नई दिल्ली. अगर आपके पास बड़ी एफडी है तो आपके लिए अच्छी खबर है. आरबीआई ने 1 करोड़ रुपये से अधिक की एफडी के प्रीमैच्योर विड्रॉल की व्यवस्था करने के लिए कहा है. आरबीआई ने बैंकों को गुरुवार को निर्देश जारी करते हुए कहा कि 1 करोड़ रुपये तक की सभी एफडी पर उन्हें समय-पूर्व निकासी की सुविधा देनी होगी. अभी यह सीमा 15 लाख रुपये तक है.
बकौल रिजर्व बैंक, समीक्षा के बाद यह फैसला लिया गया है कि गैर-निकासी योग्य एफडी को 15 लाख रुपये से बढ़ाकर एक करोड़ रुपये किया जा सकता है. आरबीआई ने प्री-मैच्योरिटी विड्रॉल की सीमा बढ़ाने के निर्देश के साथ बैंकों को कहा है कि वह इसी हिसाब से ब्याज दरों में भी बदलाव कर सकते हैं. ये निर्देश सभी वाणिज्यिक बैंकों और सहकारी बैंकों पर तत्काल प्रभाव से लागू हो गए हैं. इसके अलावा आरबीआई ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRB) के लिए ‘थोक जमा’ सीमा को 15 लाख रुपये से बढ़ाकर एक करोड़ रुपये से अधिक कर दिया है.
क्रेडिट कंपनियों को निर्देश
आरबीआई ने क्रेडिट सूचना कंपनियों (सीआईसी) के लिए निर्देश जारी करते हुए कहा है कि क्रेडिट जानकारी के सुधार में हुई देरी के लिए ग्राहक को हर दिन 100 रुपये देने होंगे. नई व्यवस्था लागू करने के लिए क्रेडिट संस्थानों (सीआई) और क्रेडिट सूचना कंपनियों (सीआईसी) को 6 महीने का समय दिया गया है.
एजेंटों पर लगेगी लगाम
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बकाया कर्ज की वसूली के लिए मानकों को सख्त करने का गुरुवार को प्रस्ताव रखा. इसके तहत वित्तीय संस्थान और उनके वसूली एजेंट कर्जदारों को सुबह आठ बजे से पहले और शाम सात बजे के बाद फोन नहीं कर सकते हैं. आरबीआई के ‘जोखिम प्रबंधन और आचार संहिता पर मसौदा निर्देश’ में कहा गया है कि बैंकों और एनबीएफसी जैसी विनियमित संस्थाओं (आरई) को मुख्य प्रबंधन कार्यों को आउटसोर्स नहीं करना चाहिए. इन कार्यों में नीति निर्माण और केवाईसी मानदंडों के अनुपालन का निर्धारण और ऋणों की मंजूरी भी शामिल हैं. आरबीआई ने कहा कि आरई को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आउटसोर्सिंग व्यवस्था से ग्राहकों के प्रति उनकी जिम्मेदारी कम न हो. मसौदे के मुताबिक, बैंकों एवं गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को प्रत्यक्ष बिक्री एजेंटों (डीएसए), प्रत्यक्ष विपणन एजेंटों (डीएमए) और वसूली एजेंटों के लिए आचार संहिता बनानी चाहिए.