Election Update Haryana 2024
हरियाणा में विधानसभा चुनाव बहुत रोमांचक चुनाव होता है। हरियाणा जाटलैंड के नाम से मशहूर है लेकिन 1968 के बाद ऐसा पहली बार हुआ जब हरियाणा में लगातार 2 बार कोई गैर जाट सीएम बना है। आप समझ गए है हम बात कर रहे है हरियाणा के वर्तमान मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की, जो 2014 से पहले कभी सरपंच या पार्षद तक नहीं बने थे लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी होने के चलते 2014 में उन्होंने अपने गृहक्षेत्र रोहतक से करनाल आकर विधानसभा का चुनाव लड़ा और 63773 से चुनाव जीत गए। तब चर्चा थी कि अगर मनोहर लाल खट्टर चुनाव जीते तो हरियाणा के सीएम होंगे और ऐसा हुआ भी क्योंकि उत्तरी हरियाणा के लोगो ने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि हरियाणा का मुख्यमंत्री कभी जीटी रोड बेल्ट से हो सकता है लेकिन भाजपा ने ऐसा करके जहां एक तरफ अपने अकेले के बलबूते हरियाणा की सत्ता पर काबिज होकर इतिहास रचा वहीं दूसरी तरफ 2014 तथा 2019 में करनाल से मनोहर लाल खट्टर विधायक बनकर लगातार 2 बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बन गए। हालांकि 2014 में 47 सीट लेने वाली भाजपा का 2019 में 75 पार का नारा इतना हावी रहा कि कांग्रेस ने ये चुनाव मन से लड़ा ही नहीं जबकि लोग भाजपा से अंदरूनी तौर पर काफी खफा थे लेकिन कांग्रेस या कोई भी विपक्षी पार्टी जनता की नब्ज पहचान ही नहीं पाई और नतीजे के तौर पर चुनाव के बाद नतीजे चौंकाने वाले आये और भाजपा बहुत से 6 सीट कम यानी 40 सीट जीत गई ।
अब भाजपा के सामने चुनौती थी किसी भी तरह वापिस हरियाणा की सत्ता वापिस पाना और भाजपा का ये सपना भाजपा को यमुना पार का नारा देकर चुनौती देते हुए पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ने वाली जननायक जनता पार्टी ने पूरा कर दिया जिसे इस विधानसभा चुनाव में 10 सीट मिली थी । गठबंधन करते हुए जजपा कोटे से हरियाणा को दुष्यंत चौटाला के रूप में दीप्ती सीएम और कई महत्वपूर्ण विभागों वाले मंत्रीमंडल मिल गये I 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को केवल 31 सीट मिली जबकि गुटबाजी और भाजपा के 75 पार के नारे की निराशा के चलते कांग्रेस पार्टी या इसके नेताओं ने मन से चुनाव ही नहीं लड़ा था लेकिन बावजूद इसके सत्ताधारी पार्टी भाजपा से निराशा के चलते हरियाणा के लोगो ने कांग्रेस को वोट किया । राजनीतिक जानकार बताते है कि 2019 में अगर कांग्रेस गुटबाजी को छोड़कर मन से चुनाव लड़ती और कुछ विधानसभा सीटों का बंटवारा ठीक होता तो पार्टी सत्ता के काफी करीब हो सकती थी लेकिन अब 2019 निकल चुका है इसलिए बात 2024 में होने वाले विधानसभा चुनावों के बारे में की जाए तो अच्छा होगा I अब जानना जरूरी है कि इस बार हरियाणा की जनता का मूड़ क्या है ?
Election Update Haryana 2024 : अक्टूबर 2024 में होने है विधानसभा चुनाव, क्या जनता भाजपा को फिर से सत्ता सौंपने के मूढ़ में है या ? : वर्ष 2024 को हरियाणा में चुनावी साल के रूप में याद रखा जाएगा क्योंकि हरियाणा में अगले साल होने वाले 5 शहरों के नगर निगम चुनाव जोकि जनवरी 2024 में होने है, लोकसभा चुनाव जो अप्रेल-मई 2024 में प्रस्तावित है और अक्टूबर 2024 में हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने है। लोगो के बीच पहला सवाल है कि क्या हरियाणा सरकार लोकसभा और विधानसभा चुनाव से पहले क्या 5 नगर निगम के चुनाव करवाएगी ? राजनीतिक जानकार बताते है कि 10 साल सत्ता में रहने के बाद भाजपा ये जोखिम लेने के मूड़ में नहीं है क्योंकि अगर नगर निगम चुनावो के नतीजे उम्मीद के मुताबिक नहीं आये तो इसका नकरात्मक असर भाजपा पर हरियाणा में आने वाली 10 लोकसभा सीट और आगामी विधानसभा चुनाव में पड़ सकता है। अप्रेल-मई 2024 में लोकसभा चुनावो में भी सीएम मनोहर लाल खट्टर पर 10 की 10 लोकसभा सीट मोदी की झोली में डालने का दबाव रहेगा इसीलिये हाल ही में भाजपा ने संगठन में बड़ा बदलाव भी किया है जिसके तहत सीएम मनोहर लाल के बेहद ख़ास और कुरुक्षेत्र से सांसद नायब सिंह सैनी को प्रदेशाध्यक्ष की कमान सौंपी गई है। यदि लोकसभा चुनाव में भाजपा पहले की तरह 10 सीटें जीतने में कामयाब रहती है तो हरियाणा विधानसभा का चुनाव पार्टी दमखम के साथ लड़ेगी लेकिन नतीजे क्या होंगे ये भविष्य के गर्भ में होगा ? वहीं भाजपा संगठन का मजबूत कैडर किसी से छुपा नहीं है इसलिए 10 साल बाद भी भाजपा इस चुनाव को पूरी मजबूती के साथ लड़ेगी ऐसी पूरी सम्भावना है ।
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हरियाणा में किस पार्टी का कितना ग्राफ और किसकी चल रही है लहर ?: अगर 2024 में होने वाले विधानसभा चुनावों की ही बात करें तो इस समय किसी पार्टी की लहर, आंधी या तूफान है ऐसा सोचना गलतफहमी ही कहा जायेगा। अगर बात भाजपा की करें तो 10 साल सत्ता में रहने के बाद भाजपा को इस बार 2 बार की एन्टी इनकम्बेंसी का सामना करना है। दूसरी तरफ लोगो से मंत्री और विधायकों की दूरी भी पार्टी के खिलाफ जा सकती है। हालांकि अगर सरकार के जनसंवाद कार्यक्रमो की बात की जाए तो पिछले कुछ समय में लोगों के बीच जाकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल और उनकी टीम ये बताने का प्रयास तो कर रहे है कि वो जनता के बीच है लेकिन लोगो के बीच अभी तक ये सन्देश पूरी तरह नहीं जा पाया है क्योंकि कई जनसंवाद कार्यक्रमों में जब जब सरकार का विरोध किया गया या जं संवाद कार्यक्रमों में विरोधाभास दिखा तो उनके खिलाफ कार्रवाई कर दी गई, यही नहीं कुछ कार्यक्रमों में जनसंवाद कार्यक्रम में पहुंचे आम लोगो की गिरफ्तारी भी करवा दी गई जिससे जनता के बीच जाहिर तौर अच्छा संदेश नहीं गया होगा। यही नहीं इस दौरान कई जगह जनसंवाद कार्यक्रमो का विरोध भी किया गया जिसके बाद से इन कार्यक्रमों की रफ्तार काफी धीमी पड़ती दिखाई दे रही है ।
दूसरी तरफ परिवार पहचान पत्र, प्रोपर्टी आईडी जैसे बड़े मुद्दे भी जनता के दिलो दिमाग पर असर डाल रहें है क्योंकि इनकी वजह से लोग लम्बे समय तक लाइन में लगे रहे लेकिन नतीजा उम्मीदों के अनुरूप नहीं रहा। पीपीपी की वजह से लोगो को लाभ कम और नुकसान ज्यादा होता हुआ दिखाई दे रहा है क्योंकि ऐसे लोगो की लिस्ट लम्बी है जिन्हें पीपीपी बनने के बाद बीपीएल कार्ड और पेंशन का लाभ मिलना बंद हो चुका है। वहीं किसानो को एमएसपी, विकास के नाम पर हो रहे भ्रष्टाचार, हरियाणा पर लगातार बढ़ता कर्ज, हरियाणा के पहलवानों के साथ सरकार के टकराव जैसे मुद्दे भी जनता को भाजपा से काफी दूर ले गए प्रतीत हो रहें हैं जिसका समाधान जल्द न हुआ तो इसके परिणाम भाजपा के खिलाफ जा सकते है । इसके अलावा हरियाणा कौशल रोजगार निगम बनाकर भी कच्चे कर्मचारी भी भाजपा से दूर कर जाते हुए दिखाई दे रहे है । भाजपा सरकार ने दावा किया था कि इसकी वजह से ठेकेदारी प्रथा खत्म की जा रही है जबकि सत्य ये है कि डीसी रेट पर लगे कर्मचारियों को हरियाणा कौशक रोजगार निगम में आते ही उनकी तनख्वाह काफी कम कर दी गई है जिसका विरोध वो समय समय पर करते रहे है लेकिन सुनवाई के नाम पर उन्हें अभी तक कोई लाभ नहीं मिला। इसके अलावा हरियाणा में आईपीएस लॉबी का हावी होना भी सरकार के खिलाफ जा सकता है क्योंकि प्रशासनिक व्यवस्था आईएएस अफसरों के हाथों में है और आईएएस पदों पर आईपीएस या अन्य अफसरों को लगाने के बाद से आईएएस लाबी सरकार से काफी नाराज है जिनका समय समय पर टकराव देखने को मिलता रहा है ।
वहीं भाजपा के कार्यकर्ता और विधायक तक ये कहते रहे है कि अफसर उनके काम करते और न उन्हें भाव देते है जिसके चलते वो जनता के काम नहीं करवा पा रहे। अगर बात भाजपा के पक्ष की करें तो मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की ईमानदार छवि, बिना पर्ची-खर्ची के नौकरी का दावा, एंटी करप्शन ब्यूरो द्वारा भ्र्ष्टाचार पर लगातार की जा रही कड़ी कार्रवाई और पेंशन या अन्य लाभ सीधा बैंक खाते में भेजने जैसे मुद्दे भाजपा की लगातार तीसरी बार जीत के दावे को मजबूत करते है।
हरियाणा में किसकी बनेगी अगली सरकार : कांग्रेस की गुटबाजी और 9 साल से बिना संगठन पार्टी का प्रचार पड़ सकता है भारी : हरियाणा में करीब 9 साल से ज्यादा समय से कांग्रेस हरियाणा की सत्ता से बाहर है। कांग्रेसी सत्ता पाने के छटपटा रहे है लेकिन पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और एसआरके ( कुमारी शैलजा, रणदीप सुरेजवाला और किरण चौधरी ) ग्रुप की आपसी नोकझोंक और सार्वजनिक मंच पर एक साथ न आना जनता को रास नहीं आ रहा। लोगो के बीच चर्चा है कि यदि कांग्रेस 9 साल में भी एक नहीं हो पाई तो सरकार बनने के बाद भी उनका ध्यान जनता पर न होकर आपसी खींचतान में रहेगा क्योंकि कांग्रेस का हर बड़ा नेता इस समय सीएम बनने की ख्वाइश पाले हुए है जिसके चलते कांग्रेस की आपसी गुटबाजी चरम पर है । पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा, उनके बेटे सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा और प्रदेशाध्यक्ष उदयभान अपने स्तर पर पूरे प्रदेश में कार्यक्रम कर रहे है ताकि किसी तरह हरियाणा में कांग्रेस वापिस सत्ता में लौट सके और हाईकमान पर दबाव हो कि सीएम पद हुड्डा को ही मिले। वहीं SRK ग्रुप भी लगातार भूपेंद्र हुड्डा को इशारों इशारो में निशाने पर लेता रहता है जिससे लोगों के बीच आपसी खींचतान का संदेश जा रहा है।
राजनीतिक जानकार बताते है कि 9 साल से हरियाणा में कांग्रेस का संगठन न होना पार्टी के खिलाफ जाता है क्योंकि जब संगठन ही नहीं है तो पार्टी की पहुंच जनता तक कैसे होगी ? आने वाले समय में भी सन्गठन में प्रमुख नियुक्तियां हो जायेंगी इस बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता ? इस बात में कोई दोराय नहीं कि कांग्रेस की तरफ से हरियाणा में भूपेंद्र सिंह हुड्डा लोगो में सबसे ज्यादा लोकप्रिय नेता है और उनका लोकप्रिय होना ही विरोधी गुटों को रास नहीं आ रहा वहीं राजनितिक जानकार बताते है कि अगर हरियाणा में कांग्रेस को सत्ता मिलती है तो कांग्रेस हाईकमान हरियाणा में भजन लाल की तरह चुनाव के बाद भूपेन्द्र हुड्डा को खुढे लाइन लगाकर सीएम पद का चेहरा बदलकर किसी और को सीएम पद दे सकता है। अगर हाल ही में दिए बयानों और आपसी मतभेदों को देखा जाए तो ऐसा महसूस होता है कि कांग्रेस का एक धड़ा चाहता है कि बेशक कांग्रेस तीसरी बार भी सत्ता से दूर रहे लेकिन विरोधी धड़े में से कोई भी सत्ता पर काबिज न हो जाये ? और यही बात भाजपा को चुनावों में फायदा देने के लिए काफी है I हाल ही में कांग्रेस द्वारा आयोजित कई रैलियों में बड़ी संख्या में जुटने वाली भीड़ से कांग्रेस के उस दावे को बल मिलता है जिसमें वो पूर्ण बहुमत के साथ हरियाणा में जीत का दावा कर रही है।
सत्ता में रहने के बावजूद जेजेपी की स्थिति क्या है ? :
हरियाणा में इस समय भाजपा और जजपा गठबंधन में सरकार चला रहे है लेकिन आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव में ये गठबंधन रहेगा या नहीं इसके बारे में अभी स्थिति साफ नहीं है। कुछ महीने पहले तक हरियाणा भाजपा के नवनियुक्त प्रभारी बिपल्ब देब के कुछ बयानों से भाजपा और जजपा के नेता एक दूसरे के खिलाफ बयान देने लगे थे लेकिन भाजपा हाईकमान से इशारा मिलने के बाद फिलहाल सीजफायर चल रहा है और दोनों की पार्टियां फिलहाल एक दूसरे के खिलाफ कुछ कहने से बच रही है। उस समय स्थिति ऐसी हो गई थी कि भाजपा और जजपा दोनों अपने बलबूते चुनाव लड़ने की बात कहने लगे थे I वहीं 2019 के विधानसभा चुनावों में जजपा का ₹5100 पेंशन का वायदा गठबंधन सरकार के चलते पूरा नहीं हुआ तो वहीं निजी नौकरी में 75 फीसदी आरक्षण का कानून हाल ही में पंजाब एंव हरियाणा हाईकोर्ट ने संविधान क्व भाग-3 का उल्लंघन बताते हुए उसे रद्द कर दिया है।
दूसरी तरफ जिन लोगो ने जजपा को भाजपा के खिलाफ वोट दिया वो इस बात से भी नाराज है कि जजपा ने भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ा, भाजपा को यमुना पार जैसे नारे लगाकर सत्ता से बाहर करने की गुहार लगाई और मौका मिलने पर डिप्टी सीएम और मंत्री पद की लालसा में भाजपा के साथ गठबंधन कर लिया। अब देखना होगा कि आगे चलकर जनता जजपा को वो 10 सीट वापिस उसकी झोली में डालती है या फिर 2024 के विधानसभा चुनाव जजपा को एक बड़ा और कड़ा आदेश देकर जाएंगे ? हालांकि जजपा का दावा है कि दुष्यंत चौटाला को अगली बार हरियाणा की जनता डिप्टी सीएम नहीं बल्कि मुख्यमंत्री पद पर देखना चाहती है लेकिन देखना होगा कि क्या हरियाणा की जनता जजपा पर फिर भरोसा जतायेगी या उसे फिर से किंग मेकर बनकर ही भाजपा, कांग्रेस या किसी अन्य पार्टी का दामन थामना पड़ेगा ?
हरियाणा में आम आदमी पार्टी और इनेलो की स्थिति :
फिलहाल हरियाणा में इनेलो और आम आदमी पार्टी दोनों ही भाजपा को पटखनी देने की बात कर रहे है लेकिन आम आदमी पार्टी का मजबूत संगठन होने के बावजूद बड़े नेताओं का पार्टी में न होना और इनेलो का लगातार टूटना दोनों पार्टियों के दावों पर बड़ा सवाल खड़ा कर रही है। आम आदमी पार्टी जहां दिल्ली और पंजाब में सत्ता मिलने के बाद हरियाणा जीतने का दावा कर रहे है वहीं इनेलो चाहती है कि चाहे वो 2024 में किंग न बने लेकिन जजपा की तरह कम से कम किंग मेकर की भूमिका तो उसे भी मिल जाये तो 20 साल बाद सत्ता में वापसी हो सकती है। हाल ही में इंडिया गठबंधन बनने के बाद इनेलो ने खुद मीडिया में ये बात रखी कि वो इनेलो गठबंधन में शामिल होने के इच्छुक है इसका सीधा मतलब ये है कि अगर वक्त पड़ने पर इनेलो को कांग्रेस या आम आदमी पार्टी के साथ भी जाना पड़ा तो उसे कोई परहेज नहीं होगा । आपको बता दें कि इनेलो के पास इस समय सिर्फ एक विधायक है, ऐसे में खुद के बल पर इनेलो का 46 सीटें लेकर हरियाणा की सत्ता में वापसी का दावा फिलहाल न पूरा होने जैसे सपने जैसा दिखाई पड़ता है। वहीं आम आदमी पार्टी भी इस समय हरियाणा की सत्ता पाने के लिए काफी सक्रिय नजर आ रही है लेकिन 2024 के नतीजे उनकी उम्मीदों के मुताबिक रहेंगे ऐसा सोचना फिलहाल जल्दबाजी होगा। आपके ख्याल में हरियाणा में अगली सत्ता की चाबी किसके पास होगी, आप अपनी राय जरूर सांझा करें ।
आकर्षण उप्पल
पत्रकार एंव चुनावी विश्लेषक