स्वामी दयानंद सरस्वती की जयन्ती पर नवीन शिक्षा संवाद का आयोजन

इंडिया ब्रेकिंग/करनाल रिपोर्टर(ब्यूरो) स्वाधीनता संग्राम के दौरान स्वराज और राष्ट्रभाषा के विषय में स्पष्ट और मुखर होकर बोलने वाले महापुरुषों में स्वामी दयानंद का नाम सबसे ऊपर आता है। उन्होंने अपने दौर में समाज परिवर्तन के लिए विभिन्न मसलों पर स्वाध्याय और विज्ञान के आधार पर सटीक राय रखी और अपने कालखंड के घटनाक्रम को प्रभावी सकारात्मक दिशा प्रदान की। हरियाणा ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने यह टिप्पणी आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से डी.ए.वी. पी.जी. कॉलेज करनाल के विद्यार्थियों और शिक्षकों को संबोधित करते हुए की। आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती की जयंती के उपलक्ष में आयोजित हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य आर. पी. सैनी ने की।अपने संबोधन में डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि बाल गंगाधर तिलक द्वारा ‘स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है.यह उद्घोषणा किये जाने के बहुत पहले स्वामी दयानंद ने स्वराज्य को प्रत्येक भारतीय के सर्वविध कल्याण की पहली शर्त करार दिया था। इसी प्रकार संस्कृत के प्रकांड विद्वान और मूल रूप से गुजराती भाषी होने के बावजूद उन्होंने हिंदी को राष्ट्रीय एकता के सूत्र के रूप में राष्ट्रभाषा स्वीकार करने की पुरजोर वकालत की। डॉ. चौहान ने बताया कि 1857 के पहले स्वाधीनता संग्राम के दौरान भी संग्राम से जुड़े हुए अनेक बड़े योद्धा स्वामी जी से प्रेरणा प्राप्त करके कार्य कर रहे थे।ग्रंथ अकादमी उपाध्यक्ष डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि स्वामी दयानंद की जयंती पर एक शिक्षक और विद्यार्थी को उनकी जीवनी और कार्यों के बारे में अध्ययन अवश्य करना चाहिए। डी.ए.वी. संस्थान के विद्यार्थियों के लिए तो यह इसलिए भी आवश्यक है कि संस्थान के नाम में स्वामी जी का नाम समाहित है.शिक्षा के क्षेत्र में डी.ए.वी. रूपी क्रांति के जनक महर्षि दयानंद के अनन्य अनुयायी थे। कार्यक्रम के अंत में अपने संबोधन में प्राचार्य डॉक्टर आर. पी. सैनी ने कहा कि महाविद्यालय में स्वामी दयानंद और उनके जैसे महापुरुषों के जीवन पर चर्चा व विमर्श के लिए विभिन्न प्रकार के आयोजन निरंतर होते रहते हैं। नई पीढ़ी को देश की सांस्कृतिक धरोहर और जड़ों से जोड़े रखने के लिए यह परम आवश्यक है। शिक्षकों का दायित्व है कि विद्यार्थी स्वाध्याय के मार्ग पर प्रवृत्त हों।इस अवसर पर विभिन्न छात्र – छात्राओं के साथ प्रो. संजय शर्मा, प्रो. सुलोचना, प्रो. अनीता शर्मा, प्रो. प्रियंका, प्रो. अमरीश, प्रो. प्रेरणा, प्रो. रजनी, प्रो. जुझार, प्रो. अमोल, प्रो. पूनम पांचाल, प्रो. शिप्रा आदि उपस्थित रहे विडियो कांफ्रेंसिंग के सफल आयोजन में विद्यार्थी सोनी, राकेश व अमित का सक्रिय योगदान रहा

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