
हरियाणा में निजी स्कूल संचालकों को बच्चों के अभिभावकों से मासिक फीस वसूलने की अनुमति देने का विरोध शुरू हो गया है। हरियाणा अभिभावक एकता मंच ने सरकार के निर्देश पर नाराजगी जताई है। मंच ने निजी स्कूल संचालकों के दबाव में लिए गए एकतरफा फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की है।
रविवार को अवकाश के होने के बावजूद सरकार के निर्देश पर शिक्षा निदेशालय ने अपने 27 मार्च के आदेशों को पलटते हुए रविवार को निजी स्कूल संचालकों को तीन महीने की एक साथ फीस लेने की बजाय मासिक आधार पर फीस लेने की अनुमति प्रदान कर दी है। शिक्षा निदेशालय ने अपने 27 मार्च के आदेशों में कोविड-19 के लॉकडाउन के चलते सामान्य स्थिति बहाल होने के उपरांत ही स्कूल खुलने पर ट्यूशन फीस व अन्य सभी प्रकार शुल्क लेने पर रोक लगाई थी।
हरियाणा अभिभावक एकता मंच के प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा, प्रदेश संरक्षक सुभाष लांबा, राज्य कार्यकारिणी के सदस्य एडवोकेट शिव कुमार जोशी व डाक्टर मनोज शर्मा ने शिक्षा निदेशालय के आदेशों की निंदा की है। उन्होंने बताया कि निजी स्कूल संचालकों ने अभिभावकों से एडमिशन चार्ज और अप्रैल महीने की ट्यूशन फीस देने का दबाव बनाना शुरू कर दिया है। कोई फीस देने के सक्षम हैं या नहीं, ये बिल्कुल नहीं देखा जा रहा है। उन्होंने बताया कि मंच के पास यह भी शिकायतें आ रही हैं कि संचालक तीन महीने की फीस एक साथ वसूलने का दबाव भी बना रहे हैं।
आदेशों को पहले भी नहीं मानते थे और न ही अब मानेंगे
मंच का आरोप है कि निजी स्कूल संचालकों ने सारे नियमों को ताक पर रखते हुए शिक्षा सत्र 2020-2021 के लिए ट्यूशन फीस में असहनीय बढ़ोतरी कर दी है। उन्होंने बताया कि नियमों के अनुसार निजी स्कूल संचालक मासिक फीस ही वसूल कर सकते हैं। इसके बावजूद वह तीन महीने की फीस एक साथ वसूल करते हैं। निजी स्कूल संचालक शिक्षा निदेशालय के आदेशों को पहले भी नहीं मानते थे और न ही अब मानेंगे। सरकार का निजी स्कूल संचालकों पर कोई नियंत्रण नहीं है।
हरियाणा विद्यालय शिक्षा नियमावली-2003 के नियम-158 ए के तहत मंडल स्तर पर मंडल आयुक्त की अध्यक्षता के अधीन फीस तथा निधि नियामक समिति केवल शिकायत लेती हैं, उनका निवारण करने में यह कमेटी पूरी तरह विफल रही है। उन्होंने प्रदेश के अभिभावकों से शिक्षा निदेशालय के आदेशों के खिलाफ एकजुट होकर विरोध करने का आह्वान किया है। मंच ने 4 अप्रैल को मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री को पत्र लिखकर निजी स्कूल संचालकों के पत्र को लागू न करने की मांग की थी।
शिक्षा निदेशालय ने 11 अप्रैल को सभी जिला शिक्षा अधिकारी व जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी को पत्र लिखकर 27 मार्च को जारी आदेशों को कड़ाई से लागू करने के आदेश जारी कर दिए। उन्होंने बताया कि मंच ने 9 अप्रैल को मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री को पत्र लिखकर व ट्वीट कर निजी स्कूल संचालकों द्वारा सरकार पर बनाए जा रहे दबाव के सामने नहीं झुकने का अनुरोध कर चुका है। मंच ने कई नामी गिरामी स्कूलों की आडिट रिपोर्ट भी साथ संलग्न की है।