EMI के साइड इफ़ेक्ट: लोग समझते हैं लाभकारी, पर क्या यह वास्तव में फायदेमंद है?

EMI के साइड इफ़ेक्ट: लोग समझते हैं लाभकारी, पर क्या यह वास्तव में फायदेमंद है?

EMI के साइड इफ़ेक्ट: लोग समझते हैं लाभकारी, पर क्या यह वास्तव में फायदेमंद है?

आज के दौर में, “EMI पर ले लो” (Take it on EMI) एक ऐसा मंत्र बन गया है जो हमें अपनी हर इच्छा को तुरंत पूरा करने की आजादी देता है। मोबाइल फोन से लेकर कार और घर तक, हर बड़ी खरीदारी EMI यानी समान मासिक किस्त (Equated Monthly Installment) के सहारे संभव हो गई है। यह सुविधा हमें अपनी जेब पर एक साथ बोझ डाले बिना चीजों का आनंद लेने का मौका देती है।

लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जिस EMI को हम इतना लाभकारी समझते हैं, उसके कुछ साइड इफ़ेक्ट भी हो सकते हैं? क्या यह वास्तव में हमेशा फायदेमंद होती है, या यह एक ऐसा मीठा जाल है जो हमें अनजाने में कर्ज के दलदल में धकेल देता है? आइए, इस वित्तीय सुविधा के दोनों पहलुओं का संतुलित विश्लेषण करते हैं।

EMI: क्यों यह इतना लोकप्रिय है? (लाभकारी पहलू)

EMI के साइड इफ़ेक्ट: लोग समझते हैं लाभकारी, पर क्या यह वास्तव में फायदेमंद है? EMI की लोकप्रियता के पीछे कुछ ठोस कारण हैं जो इसे उपभोक्ताओं के लिए आकर्षक बनाते हैं:

1.सपनों को साकार करना: EMI के कारण ही एक आम आदमी भी अपना घर, कार या उच्च शिक्षा का सपना पूरा कर पाता है, जिसके लिए एकमुश्त बड़ी रकम जुटाना मुश्किल होता है।

2.वित्तीय लचीलापन (Financial Flexibility): यह आपके मासिक बजट को बिगड़ने नहीं देता। एक बड़ी राशि के बजाय, आप उसे छोटी-छोटी किस्तों में चुकाते हैं, जिससे आपकी अन्य जरूरतें प्रभावित नहीं होतीं।

3.क्रेडिट स्कोर में सुधार: यदि आप अपनी EMI का भुगतान समय पर करते हैं, तो यह आपके क्रेडिट स्कोर (CIBIL) को मजबूत करता है, जिससे भविष्य में आपको बेहतर शर्तों पर लोन मिलने की संभावना बढ़ जाती है।

4.महंगाई से बचाव: कुछ मामलों में, आज कोई वस्तु खरीदकर उसे भविष्य की कीमतों पर चुकाना समझदारी हो सकती है, खासकर जब महंगाई दर अधिक हो।

EMI के साइड इफ़ेक्ट: वह मीठा जाल

EMI के साइड इफ़ेक्ट: लोग समझते हैं लाभकारी, पर क्या यह वास्तव में फायदेमंद है? लाभों के बावजूद, EMI के कुछ गंभीर साइड इफ़ेक्ट हैं जिन पर अक्सर ध्यान नहीं दिया जाता। ये साइड इफ़ेक्ट वित्तीय और मनोवैज्ञानिक दोनों हो सकते हैं:

1. ब्याज का छिपा हुआ बोझ

EMI के साइड इफ़ेक्ट: लोग समझते हैं लाभकारी, पर क्या यह वास्तव में फायदेमंद है? EMI का सबसे बड़ा साइड इफ़ेक्ट है ब्याज का संचय (Accrued Interest)।

•कुल लागत में वृद्धि: भले ही मासिक किस्त छोटी लगे, लेकिन लंबी अवधि में आप वस्तु की मूल कीमत से कहीं अधिक पैसा ब्याज के रूप में चुकाते हैं। उदाहरण के लिए, 10 लाख रुपये के लोन पर 15 साल में आप लगभग 10 लाख रुपये से अधिक का ब्याज चुका सकते हैं।

•’नो कॉस्ट EMI’ का भ्रम: ‘नो कॉस्ट EMI’ अक्सर एक मार्केटिंग का हथकंडा होता है। इसमें या तो बैंक आपसे प्रोसेसिंग फीस या GST लेता है, या फिर विक्रेता आपको वह छूट नहीं देता जो वह कैश पेमेंट पर देता। यानी, लागत किसी न किसी रूप में आप ही वहन करते हैं।

2. वित्तीय लचीलेपन में कमी

EMI आपकी मासिक आय का एक निश्चित हिस्सा लॉक कर देती है।

•बजट पर दबाव: यदि आपकी आय का एक बड़ा हिस्सा (मान लीजिए 40% से अधिक) EMI में चला जाता है, तो यह आपकी बचत और निवेश की क्षमता को कम कर देता है।

•आपातकालीन स्थिति में जोखिम: नौकरी छूटने या किसी मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति में, EMI का बोझ तनाव और वित्तीय संकट को कई गुना बढ़ा देता है।

3. मनोवैज्ञानिक जाल

EMI के साइड इफ़ेक्ट: लोग समझते हैं लाभकारी, पर क्या यह वास्तव में फायदेमंद है? EMI का सबसे खतरनाक पहलू इसका मनोवैज्ञानिक प्रभाव है, जिसे “मेंटल अकाउंटिंग” कहा जाता है।

•अनावश्यक खरीदारी: EMI की सुविधा हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि हम कोई महंगी चीज खरीद सकते हैं, जबकि वास्तव में हम उसे वहन (Afford) नहीं कर सकते। यह अनावश्यक और आवेगपूर्ण खरीदारी (Impulsive Buying) को बढ़ावा देता है।

•कर्ज की आदत: बार-बार EMI लेने से कर्ज लेने की आदत पड़ जाती है, जिससे व्यक्ति हमेशा किसी न किसी कर्ज के बोझ तले दबा रहता है।

EMI को कैसे नियंत्रित करें? (संतुलित दृष्टिकोण)

EMI के साइड इफ़ेक्ट: लोग समझते हैं लाभकारी, पर क्या यह वास्तव में फायदेमंद है? EMI को पूरी तरह से नकारना आज के दौर में संभव नहीं है, लेकिन इसे बुद्धिमानी से इस्तेमाल किया जा सकता है:

1.ज़रूरत बनाम इच्छा: केवल उन चीजों के लिए EMI लें जो ज़रूरी हैं और जो आपकी आय या संपत्ति को बढ़ाती हैं (जैसे घर, शिक्षा)। फैशन या गैजेट्स जैसी इच्छाओं के लिए EMI लेने से बचें।

2.छोटी अवधि चुनें: हमेशा कम से कम अवधि की EMI चुनें, भले ही मासिक किस्त थोड़ी बड़ी हो। इससे आप कुल ब्याज लागत को काफी कम कर सकते हैं।

3.EMI-to-Income Ratio: अपनी कुल मासिक EMI को अपनी मासिक आय के 30% से अधिक न होने दें। यह एक सुरक्षित वित्तीय सीमा है।

4.प्री-पेमेंट का विकल्प: जब भी संभव हो, अपनी EMI का कुछ हिस्सा समय से पहले चुका दें। इससे आपके मूलधन (Principal) पर ब्याज कम लगेगा और लोन जल्दी खत्म होगा।

निष्कर्ष:

EMI के साइड इफ़ेक्ट: लोग समझते हैं लाभकारी, पर क्या यह वास्तव में फायदेमंद है? EMI एक दोधारी तलवार है। यह एक शक्तिशाली वित्तीय उपकरण है जो आपको बड़ी संपत्ति बनाने में मदद कर सकता है, लेकिन अगर लापरवाही से इस्तेमाल किया जाए तो यह आपको कर्ज के जाल में फंसा सकता है। EMI को लाभकारी समझने से पहले, उसके साइड इफ़ेक्ट को समझना और उसे नियंत्रित करना आवश्यक है। वित्तीय स्वतंत्रता तभी संभव है जब आप EMI को अपना सेवक बनाएं, न कि अपना स्वामी।

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