नई दिल्ली. भारत का डिजिटल पेमेंट सिस्टम यूपीआई (UPI) और सिंगापुर के पेमेंट सिस्टम PayNow को दोनों देशों ने आपस में जोड़ दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास और सिंगापुर के पीएम ह्वेन लोंग ने मंगलवार को इसकी शुरुआत की. वैसे तो दोनों देशों ने इस सिस्टम को लिंक करने के प्रोजेक्ट की शुरुआत साल 2021 में ही कर दी थी, लेकिन अब आखिरकार इस सुविधा को शुरू कर दिया गया है. सवाल ये उठता है कि आखिर इस प्रोजेक्ट का आम आदमी को कैसे फायदा मिलेगा और इसके मायने क्या हैं.
सबसे पहले हमें यह समझना होगा कि आखिर यूपीआई और पेनाऊ हैं क्या बला. यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस यानी UPI भारत का मोबाइल आधारित पेमेंट सिस्टम है, जो कस्टमर को 24 घंटे भुगतान की सुविधा देता है. UPI हर भुगतान के लिए एक वर्चुअल पेमेंट एड्रेस (VPA) बनाता है, जिससे पर्सन टू पर्सन या पर्सन टू मर्चेंट बिना किसी जोखिम के भुगतान पूरा किया जाता है. PayNow भी कमोबेश इसी तर्ज पर काम करता है और सिंगापुर के बैंक व गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के जरिये फंड ट्रांसफर की प्रक्रिया पूरी करता है. सिंगापुर में इस सिस्टम के जरिये ग्राहक अपने बैंक खाते या ई-वॉलेट से दूसरे के पास मोबाइल के जरिये फंड भेज या रिसीव कर सकते हैं. इस प्रकिया को नेशनल रजिस्ट्रेशन आईडेंटिटी कार्ड या फॉरेन आईडेंटिफिकेशन नंबर के जरिये पूरा किया जाता है.
दोनों के जुड़ने का क्या है मतलब
दो देशों के बीच खुदरा भुगतान एक तो ज्यादा पारदर्शी नहीं होता, दूसरे इस तरह के ट्रांजेक्शन पर चार्जेंज ज्यादा लगने से यह महंगा हो जाता है. UPI-PayNow के लिंक होने से इस समस्या का सीधा हल मिल गया है. अब भारत के नागरिक सिंगापुर में खुदरा भुगतान आसानी से कर सकेंगे तो सिंगापुर के लोग भारतीय बाजार में बिना किसी दिक्कत के पैसे भेज सकते हैं. यानी दोनों देशों के बीच खुदरा लेनदेन ज्यादा सुरक्षित, आसान, पारदर्शी और सस्ता हो गया है.
आम आदमी को कैसे होगा फायदा
इस भुगतान सिस्टम के शुरू होने से सिंगापुर के साथ व्यापार करने वाले या वहां घूमने जाने वाले अथवा काम करने वालों के लिए भुगतान करना आसान हो गया है. अगर आप सिंगापुर घूमने गए हैं तो बिना किसी परेशानी के वहां की खुदरा दुकानों पर यूपीआई के इस्तेमाल से भुगतान कर सकेंगे. इसके अलावा सिंगापुर में हजारों भारतीय काम करते हैं, उनके लिए अपने घर पैसे भेजना भी अब आसान और सस्ता हो गया है. इतना ही नहीं सिंगापुर में पढ़ाई करने वाले भारतीय छात्रों को घर से पैसे मंगाना अब और आसान बन गया है.
रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में हर साल सिंगापुर से करोड़ों रुपये लोग अपने घरों को भेजते हैं. अगर साल 2021 का आंकड़ा देखें तो भारत में विदेश से भेजे गए कुल पैसों में 5.7 फीसदी हिस्सेदारी अकेले सिंगापुर की है.