
फरीदाबाद. कहते हैं सनातन धर्म में अग्नि के सात फेरे लेने के बाद ही युगल दम्पति अपने जीवन की शुरुआत करते हैं. नहीं तो सनातन धर्म में शादी पूरी नहीं मानी जाती. लेकिन हरियाणा के फरीदाबाद के बल्लबगढ़ में सनातन धर्म के एक परिवार ने किसी मंदिर में अग्नि के फेरे नहीं लिए, बल्कि गऊ माता को साक्षी मानकर अपनी दुल्हन के साथ दूल्हे ने गऊ माता के सात फेरे लेकर अपने जीवन की शुरुआत की.
हरियाणा के बल्लबगढ़ में ऊँचा गांव की नन्दीग्राम गौशाला में यह शादी हुई. जहां परिवार की मौजूदगी में दूल्हा-दुल्हन गऊ माता को साक्षी मानकर माता रानी के सात फेरे ले रहे हैं. आमतौर पर ऐसा सुनने में कभी आया ही नहीं, जहां इस तरह से शादी समारोह आयोजित किया गया हो. गौ माता को लाल चुन्नी पहनाकर पहले दूल्हा दुल्हन के साथ परिवार के लोगों ने पूजा की और बाद में गऊ माता को साक्षी मानकर सात फेरे लिए. लड़की की पिता मानें तो उन्होंने सुना था कि गऊ माता को साक्षी मानकर हिन्दू धर्म में विवाह किया जा सकता है. बस उसी की सुनकर आज हमनें गऊ माता के सात फेरे लेकर यह विवाह संपन्न करवाया है.
दुल्हन के भाई की मानें तो गऊ माता में 33 करोड़ देवी देवताओ का वास होता है, फिर इससे अच्छा और कोई दूसरा शगुन नहीं हो सकता. ऐसा करने से दोनों परिवारों को बहुत खुशी है. वहीं गौशाला के प्रधान रुपेश यादव की मानें तो कोरोन मे जब धूमधाम से शादी कार्यक्रम आयोजित करने पर पाबंदी थी, तब इसी तरह गौ माता को साक्षी मानकर एक परिवार ने गौ माता के सात फेरे करके शादी करवाई थी.