
नई दिल्ली. दुनिया भले ही छंटनी और मंदी की आशंकाओं से घिरी हो, लेकिन भारतीय कंपनियों ने 2022 में जमकर हायरिंग की है और 2023 में भी नौकरियों के अवसर बढ़ने का अनुमान है. जॉब प्लेटफॉर्म बिलियन कैरियर के आंकड़े बताते हैं कि बीते साल ब्लू कॉलर और ग्रे कॉलर जॉब के अवसरों में चार गुना तक बढ़ोतरी हुई है और भारतीय कंपनियों ने जमकर नौकरियां बांटी हैं.
साल 2022 में ब्लू कॉलर और ग्रे कॉलर वाली नौकरियों की संख्या 1,05,42,820 रही, जो साल 2021 की तुलना में करीब 301 फीसदी ज्यादा है. कारोना से प्रभावित साल 2021 में 26,26,637 नौकरियां मिली थी. बीते साल ब्लू और ग्रे कॉलर वाली नौकरियां खोजने वालों की संख्या में 236 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. गौरतलब है कि ब्लू कॉलर जॉब में बिना स्किल्ड लोगों को हायर किया जाता है. जैसे ड्राइवर या कंस्ट्रक्शन साइट पर काम करने वाले. वहीं, ग्रे-कॉलर सेक्टर में सर्टिफाइड लोगों को नौकरियां दी जाती हैं. इसमें फार्मा, एचआर, मैकेनिकल जैसे सेक्टर आते हैं.
Skill वालों की तलाश ज्यादा
आंकड़े बताते हैं कि कंपनियां अभी स्किल वाले कर्मचारियों को ज्यादा हायर कर रही हैं, ताकि उत्पादन और गुणवत्ता में सुधार लाया जा सके. कोरोना महामारी के बाद टेक्नोलॉजी की बढ़ती मांग को देखते हुए कंपनियों ने भी डिजिटल और एनालिटिक्स की समझ रखने वालों को नौकरियां देने में तरजीह दी है. मेट्रो शहरों में सबसे ज्यादा ब्लू कॉलर और ग्रे कॉलर जॉब की मांग रही. इस मायने में दिल्ली 11.57 फीसदी के साथ सबसे ऊपर है, जबकि बैंगलोर 11.55 फीसदी के साथ दूसरे पायदान पर आता है. इसके अलावा मुंबई, हैदराबाद और पुणे में भी जमकर हायरिंग हुई है.
BPO जॉब में 21 फीसदी उछाल
देश में डिजिटल की बढ़ती मांग को देखते हुए कंपनियों ने भी तकनीकी दक्षता रखने वाले कर्मचारियों को ज्यादा काम दिया है. अगर 2022 का ट्रेंड देखें तो बीपीओ और कॉल सेंटर जैसी जॉब में 21 फीसदी का बड़ा उछाल आया है. फील्ड सेल्स के क्षेत्र में भी 7 फीसदी बढ़ोतरी हुई, जबकि बिजनेस डेवलपमेंट में 19 फीसदी और एडमिन व एचआर में 31 फीसदी का उछाल देखा गया है.
दूसरी ओर, डाटा एंट्री और बैक ऑफिस जैसे सेक्टर में नौकरियों के अवसर 18 फीसदी घटे हैं. काउंटर सेल और रिटेल में भी 7 फीसदी गिरावट आई, जबकि डिलीवरी और ड्राइवर की जॉब में 25 फीसदी गिरावट देखी जा रही है.
फ्रेशर्स पर सबसे ज्यादा दांव
ब्लू और ग्रे कॉलर जॉब देने वाली कंपनियों ने सबसे ज्यादा दांव फ्रेशर्स पर लगाया है. इन दोनों को मिली कुल नौकरियों में से 60 फीसदी सिर्फ फ्रेशर्स को दी गई हैं. इनका एक्सपीरियंस 0 से 3 साल के बीच रहा. आंकड़े ये भी बताते हैं कि लीगल, आईटी, टेलीकॉम, हेल्थकेयर जैसे सेक्टर में फ्रेशर्स को सबसे ज्यादा पैसे ऑफर किए गए. इस सेक्टर में 8 से 25 हजार तक औसत वेतन रहा