
रायपुर। छत्तीसगढ़ के पंचायत विभाग के अधिकारियों का बड़ा कारनामा उजागर हुआ है। अधिकारियों ने केंद्र सरकार से मिली छह करोड़ की राशि से ठाकुर प्यारेलाल पंचायत संस्थान निमोरा तालाबनुमा गड्ढे में ही तान दिया। आवासीय भवन में पुरुष छात्रावास, महिला छात्रावास, बैडमिंटन हाल व विशिष्ट अतिथि गृह का निर्माण किया है।
पंचायत संस्थान ने केंद्र सरकार से मिली राशि का उपयोग ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के माध्यम से निर्माण में किया। भवन निर्माण के लिए स्थान के चयन में बड़ी गड़बड़ी की। वहीं निर्माण के समय गड्ढे को भी नहीं भरा गया। अब बारिश के दिनों में पहले तल तक पानी जमा होने की शिकायत है।
मामले में भ्रष्टाचार की जानकारी उस समय सामने आई, जब पंचायत विभाग ने निर्माण पूरा होने का हवाला देकर केंद्र सरकार से बची राशि की मांग की
केंद्र की टीम जब भवन को देखने पहुंची तब पता चला कि यह निर्माण गलत स्थान पर कर दिया गया है। पानी में डूबने के कारण आवास का औचित्य ही नहीं रह जाता है। अनियमितता और घटिया निर्माण कार्य को देखने के बाद पंचायत राज मंत्रालय, भारत सरकार ने निर्माण कार्य की द्वितीय किस्त देने से स्पष्ट मना कर दिया।
केंद्र सरकार से द्वितीय किस्त जारी नहीं होने के बाद अधिकारियों ने नया रास्ता निकाला। पंचायत विभाग के अधिकारियों ने 19 अक्टूबर 2020 को एक बैठक की। बैठक में तय किया गया कि राशि नहीं होने के कारण निर्माण पूरा नहीं हो सकता है।
कार्य की लागत तो बढ़ेगी, अब तक खर्च राशि भी बर्बाद हो जाएगी। विलंब के कारण निर्माण संरचना क्षतिग्रस्त भी हो रही है। ऐसे में समिति ने सुझाव दिया कि मुख्यमंत्री क्षमता विकास निधि से राशि जारी की जाए। केंद्र सरकार से इस मद में राशि आने के बाद समायोजन किया जाएगा।
इन अधिकारियों की टीम ने लिया फैसला
मुख्यमंत्री क्षमता विकास निधि से स्वीकृत कार्य को पूर्ण कराने के लिए चार अधिकारियों की टीम ने निर्णय लिया। इसमें संयुक्त संचालक दीपक शर्मा, कार्यपालन अभियंता एडी दानी, लेखाधिकारी दिप्ती अग्रवाल और सहायक अभियंता आरके खोब्रागड़े शामिल थे।
छत्तीसगढ़ पंचायत विभाग के सचिव आर प्रसन्ना ने कहा कि अधिकारियों ने बताया कि निर्माण के लिए राशि नहीं है। यह नहीं बताया गया है कि मद परिवर्तन करके राशि की मांग की जा रही है। इस मामले में पूरी जानकारी लेने के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी।
फैक्ट फाइल
- केंद्र सरकार ने छह करोड़ 50 लाख रुपये की राशि स्वीकृत की
- पहली किस्त में तीन करोड़ 41 लाख रपये की राशि जारी की गई
- 70 फीसद निर्माण के बाद राशि नहीं होने से लटक गई पूरी योजना