
इंडिया ब्रेकिंग/करनाल रिपोर्टर(ब्यूरो) महिलाओं की सुरक्षा जिला प्रशासन की प्राथमिकता है। महिलाओं के प्रति किसी भी प्रकार का अपराध ना हो, इसके लिए सरकार द्वारा अनेक कदम उठाए गए है और अपराध होने की स्थिति में पीड़ित महिला को तत्कालीन हर संभव मदद मिले, इसके लिए भी सरकार द्वारा ठोस कदम उठाते हुए वन स्टॉप सेंटर फॉर वुमैन(सखी) की स्थापना की गई है। यह बातें उपायुक्त निशांत कुमार यादव ने शनिवार को महिला आश्रम परिसर स्थित वन स्टॉप सेंटर का निरीक्षण करने उपरांत कही।
डीसी ने कहा कि महिला द्वारा किसी भी प्रकार की हिंसा झेलने पर उसे तुरंत कईं तरह की सहायता की जरूरत पड़ सकती है, इनमें चिकित्सा सहायता, कानूनी सहायता, अस्थाई रूप से रहने के लिए स्थान, मानसिक और भावनात्मक सहयोग शामिल है। ऐसे में यह भी आवश्यक है कि पीडि़त महिला को यह मदद एक ही स्थान पर मिले और उसे इन सबके लिए अलग-अलग संस्थाओं के पास ना जाना पड़े। इसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु वन स्टॉप सेंटर की स्थापना की गई है। उन्होंने कहा कि घरेलू हिंसा, यौन शौषण, दहेज उत्पीडऩ, बलात्कार, बाल विवाह, बाल यौन शौषण, महिला तस्करी, गुमशुदा/अपहरण ग्रस्त, एसिड एटैक या किसी भी अन्य प्रकार से पीडि़त महिला की हर सम्भव मदद करना प्रत्येक नागरिक का सामाजिक कर्तव्य है और इस कर्तव्य को निभाते हुए हमें पीडि़त महिला को स्थानीय महिला आश्रम परिसर स्थित वन स्टॉप सेंटर फॉर वुमैन (सखी) तक अवश्य पहुंचाना चाहिए ताकि पीड़ित महिला की समय पर मदद हो सके।
उपायुक्त ने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा और पीड़ित महिलाओं के लिए सुगम और सुचारू तरीके से न्याय सुनिश्चित करने के दृष्टिगत वन स्टॉप सैंटर फॉर वुमैन(एकल सुविधा केन्द्र) की स्थापना की गई थी। प्रदेश में वन स्टॉप सैंटर सबसे पहले करनाल में स्थापित किया गया है, वन स्टॉप सेंटर फॉर वुमैन (सखी)ऐसा केन्द्र है जहां एक ही छत के नीचे पीडि़त महिला को सभी सुविधाओं के साथ-साथ पीडि़त महिला को पांच दिन रहने की सुविधा प्रदान की जाती है तथा उसके खाने-पीने का भी विशेष ध्यान रखा जाता है।
इस सेंटर में हिंसा से प्रभावित महिलाओं को उनके परिवार से मिलाकर समझौता करवाने इत्यादि विषयों को लेकर भी मदद की जाती है। इसके अतिरिक्त इस केन्द्र में यौन उत्पीडऩ व भावनात्मक स्तर या फिर अन्य कारणों से प्रभावित महिलाओं को भी सहायता प्रदान की जाती है। जिसमें केन्द्र प्रबंधक, कानूनी सलाहकार, परामर्शदाता, केस वर्कर,कम्प्यूटर ऑपरेटर, प्राथमिक चिकित्सा के लिए पैरामेडिकल स्टाफ तथा सुरक्षाकर्मी पीडि़त महिला की मदद के लिए हर सम्भव प्रयास करते हैं।