हरियाणा में अब हर गांव में शुरू होगी सहकारी समिति, दुकान से लेकर पेट्रोल पंप तक खोल सकेंगे किसान; ये है योजना

कैथल। प्रदेश में खेती को सबसे बड़े व्यवसाय का दर्जा हासिल है। लेकिन किसान को व्यवसायी नहीं माना जाता। हरियाणा राज्य सहकारी एपेक्स बैंक (हरको) केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह की योजना को धरातल पर उतार कर अब किसान को उद्यमी के रूप में स्थापित करने की राह पर चला है।

हरको ग्रामीण स्तर पर अपने तंत्र में आमूल-चूल परिवर्तन करने जा रहा है। इसके तहत गांवों में चल रही प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (पैक्स) की दुर्दशा को दूर करके किसानों को मजबूत करने की कवायद है। हरको के चेयरमैन हुकम सिंह भाटी ने दैनिक जागरण के साथ योजना पर चर्चा की। वह कैथल के कोआपरेटिव बैंक में पैक्स सदस्यों की बैठक लेने पहुंचे थे।

प्रदेश के 25 गांवों में चल रही संयुक्त पैक्स

बता दें कि अभी तक प्रदेश में पांच से 25 गांवों की संयुक्त पैक्स चल रही हैं। योजना है कि इन सभी को बंद करके हर गांव में सहकारी समिति (सीएस) खोली जाएंगी। इनमें 176 तरह की सेवाएं दी जाएगी। इनके माध्यम से किसान को गांव में दुकान, कोल्ड स्टोरेज, कामन सर्विस सेंटर, जन औषधि केंद्र से लेकर पेट्रोल पंप तक खोलने की सुविधा होगी। इसके लिए सरकार की ओर से ऋण उपलब्ध करवाया जाएगा।

गांव स्तर पर अब महिलाओं को भी सहकारी समितियों में भागीदार बनाकर दोनों को सशक्त किया जाना है। इसके लिए प्रदेश में मल्टीपर्पज सहकारी समिति बनाने को मंजूरी देने और महिला सहकारी समिति को पांच-पांच लाख रुपये कर्ज देने का प्रविधान रखा गया है।

दूध की डेयरी, स्वयं सहायता समूह और संयुक्त देता समूह (जेएलजी) बनाकर महिलाओं को कर्ज देकर सशक्त किया जाएगा। हर जिले में चार समितियों को आदर्श समिति के रूप में तैयार किया जाएगा ताकि इनका उदाहरण देकर आगे और लोगों को प्रोत्साहित किया जा सके।

हर जिले में बनेंगे औसतन 200 जेएलजी

हरको की योजना है कि महिलाओं को सशक्त करने के लिए हर जिले में 200 संयुक्त देता समूह खड़े किए जाएं। इस पर काम शुरू हो गया है। कैथल में अभी तक 50 ग्रुप बनाए जा चुके हैं। सिरसा, झज्जर, रोहतक जैसे जिलों में रुझान अधिक होने के चलते 500 ग्रुप बनाए जाएंगे। इसके लिए ग्रुप में कम से कम चार महिला सदस्य होनी चाहिए। उनका सिबिल स्कोर सम्मानजनक हो तो 1700 रुपये मासिक किश्त पर उन्हें पांच लाख रुपये का ऋण दिया जाएगा, जिसमें एक लाख रुपये की सब्सिडी होगी।

भवन खंडहर, स्टाफ शून्य

वर्तमान में पैक्स समितियों के हालात बदतर हैं। गांव पाई पैक्स के चेयरमैन नरेंद्र सिंह का कहना है कि वर्ष 2014 के बाद से इनमें नए सदस्यों की नियुक्ति नहीं हुई। जिन सदस्यों का निधन हो चुका है, उनके परिवार के लोगों को कोई लाभ नहीं दिया गया। किसानों को खाद और बीज समय पर नहीं मिलता। पैक्स में कर्मचारी नहीं है। लंबे समय से भर्तियां नहीं हुई। ज्यादातर पैक्स कार्यालय खंडहर हो चुके हैं। इनकी सालों से कोई सुध नहीं ली गई।

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