
नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटे गुरूग्राम के प्रॉपर्टी बाजार में एक ही चीज की चर्चा हो रही है वो है प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन की। जी हां, शहर में पिछले एक साल में ऐसी कई वारदातें हुईं। इसमें जालसाजों ने प्लॉट का मालिक होने का दावा कर इसे दूसरे को बेच दिया। इसीलिए हरियाणा सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए रजिस्ट्री के सिस्टम में कई नए सुरक्षा उपायों की शुरुआत की है। इन्हें पिछले महीने से शुरू किया गया है।
अंग्रेजी के अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, अब प्रॉपर्टी के सभी विवरणों और रेवेन्यू रिकॉर्डों का डिजिटलीकरण कर दिया गया है। हरियाणा लैंड रिकॉर्ड्स इनफॉर्मेशन ब्यूरो (एचएएलआरआईएस) में हर एक प्रॉपर्टी को विशेष पहचान संख्या दी गई है। एचएएलआरआईएस एक पोर्टल है जिसका इस्तेमाल प्रॉपर्टी के रजिस्ट्रेशन और रिकॉर्ड के लिए किया जाता है।
हर एक प्रॉपर्टी आईडी को प्रॉपर्टी मालिक के आधार कार्ड और फोन नंबर के साथ लिंक किया गया है। अवैध कॉलोनियों में प्लॉट की रजिस्ट्री में अनियमितता की सरकार को कई शिकायत मिली थीं। इसके बाद उसने कुछ हफ्तों के लिए राज्य में सभी रजिस्ट्री पर रोक लगा दी थी। उसने एक सितंबर से दोबारा रजिस्ट्री शुरू की है।
नए सिस्टम में रजिस्ट्री से जुड़े कामों के लिए मैनुअली अपॉइंटमेंट टोकन जारी करने की व्यवस्था भी खत्म कर दी गई है। अब टोकन के लिए लोगों को ऑनलाइन अप्लाई करना होगा। टोकन के लिए आवेदन करते समय यूजर को प्रॉपर्टी की डिटेल्स और प्रॉपर्टी ओनर के रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर भेजे गए वन-टाइम पासवर्ड (ओटीपी) को भरना होगा। ओटीपी को दर्ज करने के बाद ही प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।
पहले कोई मैनुअली टोकन ले सकता था। आवेदक का आधार कार्ड नंबर रिकॉर्ड में दर्ज ब्योरे के साथ मिलाने की व्यवस्था नहीं थी। यह पता करना मुश्किल था कि प्रॉपर्टी का मालिक असली है या नहीं। पहले किसी को भी रजिस्ट्री के लिए टोकन मिल जाता था। लेकिन, अब प्रॉपर्टी के असली मालिक को ही टोकन मिल सकेगा।