
सीएम सीटी करनाल का कल्पना चावला मेडिकल कालेज फिर विवादों में, एक्सपायरी डेट दवाइयों से धुल रहे मरीजो के घाव!
डायरेक्टर बोले हमारे यहां ऐसा कोई मामला नहीं, हमने तो पुरानी बोतल में डालकर दी थी बीटाडाईन।

करनाल (आकर्षण उप्पल) सीएम सीटी करनाल का कल्पना चावला मेडिकल कालेज एक बार फिर विवादों में आ गया है। मामला संगीन और बड़ा इसलिए है क्योंकि करनाल मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का विधानसभा क्षेत्र है और रह रह कर कल्पना चावला मेडिकल कालेज पर सवाल उठते रहते है ! मिली जानकारी अनुसार कल्पना चावला मेडिकल कालेज में मरीजो को एक्सपायरी डेट दवाइयां देकर उनकी जान और सेहत से खिलवाड़ किया जा रहा है। यहां आज इलाज करवाने आये एक मरीज के परिजन की माने तो वो अपने परिवार के सदस्य को इलाज के लिए आज सुबह कल्पना चावला मेडिकल कालेज में लेकर आये तो मरीज के जख्म पर जो बीटाडाईन लगाई गई वो एक्सपायरी डेट थी। उसने उस बोतल की तस्वीर भी खींची और मौके पर डाक्टरो से बात भी की। इस दौरान परिजनों को बताया गया कि अस्पताल में काफी संख्या में दवाइयां एक्सपायरी डेट हो चुकी है तथा नया स्टॉक न होने की वजह से उन्हें मजबूरन पुरानी दवाइयों का इस्तेमाल करना पड़ रहा है।
ये सुनने के बाद मरीज के परिजन आग बबूला हो गए जिसके बाद डाक्टरो ने किसी तरह उन्हें समझाया लेकिन मामले की खबर आईबीएन 24 की टीम को लग गई और मामले में अधिक जानकारी लेने पर चौंकाने वाले तथ्य सामने आये है।अस्पताल सूत्रों से जानकारी मिली है कि अगर उच्चस्तरीय जांच कराई जाए तो कल्पना चावला मेडिकल कालेज में बड़े स्तर पर ऐसी दवाइयों का स्टॉक है जोकि एक्सपायरी डेट हो चुका है। खबर ये भी है कि जिन दवाइयों की एक्सपायरी डेट नजदीक होती है अस्पताल प्रबंधन उसे कम रेट पर खरीदता है लेकिन कम्पनियों से बिलिंग पूरे पैसे की करवाई जाती है।हालांकि इस बात में कितनी सच्चाई है इसकी जांच होना आवश्यक है।अगर ये तथ्य सही है तो सीएम सीटी करनाल में बने कल्पना चावला मेडिकल कालेज में उन मरीजो की जान से कहीं न कहीं खिलवाड़ किया जा रहा है जो आंखे बंद करके अपने इलाज के लिए यहां पहुंचते है।

मेडिकल डायरेक्टर बोले ऐसी कोई बात नहीं, हमने तो एक्सपायरी डेट बोतल में बीटाडाईन डालकर दी थी: इस मामले में जब हमने कल्पना चावला मेडिकल कालेज के डायरेक्टर डॉ जगदीश दुरेजा से बात की तो उन्होंने पहले कहा कि वो चंडीगढ़ से वापिस आ रहे है। उन्हें ऐसे किसी मामले का नहीं पता और न ही ऐसा हो सकता है। जब हमने उन्हें मरीज के साथ हुई आप बीती बताई तो उन्होंने कहा कि वो मामले की जानकारी लेकर बताएंगे।थोड़ी देर बाद फिर बात करने पर उन्होंने बताया कि मरीज ने ईलाज के दौरान बीटाडाईन मांगी थी जोकि एक पुरानी बोतल में डालकर दे दी गई। सवाल है कि पुरानी बोतल जिसकी एक्सपायरी डेट निकल गई है उसे वहां रखा क्यों गया और क्या ये मुमकिन है कि किसी मरीज को कल्पना चावला मेडिकल कालेज के डॉक्टर कोई दवाई बोतल में डालकर दे?
जब हमने कहा डायरेक्टर डॉ जगदीश दुरेजा से कहा कि इमरजेंसी के अंदर कैमरे लगे है आप मामले की जांच करवाएं तब जाकर मामले में एक कमेटी का गठन किया गया और मामले की जांच के आदेश दिए गए।कुल मिलाकर ये पूरा मामला उच्चस्तरीय जांच का है कि आखिर कल्पना चावला मेडिकल कालेज में मरीजो की जान से ये खिलवाड़ कैसे और किसकी लापरवाही से हो रहा है ? जानकारी मिली है कि अस्पताल प्रबंधन जिन दवाइयों की एक्सपायरी डेट नजदीक होती है उनजे खरीदने में ज्यादा दिलचस्पी रखता है क्योंकि ऐसा स्टॉक अस्पताल को सस्ता मिल जाता है?