गुलाबो देवी बनी आयुष्मान योजना की आइकॉन, 4 बच्चों को अनाथ होने से बचाया !

आयुष्मान भारत योजना में भले ही काफी जगह गड़बड़ी सामने आई हो, लेकिन सोनीपत के नांदनौर गांव में आयुष्मान भारत योजना के सहारे जहां महिला गुलाबो की जान बच गई। वहीं उसके चार बच्चे अनाथ होने से बच गए। गुलाबो के पति मुकेश की मौत के दिन ही हार्टअटैक आ गया। घर में खाने तक के लिए रुपये नहीं थे तो उसके बचने की उम्मीद भी खत्म हो गई। जब आयुष्मान भारत योजना में शामिल होने का पता चला तो गुलाबो का तुरंत कार्ड बनवाया गया और उस योजना से मुफ्त में स्टेंट डलवाकर उसकी जान बचाई गई। अब आयुष्मान भारत योजना का प्रचार करने के लिए गुलाबो को आइकन बनाया गया है जो प्रदेश की इकलौती महिला है, जबकि अन्य लोग उत्तर प्रदेश के शामिल किए गए हैं। यमुना खादर के गांव नांदनौर में रहने वाली गुलाबो के पति मुकेश काफी बीमार रहते थे। गुलाबो घरों में काम करके अपने परिवार का गुजरा करती थी तो उसके पति मुकेश मजदूरी करते थे।

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परिवार में उनके तीन बेटे भीम, गौरव, सौरभ व एक बेटी शीतल हैं। परिवार पर उस समय गम का पहाड़ टूट पड़ा जब बुखार के कारण मुकेश की 7 जुलाई 2019 को मौत हो गई। गुलाबो पति की मौत का सदमा सहन नहीं कर सकी और उसे भी हार्टअटैक आ गया। बच्चों ने गुलाबो को शहर के एक निजी हॉस्पिटल में भर्ती करा दिया। डाक्टरों ने स्टेंट बदलने के बाद ही जान बचने की बात कही। उसी समय आयुष्मान भारत योजना के बारे में पता चला तो उसका कार्ड बनवाया गया। इसके बाद गुलाबो को स्टेंट डाले गए। वहीं सरकार ने गुलाबो को आयुष्मान भारत योजना से जिंदगी बचने पर बड़ी मिसाल मानते हुए आइकन बनाया है और वह सरकार की वेबसाइट व पोस्टरों पर देशभर में छाई हुई है। गुलाबो कहती है कि अगर आयुष्मान भारत योजना नहीं होती तो आज उसकी जान ना बचपति और उसके बच्चे अनाथ हो जाते।

बेटे का एक्सीडेंट हुआ तो उसका भी आयुष्मान योजना से उपचार कराया गुलाबो ने बताया कि उसको स्टेंट डलने के बाद वह आराम से घर चली गई थी और अपने परिवार का गुजारा करने लगी थी। इस बीच ही कुछ दिन पहले उसके बड़े बेटे भीम का एक्सीडेंट हो गया। जिससे उसके हाथ की हड्डी टूट गई तो अन्य काफी जगह भी चोट लगी थी। उस समय भी उनके पास उपचार के लिए रुपये नहीं थे, लेकिन आयुष्मान भारत योजना के सहारे उसका भी उपचार कराया गया।

गुलाबो को ऐसे बनाया आइकन :-

प्रदेश में यह देखा गया कि कितने लोगों ने गंभीर बीमारी में आयुष्मान योजना के तहत उपचार कराया है। इसके बाद उन सभी से स्वास्थ्य विभाग की टीम ने जाकर बातचीत की। टीम ने देखा कि गुलाबो के परिवार की स्थिति ऐसी थी, जिसके सामने खाने तक की परेशानी थी। पति की पहले ही मौत हो चुकी थी और आयुष्मान योजना से उसे कैसे सहारा मिला। इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए गुलाबो को आगे लाया गया। आयुष्मान भारत योजना से काफी ऐसे मरीजों की जान बची है, जो अपना उपचार आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण नहीं करा सकते थे। गुलाबो भी उनमें से एक है और वह किसी आइकन से कम नहीं है। इसलिए ही उसके सहारे आयुष्मान भारत योजना का प्रचार किया जा रहा है।

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