
फिर टूटी उम्मीद, निर्भया केस के दोषियों को कल नहीं होगी फांसी, पटियाला हाउस कोर्ट ने लगाई रोक !
दिल्ली : देश की राजधानी दिल्ली से बड़ी खबर आ रही है । खबर है कि निर्भया के बलात्कार और हत्या के दोषियों को अब एक फरवरी को फांसी नहीं होगी। दोषियों द्वारा जिस तरह बार बार फांसी को लटकाया जा रहा है उससे एक बार फिर न्याय व्यवस्था के उपर सवाल उठने शुरू हो गए है ! आपको बतादें कि दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में अगले आदेश तक डेथ वारंट पर रोक लगा दी है। सुनवाई के दौरान दोषियों के वकील ने कहा कि अभी उनके पास कानूनी उपाय उपलब्ध हैं। दोषियों के वकील ने कहा कि दिल्ली जेल नियम के मुताबिक, फांसी एक साथ दी जा सकती है। ऐसे में डेथ वारंट पर अनिश्चित काल तक रोक लगाई जानी चाहिए।
वहीं अभियोजन पक्ष ने इस अर्जी को गलत बताया। अदालत में मुकेश की वकील वृंदा ग्रोवर की मौजूदगी पर पीड़िता की वकील सीमा कुशवाहा और सरकारी वकील ने सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि जब मुकेश के सारे उपचार खत्म हो चुके हैं तो उसकी वकील का अब इस केस में कोई आधार नहीं रह जाता है।
इस पर दोषियों के वकील एपी सिंह ने कहा कि अक्षय की क्यूरेटिव पिटीशन बृहस्पतिवार को सुप्रीम कोर्ट से खारिज हुई है। अब दया याचिका दायर करनी है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट से आदेश की प्रति नहीं मिली है। एपी सिंह ने कहा कि जब तक सभी उपाय इस्तेमाल न हो जाये, तब तक फांसी नहीं दे सकते। पीड़िता की वकील ने कहा कि देर करने के लिए सारे हथकंडे अपनाए जा रहे हैं।
दोषियों के वकीलों का तर्क, जिसे कोर्ट ने अगले आदेश तक मानते हुए लगाई रोक : अधिवक्ता एपी सिंह ने याचिका में कहा है कि फांसी पर अनिश्चितकाल के लिए रोक लगा देनी चाहिए। क्योंकि अभी दोषियों के लिए कानूनी उपाय बाकी हैं। विनय की दया याचिका राष्ट्रपति के पास विचाराधीन है, जबकि अक्षय और पवन के कानूनी उपाय भी बाकी हैं। अक्षय की दया याचिका बाकी है। पवन ने अभी तक उपचारात्मक याचिका दायर नहीं की है। दया याचिका खारिज होने के बाद भी अदालत में फिर से जाने के लिए दोषी को 14 दिन का समय दिया जाता है। कानून के तहत यह प्रावधान है। अब अगर विनय की दया याचिका खारिज होती है तो उसके पास भी फिर से सुप्रीम कोर्ट में जाने का अधिकार है।
सभी को एक साथ फांसी देने का है नियम: दिल्ली जेल मैनुअल के अनुसार किसी अपराध के लिए जब दोषियों को एक साथ डेथ वारंट जारी होता है, तो उन्हें फांसी भी एक ही साथ देनी पड़ती है। भले ही इस मामले में मुकेश के लिए सारे रास्ते बंद हो चुके हैं, लेकिन अन्य तीन दोषियों के पास अभी कानूनी उपाय बचे हैं। ऐसे में मुश्किल है कि 1 फरवरी को फांसी हो सके।