
एक तरफ जहां दिल्ली सरकार दिल्ली के सभी सरकारी स्कूलों को विश्वस्तरीय सुविधाएं देने का दावा कर रही है, तो दूसरी तरफ लगातार दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग के दावों की पोल खुल रही है. वहीं शिक्षा निदेशक की 17 अगस्त को जारी की गई निरीक्षण रिपोर्ट इस दावे को कमजोर कर रही है. ताजा मामला भी इसी महीने का है जब चार दिन पहले 27 अगस्त को बाहरी दिल्ली के नांगलोई में सरकारी स्कूल की एक कक्षा में छत में लगा पंखा गिरने से एक छात्रा घायल हो गई. हादसे में जख्मी हुई पीड़ित छात्रा को नांगलोई के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उसका इलाज चल रहा है.
क्या हादसे का हो रहा था इंतजार?
इस गंभीर हादसे में घायल हुई छात्रा ने बताया कि स्कूल की छत में काफी नमी थी और वह लगातार टपक रही थी. उसने कहा, ‘ 27 अगस्त को कक्षा में लगा पंखा नीचे गिर गया. छत में नमी थी तथा वह टपक रही थी, जिससे छत में दरार आ गई और पंखा गिर गया. उस वक्त कक्षा में पढ़ाई चल रही थी.‘ ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इस स्कूल में इस टूटी छत को ठीक कराने के लिए क्या इस तरह के किसी हादसे का इंतजार हो रहा था.
स्कूल प्रशासन ने साधी चुप्पी
स्कूल अधिकारियों या सरकार ने इस घटना पर अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की है. हालांकि बच्ची के परिजनों में स्कूल प्रबंधन को लेकर काफी आक्रोश है उन्होंने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. इस बीच मानों दिल्ली सरकार और उसके शिक्षा विभाग के कर्ता-धर्ता सब इस मामले को लेकर चुप्पी साधे बैठे हैं.
‘दिल्ली सरकार के स्कूलों की हालत सही नहीं‘
आपको बता दें कि दिल्ली की सरकाक के मुखिया अरविंद केजरीवाल अपने शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया की शान में लगातार कसीदे पढ़ते रहते हैं. लेकिन ग्राउंड रिपोर्ट की बात करें तो हकीकत सरकारी दावों से काफी उलट लगती है. अभी कुछ दिन पहले दिल्ली के ही एक सरकारी स्कूल के गंदगी में चलने का खुलासा हुआ था.
17 अगस्त को हुआ था निरीक्षण
दिल्ली के शिक्षा विभाग के निदेशक हिमांशु गुप्ता की निरीक्षण रिपोर्ट में बताया गया कि दिल्ली के शिक्षा विभाग के निदेशक 17 अगस्त को दिल्ली के सादिक नगर स्थित सरकारी सर्वोदय बाल विद्यालय सुबह 9 बजे निरीक्षण करने एकाएक पहुंचे थे.
स्कूल में बच्चों की हाजिरी सिर्फ 63%
तब स्कूल के गेट के नजदीक ही कूड़े का ढेर पड़ा हुआ था. साथ ही स्कूल की बिल्डिंग भी साफ नही थी. इसके अलावा दिल्ली के शिक्षा निदेशक ने अपनी निरीक्षण रिपोर्ट में बताया कि स्कूल में 6वीं कक्षा से लेकर 12 वीं कक्षा में कुल 779 विद्यार्थी पढ़ते हैं लेकिन निरीक्षण के दौरान उन्होंने पाया कि 779 में से सिर्फ 491 विद्यार्थी ही स्कूल आये थे यानी उपस्थिति मात्र 63% ही थी. शिक्षा निदेशक ने 37% विद्यार्थियों के स्कूल में अनुपस्थित रहने को बेहद खराब करार दिया था.