डोनाल्ड ट्रंप के भारत दौरे में 3 अरब रूपये की संचार प्रणाली का होगा इस्तेमाल

दो दिवसीय यात्रा पर भारत आ रहे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सुरक्षा के लिए यूएस सीक्रेट एजेंसी ने 300 करोड़ रुपये के संचार उपकरण स्थापित किए हैं। ये खास उपकरण तीन जगहों पर लगाए जा रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि इनमें से काफी उपकरण दिल्ली, आगरा और अहमदाबाद में लगा दिए गए हैं। अमेरिकी सीक्रेट एजेंसी ने पिछले माह इन संचार उपकरणों को भारत लाने की इजाजत मांगी थी।

इन उपकरणों को केंद्र सरकार ने भारत में लाए जाने पर इजाजत दे दी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की यह एक मजबूत संचार प्रणाली है, जो आपातकाल की सभी स्थितियों में काम करने में सक्षम है।

सूत्रों के अनुसार अमेरिकी सुरक्षा विभाग ने भारतीय सरकारी एजेंसियों को संचार उपकरणों को मंजूरी देने के लिए कहा था और इन उपकरणों की कीमत 300 करोड़ रुपये से अधिक बताई थी।

सूत्रों के अनुसार, सीमा शुल्क विभाग जो कि वित्त मंत्रालय के अधीन आता है, वह नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (बीसीएएस) के साथ मिलकर यह सुनिश्चित करेगा कि ट्रंप की दो दिनों की यात्रा के लिए भारत लाए गए इन उपकरणों को यात्रा समाप्त होने के बाद वापस ले लिया जाएगा।

अमेरिकी सीक्रेट सर्विस के अधिकारियों की मौजूदगी में एयरपोर्ट पर इन संचार उपकरणों की जांच की गई थी। इन पर लगे बार कोड को स्कैन किया गया है। सूत्रों के अनुसार, ये उपकरण अमेरिकी राष्ट्रपति को सुरक्षा के अलावा दुनिया के किसी भी हिस्से में बातचीत जैसै ऑडियो वीडियो कॉलिंग व मैसेजिंग की सुविधा प्रदान करते हैं। इनमें से कई उपकरण तो ट्रंप की गाड़ी में फिट किए जाते हैं।

ये उपकरण लगने के बाद उन्हें संचार के मामले में यह महसूस नहीं होता कि वे अमेरिका में हैं या किसी दूसरे देश में। इन उपकरणों की सुरक्षा इतनी पुख्ता रहती है कि किसी भी देश की कोई एजेंसी, यहां तक स्पेस एजेंसी भी इन्हें क्रैक नहीं कर सकती। इसके लिए कई विभागों से मंजूरी लेनी पड़ती है। देखने वाली बात यही होती है कि राष्ट्रपति का दौरा खत्म होने के बाद इन उपकरणों का उसी बार कोड के साथ वापस आना बहुत जरूरी होता है।

अगर एक भी उपकरण वापस नहीं आता तो यह मामला ऊपर तक चला जाता है। यहां तक कि उसमें दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को शामिल होना पड़ता है। सूत्रों के अनुसार, अमेरिकी प्रशासन ने बाकायदा लिखित में इन उपकरणों को लगाने की मंजूरी मांगी थी। इनकी अलग से एक सूची भेजी गई थी। दिल्ली से यह सूची संबंधित विभागों को भेजी जाती है। कई तरह के विश्लेषण के बाद मुख्य रूप से सीमा शुल्क विभाग इन उपकरणों को भारत लाने की अनुमति देता है।

 

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