जरा बचिए कहीं आपका भी खाता न हो जाए खाली

फास्टैग की अनिवार्यता के बाद साइबर ठगों ने इसका लाभ उठाते हुए ठगी करनी शुरू कर दी है। हरियाणा पुलिस ने अपने फास्टैग वॉलेट को रजिस्टर या एक्टिवेट करते समय विशेष सतर्कता बरतने के लिए कहा है। कुछ धोखेबाज इसका सहारा लेकर उनकी मदद करने के बहाने उनके बैंक खातों से पैसे निकालने का प्रयास कर सकते हैं।

टोल प्लाजा पर फास्ट टैग अनिवार्य करने के बाद कुछ जालसाज नागरिकों को ठगने के लिए एक नया तरीका लेकर आए हैं। ये असामाजिक तत्व फास्ट टैग को रजिस्टर या एक्टिवेट करने में मदद का बहाना कर भोले-भाले लोगों के बैंक खातों से पैसे निकालकर ठगी का प्रयास कर रहे हैं। फास्ट टैग सेवा नई होने के कारण ऐसे धोखेबाज नागरिकों को धोखा देने के लिए हर मुमकिन प्रयास कर रहे हैं।

सबसे पहले, ऐसे जालसाज फर्जी संदेशों को बैंकों जैसे वास्तविक स्रोतों से भेजकर फास्ट टैग पंजीकरण के नाम पर व्यक्तिगत या वित्तीय विवरण और यहां तक कि ओटीपी देने के लिए कहते हैं। बाद में नागरिकों को छूट या कैश-बैक की नई नई स्कीमों का लालच दे उन्हें पैसे हस्तांतरित करने या अपना विवरण साझा करने के लिए कहते हैं। जैसे ही कोई इस संबंध में जानकारी या ओटीपी कॉलर को देता है, संबंधित व्यक्ति के बैंक खाते से धनराशि की ठगी हो जाती है।

[ ऐसे में क्या करें ]
ऐसे में फास्टैग पंजीकरण को लेकर कोई अनजान कॉल आती है तो तुरंत इसे डिस्कनेक्ट कर देना चाहिए और वास्तविकता की जांच-पड़ताल के लिए नजदीकी बैंक में जाकर संपर्क करना चाहिए। फोन पर बैंक कर्मचारी से बात करने से फास्ट टैग का रजिस्ट्रेशन या एक्टिवेशन नहीं होता है।

[ कहाँ से खरीदें ]
हरियाणा के डीजी क्राइम पीके अग्रवाल ने बताया कि ऐसे मामले आए हैं। लिहाजा फास्ट टैग को केवल इसे जारी करने के लिए अधिकृत बैंक, टोल प्लाजा, पेटीएम, अमेजान जैसी अनुमोदित एजेंसियों से ही खरीदना चाहिए। इसके अतिरिक्त, नागरिकों को एनएचएआई द्वारा उपलब्ध कराए गए केवल वास्तविक एप्लिकेशन ही इंस्टॉल करने चाहिए। उदाहरण के लिए, गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध माई फास्ट टैग एप्लिकेशन को एनएचएआई द्वारा भारतीय राजमार्ग प्रबंधन कंपनी लिमिटेड के तहत लॉन्च किया गया है।

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