अब इन बसों में भी शुरू हुआ आइसोलेशन वार्ड बनाने का काम

कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को रोकने के लिए केंद्र के साथ राज्य सरकारें भी कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। ऐसें में संकट की इस घड़ी में कोरोना के खिलाफ प्रशासन और लोगों के नए-नए तरीके देखने को मिल रहे हैं। ऐसा ही एक नजारा मध्यप्रदेश के भोपाल में भी देखने को मिल रहा है, जहां कोविड-19 से लड़ने के लिए अब खराब हो चुकी पुरानी बसों का इस्तेमाल किया जा रहा है। दरअसल, भोपाल में अब लो-फ्लोर बसों में मोबाइल आइसोलेशन वार्ड बनाए जा रहे हैं। यह काम नगर निगम और सार्थक संस्था की तरफ से किया जा रहा है। इन वार्डों को इसलिए बनाया जा रहा है ताकि जरूरत पढ़ने पर इन्हें एक जगह से दूसरी जगह आसानी से ले जाया जा सके।

इस पूरे मामले पर नगर निगम कमिश्नर बी विजय दत्ता ने कहा है कि इन आइसोलेशन वार्डों को कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) के तहत तैयार किया जाएगा। मौजूदा समय में यहां डिपो में 36 कबाड़ बसें खड़ी हैं। इनमें से 22 बसों पर काम शुरू कर दिया गया है। इन बसों में अभी सीटों को हटाया जा रहा है, जो जल्द ही पूरा हो जाएगा।

सार्थक संस्था के निदेशक इम्तियाज अली ने कहा कि जैसे ही रेलवे ने कोच का बतौर आइसोलेशन वार्ड इस्तेमाल करने की घोषणा की, तभी उनके दिमाग में मोबाइल आइसोलेशन वार्ड बनाने का ख्याल आ गया था। इसके बाद उन्होंने तुरंत नगर निगम और सीएम शिवराज सिंह को एक ईमेल किया। इस मेल में उन्होंने भोपाल में खड़ी 36 बसों को आइसोलेशन वार्ड की तरह इस्तेमाल करने का प्रस्ताव दिया।

उन्होंने बताया कि उनके इस प्रस्ताव पर निगम कमिश्नर दत्ता ने तुरंत जवाब देते हुए पहले चर्चा की और फिर जल्द से जल्द इस पर काम करने को कहा। निगम कमिश्नर की तरफ से इसके लिए जरूरी मदद की बात कही गई।

इम्तियाज अली ने कहा कि एक बस की लंबाई 32 फीट है। ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए इसमें एक साथ दस बेड लग सकते हैं। इन बसों में इंजन को हटा कर वहां डॉक्टर का केबिन और दवाएं रखने की जगह बनाई जाएगी।

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