
इंडिया ब्रेकिंग / करनाल रिपोर्टर (ब्यूरो) कोरोना के प्रकोप के चलते जहां पूरे देश में हर तरफ तरफ अफरा तफरी मची हुई है वहीं हरियाणा के करनाल में भी जिला प्रशासन इस महामारी को रोकने के लिए पूरी तरह से मुस्तैद है. ऐसे में अगर बात करें करनाल के उन अफसरों की जो इस महामारी के बीच हमारी सुरक्षा के लिए बाहर दिन रात घूमते है तो उनमे सबसे उपर युवा आईएएस अधिकारी व् करनाल जिले के उपायुक्त निशांत यादव का नाम आता है. अपने काम के प्रति निष्ठां व् ईमानदारी का सबसे बड़ा जो उदाहरण करनाल के उपायुक्त निशांत यादव ने पेश किये है उसे करनाल और हरियाणा की जनता लम्बे समय तक याद रखेगी.
अगर अधिकारिक सूत्रों की माने तो डीसी निशांत यादव जब से कोरोना का प्रकोप हरियाणा में शुरू हुआ है तभी से दिन रात इस केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित लाक डाउन को सफल बनाने में जुटे है. शुरुआत में आ रही हर समस्या को उन्होंने नजदीक से देखते हुए ऐसी व्यवस्था कर दी कि पूरे हरियाणा के जिला उपायुक्त ने उन्ही की बनाई व्यवस्था को अपने अपने जिले में लागू कर दिया. यानी हर जिले के उपायुक्त को डीसी निशांत यादव की व्यवस्था इतनी सुनियोजित लगी कि उन्हें भी इस संकट के समय में ऐसी ही व्यवस्था को लागू करना पड़ा जिसमे लाक डाउन के दौरान घर घर तक राशन पहुँचने की व्यवस्था, दूध से लेकर सब्जी की होम डिलीवरी तथा ई पास जैसी सुविधा देकर लाक डाउन के दौरान भी जनता को किसी किस्म की परेशानी नहीं आने दी. आइये आपको बताते है कि कैसे करते है करनाल के दीसे निशांत यादव पूरे दिन अपना काम और कैसी रहती है उनकी दिनचर्या ?
जब से कोरोना का संकट करनाल में भी पैर फैला रहा है तभी से डीसी निशांत कुमार यादव की दिनचर्या सुबह 5 बजे शुरू हो जाती है. चाहे वे रात में अपना काम 12 बजे खत्म करें या 1 बजे लेकिन उनका सुबह का 5 बज़े उठना तय होता है. उपायुक्त कैंप आफिस में बने हरे भरे पार्क में थोड़ा टहलने के बाद अखबार और मोबाइल से पूरे जिले का सारा अपडेट लेते है और फिर प्लान करते है कि दिन में उन्हें क्या क्या करना है ? इसी दौरान कई बार सम्बन्धित अधिकारीयों को अपने घर भी बुला लेते है और उनसे दिन भर की योजना के बारे में पूछते है, जहां जरूरी होता है उन्हें आदेश भी देते है. चाय नाश्ता लेने के बाद आफिस जाने से पहले कैंप कार्यालय का सारा काम निपटाते है और कई बार सीधे. सेक्टर 12 स्थित सचिवालय जाने से पहले फील्ड में चक्कर लगाते है तथा जांच करते है कि पूरे शहर की व्यवस्था कैसी चल रही है ? आपको बतादें कि इन सबके साथ-2 उन्हें दिन में और रात में जिले की सभी ज़रूरी रिपोर्ट मुख्यालय भेजनी होती है. सुबह से रात तक अधिकारीयों से फ़ोन पर बात करनी होती है ताकि व्यवस्था और स्थिति के बारे में वो खुद अपडेट रहे. उसके बाद जैसे जैसे फीडबैक व् शिकायते आती है वैसे वैसे फिर फील्ड में चेकिंग के लिए भी जाते है, लोगो से मिलते है, पुलिस अधिकारी व् प्रशासनिक अधिकारीयों से बात करते है. पूरी व्यवस्था बनी रहे इसके लिए शहर के लोगो से बैठकें भी करते है.
IBN24 न्यूज नेटवर्क से बात करते हुए डीसी निशांत यादव ने कहा कि मेरी करनाल की जनता से यही अपील है कि वो लॉकडाउन का पालन करते रहें और जो पालन नहीं कर रहे उन्हें भी इसकी पालना करने को कहें. बिना किसी जरूरी काम के घरों से बाहर ना निकलें नही तो आपकी एक गलती आपके परिवार और पूरे समाज के लिए खतरा बन सकती है. आपको बतादें कि डीसी निशांत कुमार यादव करनाल में एडीसी, आरटीए, आयुक्त नगर निगम जैसे पद पर भी कार्य कर चुके है तथा वर्तमान में भी उनके पास जिला उपायुक्त के साथ साथ नगर निगम आयुक्त का अतिरिक्त प्रभार है जिसे वह बखूबी निभा भी रहे है. डीसी निशांत कुमार यादव के योजनाबद्ध तरीके से काम करने की तारीफ पूरा करनाल जिला ही नहीं बल्कि कई वरिष्ठ आईएएस अधिकारी भी कर रहे है.
वहीं करनाल क्योंकि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का विधानसभा क्षेत्र भी है, ऐसे में उनकी जिम्मेवारी और जनता के प्रति समर्पण और भी अधिक बढ़ जाता है जिसे व् बखूबी निभा रहे है. कहा जाता है कि डीसी निशांत कुमार यादव आम जनता से भी प्रशासन के काम का फीडबैक लेते है तथा जो भी सुझाव उन्हें दिए जाते है व् उसे यदि कहीं भी फिट हो तो जरूर अमलीजामा पहनने की कोशिश करते है. डीसी निशांत कुमार यादव की दूरदर्शी सोच का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 6 अप्रेल 2020 को करनाल में एक ही दिन में 4 कोरोना के पॉजिटिव मामले आने के बाद उन्होंने तुरंत कई महत्वपूर्ण फैसले लिए जिससे हर अब करनाल में लाक डाउन को पूरे तरीके से लागू करवाने में सफलता हासिल हो रही है. इससे पहले कुछ छूट आम जनता व् समाजिक संस्थाओ को दी गई थी जिन्हें फिलहाल रोक दिया गया है.
IBN24 न्यूज नेटवर्क से बात करते हुए डीसी निशांत कुमार ने बताया की करनाल वासी प्रशासन के साथ अच्छा सहयोग कर रहे है और जनता इस बीमारी को लेकर काफी जागरूक भी हो चुकी है. डीसी निशांत कुमार ने बताया की रात को कभी 12 बजे तो कभी 1 बजे सोने का मौका मिलता है लगातार 17-18 घंटे काम करने के बाद अपने लिए तो समय निकल ही नही पाता और ना ही परिवार से बात करने का समय मिल पाता है.