
चंडीगढ़ (आकर्षण उप्पल ) केंद्र द्वारा आम बजट की घोषणा के दौरान यदि देखें तो हरियाणा के हिस्से में राखी गढ़ी प्रोजेक्ट के रूप में सिर्फ पर्यटन ही ‘खास’ रहा। वहीं व्यापारी वर्ग और सूबे के उद्योगों की आस एक बार फिर टूटी गई। जबकि प्रदेश का किसान भी आम बजट की घोषणाओं से संतुष्ट नहीं है। सूबे के उद्योग-धंधे हों या किसान वर्ग दोनों के बूस्टअप के लिए यदि कुछ है तो घोषणाओं के रूप में सिर्फ “कोशिशे”। जबकि हमेशा की तरह केंद्र के सुर में सुर मिलते हुए हरियाणा सरकार का दावा है कि केंद्र का यह आम बजट प्रदेश के हर सेक्टर को लंबी अवधि में बड़ा फायदा पहुंचाएगा।
देखा जाए तो हरियाणा एक कृषि प्रधान राज्य के साथ-साथ लघु-मध्यम उद्योगों वाला सूबा है। हरियाणा सरकार इस राज्य को लेकर एक नया नारा ‘देसां मे देस हरियाणा, जित दूध दही का खाणा और हर शहर में कारखाना’ भी दे चुकी है। यानी इरादा साफ है कि प्रदेश सरकार का फोकस सूबे में कृषि और उद्योग धंधों पर है। हरियाणा का मुख्य व्यवसाय भी कृषि है और साथ ही प्रदेश में 30 श्रेणियों के लगभग 1.22 लाख सूक्षम, लघु, मध्यम और बड़े औद्योगिक इकाइयां भी मौजूद है। जिसमें सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योगों की संख्या 1.20 लाख के करीब है। ऐसे में हरियाणा के उद्यमियों और किसानों को केंद्र सरकार के आम बजट से बहुत ज्यादा आस थी। असीमा के पूर्व चेयरमैन राकेश गुप्ता व सामा के चेयरमैन ज्ञानचंद अग्रवाल व पूर्व सचिव राजीव अग्रवाल ने बताया कि इस वक्त दुनिया में प्रख्यात प्रदेश की साइंस इंडस्ट्री को केंद्र की ओर से बड़े आर्थिक पैकेज की दरकार थी।
इसके लिए विभिन्न संगठनों के माध्यम से केंद्र सरकार से मांग भी की गई थी। लेकिन आम बजट में निराशा ही हाथ लगी। फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री के जुड़े विशेषज्ञ जीडी छिब्बर के अनुसार आयकर स्लैब को छोड़ दिया जाए, तो प्रदेश के किसी भी लघु, सूक्ष्म व मध्यम को बूस्टअप देने के लिए आम बजट में कोई बड़ी घोषणा नहीं की गई है। प्रदेश के विभिन्न उद्योग जबरदस्त मंदी के दौर से गुजर रही हैं, ऐसे में केंद्र सरकार से विशेष पैकेज के रूप में उद्योगों के लिए ‘संजीवनी’ की उम्मीद थी, लेकिन वे भी टूट गई।
जिले निर्यात केंद्र तो बनेंगे, मगर उद्यमियों को अभी सीधा कुछ खास नहीं :-
आम बजट की घोषणा के तहत हरियाणा के सभी 22 जिलों को निर्यात केंद्र के तौर पर विकसित किया जाना है। इसके लिए केंद्र व राज्य सरकारों के प्रयासों के बीच तालमेल बिठाया जाएगा। इसके लिए संस्थागत मैकेनिज्म को भी सृजन किया जाएगा। इसका मकसद है स्थानीय उद्यमियों व मैन्युफेक्चरर्स के लिए बाहरी बाजार में अपने उत्पाद बेचने का अवसर प्रदान करना। मगर विशेषज्ञ डा. आरआर मलिक बताते हैं कि सरकार की ये सोच सकारात्मक है, मगर अभी इस दिशा में प्रयास भी शुरू नहीं हुए हैं। जब ऐसे प्रयास पूरी तरह से स्थापित होंगे, तभी उद्यमियों को कुछ लाभ मिल पाएगा। अभी उन्हें बजट से कोई सीधा लाभ नहीं मिला है। बताते चलें कि अभी हरियाणा के बड़े मध्यम व बड़े उद्योग सलाना 89006.17 करोड़ का निर्यात करते हैं।