
हरियाणा: प्रदेश में सीआईडी को लेकर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और गृहमंत्री अनिल विज के बीच विवाद बढ़ता जा रहा है. गृह मंत्री अनिल विज ने इस मामले को हाईकमान तक पहुंचा दिया है. अब विज का कहना है कि वे पार्टी के नेता को इस बारे में बता चुके है. अब पार्टी हाईकमान का जो भी फैसला होगा उनको मंजूर होगा. अब इस विवाद का फैसला हाईकमान द्वारा ही होगा. सूत्रों का कहना है कि इसका फैसला अब दिल्ली चुनाव के बाद ही होगा.
अनिल विज ने चंडीगढ़ में पत्रकारों को बातचीत के दौरान कहा कि मुख्यमंत्री तो सुप्रीम है, वह चाहे तो सीआईडी क्या, गृह विभाग भी ले सकते है. उन्होंने पत्रकारों को एक्ट की कॉपी दिखाई और कहा कि 1974 के कानून में साफ लिखा है कि सीआईडी, गृह विभाग का ही एक हिस्सा है. यदि सीआईडी को गृह विभाग से अलग कर दिया गया तो यह बिना आंख, नाक, कान वाला व्यक्ति प्रतीत होगा. उल्लेखनीय है कि सीआईडी रिपोर्ट की खबर अनिल विज के अलावा मनोहर लाल खट्टर और सेक्रेटरी केशनी आनंद को जा रही है. सूत्रों का मानना है कि सीआईडी को गृह विभाग से अलग करने की कारवाई शुरू की जा चुकी है. संभावना है कि कानून में बदलाव के लिए प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी के बाद विधानसभा में मंजूर करवाया जा सकता है.
4 पुलिस अफसरों को भी वापिस माँगा
गृह मंत्री अनिल विज ने कहा कि पुलिस के चार अफसर दूसरे विभागों में काम कर रहे है. जबकि इन अफसर पुलिस विभाग की सेवा में होना चाहिए. इसके अलावा उन्होंने विभाग के मुख्य सचिव को भी पत्र लिखा.
11 जिलों के एसपी और कमिश्नर नहीं भेज रहे अनिल विज को रिपोर्ट
गृह मंत्री अनिल विज के आदेशो को लेकर आईपीएस गंभीरता नहीं दिखा रहे है. प्रदेश में पुलिस विभाग में करीब 29 हज़ार से ज्यादा केस बचे हुए है. जिन जिलों में 1000 से अधिक केस पेंडिंग है, उन जिलों के एसपी को गृह मंत्री अनिल विज ने 23 दिसम्बर को नोटिस जारी किये थे. लेकिन किसी भी एसपी ने नोटिस का जवाब नहीं दिया. अब रीमाइंडर भेजा गया है विज ने गृह विभाग के एसीएस व डीजीपी से कहा है कि वे मामले में कड़ी कार्यवाही करें। कुरुक्षेत्र, यमुनानगर, पानीपत, सिरसा, जींद, करनाल, हिसार, फतेहाबाद, रोहतक, सोनीपत, भिवानी, फरीदाबाद, गुड़गांव के एसपी-कमिश्नरों से जवाब मांगा गया था।