सिंधिया परिवार का सियासी सफर में नया मोड़

‘मास्‍टर स्‍ट्रोक’ से बीजेपी खेमे में खुशी की लहर दौड़ गई है, वहीं कांग्रेस में निराशा का माहौल बना हुआ है|ज्योतिरादित्य के इस कदम से जहां कमलनाथ सरकार का गिरना लगभग तय माना जा रहा है, वहीं राज्‍य की राजनीति भी इससे प्रभावित हुए बगैर नहीं रहेगी| सिंधिया परिवार का मध्‍यप्रदेश ही नहीं, देश की राजनीति में भी अच्छी पहुँच रही है| ऐसे में ज्योतिरादित्य को अपने खेमे में ‘लाना’ भारतीय जनता पार्टी की बड़ी कामयाबी है| सिंधियां परिवार देश की राजनीति में अच्छी भूमिका निभा रहा है| ज्योतिरादित्य की दादी (स्‍वर्गीय) व‍जियाराजे सिंधिया जो की जनसंघ और बीजेपी की संस्‍थापक सदस्‍य रही हैं| उनकी दो बुआ वसुंधरा राजे और यशोधरा राजे इस समय बीजेपी की प्रमुख नेताओं में शामिल हैं| वजियाराजे और वसुंधरा और यशोधरा राजे के सियासी रुख से अलग राह पर चलते हुए ज्‍योत‍रादित्य और उनके पिता माधव राव सिंधिया कांग्रेस की सियासत के पुरोधा रहे|

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ग्‍वालियर राजधराने से जुड़े सिंधिया परिवार के ज्‍यादातर सदस्‍य जनसंघ और बीजेपी से संबद्ध रहे हैं और अब ज्योतिरादित्य इस पार्टी से जुड़कर राज्‍य की राजनीती को नया मोड़ देने के लिए तैयार हैं| कई बार सिंधियां परिवार के सदस्‍य सांसद/विधायक रहे| ग्‍वालियर और गुना क्षेत्र में इस परिवार का असर इतना रहा कि इस परिवार के किसी सदस्‍य की मौजूदगी ही इन क्षेत्रों में किसी भी पार्टी की जीत का आधार बनती थी| ग्‍वालियर और चंबल क्षेत्र में सिंधियां परिवार का खासा रसूख है और पार्टी की छवि से अलग इस परिवार के सदस्‍यों का प्रभाव ही राजनीती में हार-जीत का फैसला करती रही है| ज्‍योत‍रादित्य की दादी स्‍वर्गीय व‍जियाराजे सिंधियां ने अपनी सियासत की शुरुआत तो कांग्रेस की ओर से सांसद बनकर की लेकिन जल्‍द ही उनका मोह इस पार्टी से ख़त्म हो गया और वे बाद में जनसंघ (अब बीजेपी) से जुड़ गईं| मध्‍यप्रदेश में ‘भगवा पार्टी’ को स्‍थापित करने में उनका अग्रणी योगदान रहा है| यही नहीं, 1960 के दशक में कांग्रेस के नेतृत्‍व में बनी सरकार का तख्‍तापलट करके संविद सरकार के गठन का रास्‍ता वजियाराजे सिंधिया ने ही तैयार किया था|

‘राजमाता’ की देखादेखी उनके बेटे (स्‍वर्गीय) माधव राव सिंधियां ने भी अपनी राजनीती की शुरुआत जनसंघ से सांसद बनकर की| यह अलग बात है कि माधव राव का मन जल्‍द ही जनसंघ से भर गया और उन्‍होंने कांग्रेस पार्टी का दामन थाम लिया और वे इस पार्टी से केंद्रीय मंत्री भी रहे| व‍जियाराजे की दो बेटियाँ यानी माधव राव सिंधियां की बहनें वसुंधरा और यशोधरा ने भी बीजेपी से जुड़ीं| जहां वसुंधरा राजस्‍थान से बीजेपी विधायक और सांसद रहीं, वहीं यशोधरा मध्‍यप्रदेश से बीजेपी विधायक रहीं| यशोधरा मध्‍यप्रदेश की शिवराज सिंह सरकार में कैबिनेट मंत्री रहीं जबकि वसुंधरा ने राजस्‍थान की मुख्‍यमंत्री के अलावा अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्रीय मंत्री रहीं|

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विमान हादसे में माधवराव सिंधियां के आकस्‍म‍िक निधन के बाद ज्‍योतिरादित्य का राजनीती में आगमन हुआ| बीजेपी ने इस बात की पूरी कोश‍शि की ज्‍योटीरादित्य भगवा पार्टी से जुड़कर ही अपनी सियासत शुरू करें लेकिन ज्‍योतिरादित्य ने कांग्रेस का ही दामन थामा था| कांग्रेस के टिकट पर वे न केवल गुना से सांसद चुने गए बल्‍क‍ि मनमोहन सिंह की सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रहे| बहरहाल वर्ष 2019 से ज्‍योतिरादित्य के समीकरण कांग्रेस पार्टी के साथ बिगड़ते चले गए| 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्‍हें बीजेपी के गुमनाम से प्रत्‍याशी के हाथों हार का सामना करना पड़ा| विधानसभा चुनाव में कमलनाथ और ज्‍योतिरादित्य सिंधियां की अगुवाई में कांग्रेस ने कड़े मुकाबले में बीजेपी को पछाड़कर सता हासिल की, लेकिन पार्टी आलाकमान ने ‘युवा महाराज’ के स्‍थान पर कमलनाथ को सत्‍ता सौंपी| यहीं नहीं, वफादारों की पुरजोर मांग के बावजूद ज्‍योतिरादित्य को प्रदेश कांग्रेस अध्‍यक्ष पद नहीं दिया गया| यहीं से ज्‍योतिरादित्य और कांग्रेस के संबंधों में गांठ पड़नी शुरू हो गई और इसकी परिणति उनके कांग्रेस से इस्‍तीफे के साथ हुई| कांग्रेस में रहते हुए ज्‍योत‍िराद‍ित्‍य ने कमलनाथ सरकार के कामकाज को लेकर खुलकर असंतोष जताया. ज्‍योतिरादित्य के इस्‍तीफे ने देश के हृदय प्रदेश कहे जाने वाले राज्‍य में कांग्रेस को कमजोर किया  है|

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