑर्गन फेल भी हो सकता है कैंसर, डायबिटीज, दिल की बीमारियों और सांस संबंधी समस्याएं भी बुजुर्गों में आमतौर पर देखी जाती हैं जिसकी वजह से ये समस्या और बढ़ती जा रही है।

पूरे विश्व में उम्रदराज बन रहे आसान शिकार

ऐसा नहीं है कि यह समस्या सिर्फ हिंदुस्तान में है। पूरी दुनिया का यही हाल है। उदाहरण के लिए, चीन में, हृदय रोग या फेफड़ों की बीमारियों वाले लोगों में मृत्यु दर सबसे अधिक है, इसके बाद मधुमेह और उच्च रक्तचाप से पीड़ित मरीजों का नंबर आता है। इससे पता चला कि उनमें से आधे से अधिक (56%) डायबिटिक थे और लगभग आधे (47%) को उच्च रक्तचाप था। 86 में से एक तिहाई से अधिक मधुमेह और उच्च रक्तचाप दोनों के शिकार थे।

पांच में से एक को अस्थमा या फेफड़ों की बीमारी है। केवल 16% को मधुमेह या उच्च रक्तचाप के साथ हृदय रोग था। जो लोग मारे गए उनमें से कई में गुर्दे की बीमारी भी बताई गई। डेटा रिकॉर्ड नहीं करता है कि व्यक्ति कितना गंभीर मधुमेह या उच्च रक्तचाप का मरीज था या फेफड़ों की बीमारी कितनी गंभीर थी। इसलिए, पहले से मौजूद रुग्णताओं की मृत्यु की संभावना पर कितना असर हुआ, यह कहना संभव नहीं है।

अमेरिका के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध के अनुसार कोरोनो को लेकर 262 मामलों में से 38 मामले ऐसे पाए गए, जब युवा ठीक होने के दो सप्ताह बाद दोबारा इस वायरस से संक्रमित हुए। जो 38 लोग दोबारा इस वायरस से संक्रमित हुए उनमें सिर्फ एक व्यक्ति की उम्र 60 साल से अधिक थी जबकि 7 की उम्र 14 वर्ष से कम थी। यानी युवाओं को दोबारा संक्रमित होने का खतरा है।

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