हरियाणा दिवस: ऊर्जा और संस्कृति से भरपूर राज्य की स्थापना का दिन

हरियाणा दिवस: ऊर्जा और संस्कृति से भरपूर राज्य की स्थापना का दिन

हरियाणा दिवस: ऊर्जा और संस्कृति से भरपूर राज्य की स्थापना का दिन, 1 नवंबर का दिन हरियाणा के इतिहास में एक विशेष महत्व रखता है। यह वह दिन है जब भारत के मानचित्र पर एक नए, ऊर्जावान और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध राज्य हरियाणा का उदय हुआ था। “हरि का आना” (भगवान का निवास) के नाम से जाना जाने वाला यह क्षेत्र, जिसने महाभारत के युद्ध से लेकर आधुनिक भारत के औद्योगिक विकास तक का सफर तय किया है, अपनी स्थापना के इस दिन को बड़े उत्साह और गर्व के साथ मनाता है। यह दिवस केवल एक तारीख नहीं, बल्कि राज्य की दृढ़ता, प्रगति और गौरवशाली अतीत का प्रतीक है।

1. हरियाणा दिवस समारोह का परिचय

हरियाणा दिवस: ऊर्जा और संस्कृति से भरपूर राज्य की स्थापना का दिन, जिसे स्थापना दिवस के रूप में भी जाना जाता है, हर साल 1 नवंबर को मनाया जाता है। इस दिन राज्य भर में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम, खेल प्रतियोगिताएं और सरकारी समारोह आयोजित किए जाते हैं। यह उत्सव राज्य के नागरिकों को अपनी जड़ों से जुड़ने, अपनी उपलब्धियों पर गर्व करने और भविष्य के लिए संकल्प लेने का अवसर प्रदान करता है। यह दिन उन सभी बलिदानों और प्रयासों को याद करने का भी मौका है जिनके कारण हरियाणा को एक अलग राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ।

2. हरियाणा के गठन की पृष्ठभूमि

हरियाणा का गठन एक लंबी भाषाई और राजनीतिक प्रक्रिया का परिणाम था।

• मांग का उदय: स्वतंत्रता के बाद, तत्कालीन पंजाब राज्य में हिंदी और पंजाबी बोलने वाले समुदायों के बीच भाषाई आधार पर एक अलग राज्य की मांग उठने लगी। हिंदी भाषी क्षेत्रों के लोगों ने अपने लिए एक अलग पहचान और प्रशासनिक इकाई की आवश्यकता महसूस की।

• शाह आयोग का गठन: इस मांग को देखते हुए, भारत सरकार ने 1966 में जस्टिस जे.सी. शाह की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया। इस आयोग का कार्य भाषाई आधार पर पंजाब के पुनर्गठन के लिए सीमांकन करना था।

• राज्य का जन्म: शाह आयोग की सिफारिशों के आधार पर, संसद ने पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 पारित किया। इसके परिणामस्वरूप, 1 नवंबर, 1966 को पंजाब के हिंदी भाषी क्षेत्रों को अलग करके हरियाणा को भारत के 17वें राज्य के रूप में स्थापित किया गया। इस प्रकार, 44,212 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल के साथ हरियाणा का जन्म हुआ, जिसकी राजधानी चंडीगढ़ को पंजाब के साथ साझा किया गया।

3. हरियाणा की सांस्कृतिक विरासत

हरियाणा दिवस: ऊर्जा और संस्कृति से भरपूर राज्य की स्थापना का दिन, हरियाणा की संस्कृति इसकी मिट्टी जितनी ही उपजाऊ और समृद्ध है। यह वह भूमि है जहां वैदिक सभ्यता का विकास हुआ और जहां भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था।

• लोक कला और नृत्य: हरियाणा की संस्कृति में लोक नृत्य और संगीत का विशेष स्थान है। सांग (लोक नाट्य), धमाल नृत्य (महाभारत काल से जुड़ा सबसे पुराना नृत्य), और घूमर यहां की पहचान हैं।

• पहनावा और खान-पान: यहां का पारंपरिक पहनावा सादगी और रंगीनता का मिश्रण है। खान-पान में दूध-दही का खाना प्रमुख है, जिसके कारण हरियाणा को “दूध-दही का देश” भी कहा जाता है। बाजरे की रोटी, लस्सी और चूरमा यहां के लोकप्रिय व्यंजन हैं।

• खेल और शौर्य: हरियाणा को ‘खिलाड़ियों की खान’ कहा जाता है। कुश्ती, मुक्केबाजी और कबड्डी जैसे खेलों में इस राज्य ने देश को अनगिनत अंतर्राष्ट्रीय पदक विजेता दिए हैं, जो इसकी ऊर्जा और शौर्य परंपरा को दर्शाते हैं।

4. खेल प्रतिभा की जननी और पदकों की फैक्ट्री

हरियाणा को सही मायने में ‘खिलाड़ियों की खान’ और ‘पदकों की फैक्ट्री’ कहा जाता है। देश के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सबसे अधिक पदक जीतने वाले राज्यों में हरियाणा का नाम सबसे ऊपर है।

• कुश्ती और मुक्केबाजी: कुश्ती और मुक्केबाजी जैसे खेलों में यहां के खिलाड़ियों का दबदबा रहा है। साक्षी मलिक, योगेश्वर दत्त, बजरंग पुनिया और विजेंदर सिंह जैसे नाम हरियाणा की खेल संस्कृति की देन हैं।

• सरकारी प्रोत्साहन: राज्य सरकार की खेल नीति ने इस प्रतिभा को निखारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। खिलाड़ियों को मिलने वाले उच्च पुरस्कार राशि और सरकारी नौकरियों में आरक्षण ने युवाओं को खेलों के प्रति प्रेरित किया है।

• ग्रामीण स्तर पर खेल: यहां के गांवों में आज भी अखाड़ों और खेल के मैदानों को विशेष महत्व दिया जाता है, जो जमीनी स्तर पर प्रतिभा को पहचानने और पोषित करने का काम करते हैं। यह खेल भावना ही हरियाणा की ऊर्जा और शौर्य परंपरा को दर्शाती है।

5. हरियाणा दिवस समारोह

हरियाणा दिवस: ऊर्जा और संस्कृति से भरपूर राज्य की स्थापना का दिन, हरियाणा दिवस के अवसर पर राज्य भर में एक उत्सव का माहौल होता है।

• सरकारी आयोजन: राज्य सरकार द्वारा विभिन्न जिलों में बड़े कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें मुख्यमंत्री और राज्यपाल जैसे गणमान्य व्यक्ति शामिल होते हैं।

• सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ: स्कूलों, कॉलेजों और सांस्कृतिक अकादमियों द्वारा हरियाणा की समृद्ध संस्कृति को दर्शाते हुए लोक नृत्य, गीत और नाटक प्रस्तुत किए जाते हैं।

• खेल गतिविधियाँ: इस दिन खेल प्रतिभाओं को सम्मानित किया जाता है और कई स्थानों पर मैराथन तथा खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन होता है।

6. आर्थिक विकास और प्रगति

हरियाणा दिवस: ऊर्जा और संस्कृति से भरपूर राज्य की स्थापना का दिन, गठन के समय एक कृषि प्रधान राज्य के रूप में पहचाना जाने वाला हरियाणा आज देश के सबसे विकसित और औद्योगिक राज्यों में से एक है।

• कृषि में आत्मनिर्भरता: कृषि में उन्नत तकनीकों और सिंचाई के साधनों के कारण हरियाणा देश के अनाज भंडार में महत्वपूर्ण योगदान देता है।

• औद्योगिक हब: गुरुग्राम (गुड़गांव) और फरीदाबाद जैसे शहर आज सूचना प्रौद्योगिकी (IT), ऑटोमोबाइल और विनिर्माण के प्रमुख केंद्र बन चुके हैं। गुरुग्राम को भारत की ‘मिलेनियम सिटी’ और ऑटोमोबाइल उद्योग का गढ़ माना जाता है।

• बुनियादी ढांचा: राज्य ने सड़कों, बिजली आपूर्ति और शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति की है, जिसने इसकी आर्थिक वृद्धि को गति दी है।

हरियाणा दिवस हमें यह बताता है कि यह राज्य केवल अपनी भौगोलिक सीमाओं से नहीं, बल्कि अपने लोगों की मेहनत, संस्कृति और ‘जय जवान, जय किसान’ की भावना से परिभाषित होता है। यह दिन हरियाणा की ‘हरियाली’ और ‘खुशहाली’ का जश्न मनाने का दिन है।

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