
(आकर्षण उप्पल) ये बात आपको हैरानीजनक लगेगी लेकिन ये बात पूर्णतया सत्य है कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को सूरत की जिस कोर्ट ने 2 साल की सजा सुनाई थी उस मामले में राहुल गांधी को आज बेल दिलाने वाले अधिवक्ता देश के जाने माने वकीलों में से एक है। सौभाग्य ये है कि ये वकील करनाल के ही रहने वाले है और इनका नाम है सरदार आर एस चीमा। भले ही वो खुद करनाल में नहीं रहते लेकिन करनाल से लगाव का अंदाजा इसी बात से लग सकता है कि आज भी उनकी जमीन जायदाद सब करनाल में ही है।
आरएस चीमा जी वो शख्स है जिन्होंने सीबीआई की तरफ से कोर्ट में पेश होकर 1984 में हुए सिख दंगे के आरोपियों को सजा दिलवाई जिनमें कांग्रेस के सज्जन पर दंगे करवाने का आरोप था। वो शख्स आरएस चीमा ही है जिन्होंने पत्रकार छत्रपति की हत्या के मामले में डेरा प्रमुख बाबा राम रहीम को सजा दिलवाई और आज बाबा राम रहीम जेल की सलाखों के पीछे है। ऐसा कहा जाता है कि पत्रकार छत्रपति के केस की सालों चली पैरवी के बावजूद चीमा साहब ने उनके परिवार से कभी फीस नहीं ली।
चीमा साहब के रुतबे और उनके तजुर्बे का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यूपीए सरकार के शासन में हुए अरबो रुपये के कोयला घोटाले मामले में सरकारी वकील के तौर पर देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने भी सरदार आरएस चीमा को ही नियुक्त किया था, जिन्होंने सशक्त तरीके से उस समय भी आरोपियों के खिलाफ जबरदस्त पैरवी की थी। वहीं आज राहुल गांधी को कुछ दिन पहले मानहानि के मामले में मिली सजा के बाद राहुल गांधी ने भी देश के बड़े से बड़े वकीलों को नजरअंदाज कर आरएस चीमा पर ही अपना भरोसा जताया था जबकि कांग्रेस के अंदर कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी, रणदीप सिंह सुरजेवाला, सलमान खुर्शीद और पी चिदम्बरम जैसे जाने माने और बड़े वकील है लेकिन राजनीति से कोसो दूर रहने वाले देश के जाने माने अधिवक्ता आरएस चीमा को अपने लगभग सभी मामलो में वकील के तौर पर पैरवी करने के लिए नियुक्त करने वाले राहुल गांधी भी उनकी कार्यकुशलता से अच्छी तरह वाकिफ है। गांधी परिवार के बेहद करीबी आरएस चीमा सिर्फ राहुल गांधी के ही नहीं बल्कि चाहे भूपेंद्र सिंह हुड्डा हो या, सुखबीर सिंह बादल, कबाहे सोनिया गांधी हो या कैप्टन अमरेंद्र सिंह इन जैसी सभी बड़ी शख्सियत के वकील जब आप देखेंगे तो आपको लिस्ट में सबसे पहला और सबसे बड़ा नाम आरएस चीमा का ही दिखाई देगा।
आपको बता दूं कि आरएस चीमा जी का बेटा अर्शदीप चीमा और बेटी तरुनम चीमा भी अच्छे वकीलों में से एक माने जाते है और फिलहाल वो भी अपने पिता के कुशल नेतृत्व में वकालत का एक एक गुण सीख रहे है। मुझे आरएस चीमा जी की कुशलता और उनके इतिहास के बारे में इसलिए पता है क्योंकि मेरे खिलाफ 2019 में दर्ज ब्लेकमेलिंग के एक झूठे मामले में हाईकोर्ट से राहत दिलवाने वाले वकील भी आरएस चीमा ही थे। ये वो वक़्त था जब कई वकीलों ने मुझे कहा था कि आपके खिलाफ सरकार है इसलिए आपको कोर्ट से भी राहत मिले इसकी उम्मीद कम है।
ऐसे में मुझे उम्मीद की किरण दिखाने वाले अधिवक्ता आरएस चीमा ही थे जिन्होंने न केवल मेरे पक्ष को ठोस सबूतों के साथ माननीय में सशक्त तरीके से रखा था बल्कि सरकारी वकीलों और जांच अधिकारी की बोलती बंद कर दी थी क्योंकि मेरे खिलाफ मामला दर्ज होने के 1 महीने बाद भी पुलिस ऐसा कोई सबूत कोर्ट में पेश नहीं कर पाई जिससे मेरे ऊपर लगा कोई भी आरोप साबित हो पाए। जब मैं इस मामले को लेकर उनके पास गया था तो उन्होंने कहा था बेटा तू लोगो की सेवा कर रहा है, तेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ पायेगा लेकिन वादा कर ये लड़ाई ऐसे ही लड़ता रहेगा। उनकी कही इस बात ने आज तक मेरा हौंसला कायम रखा है।
उसके बाद 2020 में कोरोना काल में लोगो के साथ ठगी और लूट के आरोप लगने के बाद बजाज फाइनेंस ने जब मेरे खिलाफ हाईकोर्ट में कवरेज बन्द करने और मेरे खिलाफ FIR दर्ज करवाने का केस दायर किया था उस समय भी आरएस चीमा जी की टीम ने ही मेरा केस लड़ा था जिसमें अधिवक्ता कार्तिकेय जी ने मेरे केस की पैरवी ठोस तरीके से की जिस वजह से बजाज फाइनेंस को हाईकोर्ट में कड़ी हार का सामना करना पड़ा और कोर्ट ने उनकी दलीलें मानने से इनकार कर दिया।