
आजकल जींस की पैंट लोगों का आम पहनावा बन गया है। जींस की पैंट जिसे डेनिम नाम से भी जाना जाता है, बड़े से लेकर बच्चों तक सभी के लिए बड़ी-बड़ी कंपनियां इस तरह की पैंट बनाती हैं। लोग बड़े शौक से इसे खरीदते भी हैं और पहनते हैं, लेकिन इसका इतिहास बड़ा दिलचस्प है।
सदियों से चली आ रही जीन्स आज एक बहुत ही लोकप्रिय परिधान है। इसे दुनिया भर में कई शैलियों और रंगों में उपयोग में लिया जाता है। नीले रंग की जींस की पहचान विशेष रूप से अमेरिका की संस्कृति के साथ किया जाता है। इस लिबास को वेस्टर्न कल्चर (पश्चिमी संस्कृति) के रूप में देखा जाता है। आजकल इसे स्कर्ट, शॉर्ट्स, पैंट व शर्ट्स के रूप में काम में लिया जा रहा है।
इनके लिए बनाई थी डेनिम
यह जानकर बड़ी हैरानी होगी कि जीन्स की पैंट सबसे पहले मेहनत करने वाले लोगों के लिए बनाई गई थी। दरअसल मजदूर वर्ग के लोग जब काम करते थे तो उनके कपड़े जल्दी फट जाते थे और खराब हो जाते थे। ऐसे में उन्हें बार-बार कपड़े खरीदने पड़ते थे या धोने पड़ते थे। लेकिन ऐसा करना उनके लिए मुश्किल हो रहा था। इसी को ध्यान में रखते हुए जींस की पैंट बाजारों में आई, जिसका सबसे अधिक फायदा मजदूर वर्ग को हुआ।
इसका कपड़ा इतना मोटा था कि न तो आसानी से फटता था ना ही गंदा होता था। गंदा होने पर भी इसे दोबारा काम में लिया जा सकता था। इस तरह धीरे-धीरे यह 1950 के दशक में किशोरों के बीच भी लोकप्रिय हो गई। उस समय लिवाइस, जोर्डक और रैंगलर ब्रांड्स की जींस ही चलन में थी। हालांकि अब कंपनिया नॉन ब्राडेंड जींस भी बनाने लगी है। जिससे कि हर वर्ग के लोग इसे खरीद सके।
जींस का इतिहास
अगर बात करें जींस के इतिहास की तो सबसे पहले 16 वीं शताब्दी में मोटे सूती कपड़े का इस्तेमाल किया गया था। जो कि भारत से निर्यात की गई थी। इसे डुंगारी कहा जाता था, बाद में इसे नील के रंग में रंगा गया। इसे मुंबई के डोंगारी किले के पास बेचा जाता था। इसके बाद जब समुद्र किनारे काम करने वाले नाविकों ने इसे अपने अनुकूल पाया तो पतलून के रूप में वे इसे पहनने लगे। जीन्स के कपडे का निर्माण 1600 ईस्वी में इटली के ट्रयूिन कस्बे के पास चीयरी में किया गया था। इस कपड़े से सबसे पहले जेनोवा की नौसेना के नाविको के लिए पैंट बनायी गयीं थी। इन नाविकों को ऐसी पैंट की जरूरत थी, जिसे सूखा या गीला भी पहना जा सके। नाविक इन जींसों को समुद्र के पानी से एक बड़े जाल में बांध कर धोते थे। ऐसा माना जाता है कि इसका नाम जेनोवा के नाम पर पड़ा है।
इसलिए पड़ा डेनिम नाम
जींस बनाने के लिये कच्चे माल की आवश्यकता था। यह कच्चा माल फ्रांस के एक निमेस शहर आयात किया जाता था। इस शहर को फ्रांस के लोग दे निम कहते थे। यही कारण रहा कि जींस को इस शहर के नाम पर ‘डेनिम‘ कहा जाने लगा।