लावारिस बच्चों के लिए सामुदायिक स्वास्थ्यों केन्द्रो में बनेंगे पालना घर !

इंडिया ब्रेकिंग/करनाल रिपोर्टर(ब्यूरो) उपायुक्त एवं जिला बाल संरक्षण समिति के अध्यक्ष निशांत कुमार यादव ने बुधवार देर सांय लघु सचिवालय के सभागार में समिति की बैठक में बोलते हुए कहा कि बच्चे देश की अमूल्य सम्पत्ति हैं, उनकी सुरक्षा और संरक्षण सुनिश्चित रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि पोक्सो एक्ट के तहत पंजीकृत केसों के पीडि़तों को बाल कल्याण समिति के सामने जो समस्याएं पेश आती हैं, उनका समाधान किया जाएगा। इस सम्बंध में पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर कहा जाएगा कि पीडि़त बच्चे को समिति में पेश करने के समय पुलिस की ओर से समय पर एफ.आई.आर हो और 24 घण्टे के अंदर-अंदर समूचित रिपोर्ट के साथ बच्चे को पेश किया जाए।

बैठक में प्रस्तुत एजेंडा को लेकर बाल कल्याण से जुड़ी अनेक गतिविधियों पर काफी देर तक मंथन रहा। उपस्थित सदस्यों के सुझाव पर निर्णय लिया गया कि जिला के सभी  सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रो में छोटे व लावारिस बच्चों के लिए पालना घर बनाए जाएंगे। ऐसे बच्चों को पालना घर में लाने के लिए, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रो में सूचना पट्ट लगाए जाएंगे। बैठक में सदस्यों ने सवाल उठाया कि जुवेनाईल जस्टिस एक्ट की अनुपालना में बाल कल्याण संस्थाओं में रह रहे बच्चों के उचित मैडिकल चैकअप व टैस्ट इत्यादि के लिए सामान्य अस्पताल में प्राथमिकता के आधार पर सुविधा होनी चाहिए। इस पर उपायुक्त ने कहा कि इस बारे आई.एम.ए. की जिला शाखा से बात कर निजी अस्पतालों में संरक्षण प्राप्त बच्चों के मैडिकल चैकअप के लिए सुविधाएं उपलब्ध करवाएंगे।

सदस्यों ने बताया कि संरक्षण प्राप्त छोटे बच्चों के स्कूलो में दाखिला करवाने में आधार कार्ड को लेकर कठिनाई पेश आती है, इसका समाधान किया जाए। इस पर उपायुक्त ने कहा कि ऐसे बच्चों के आधार कार्ड बनवाने के लिए किसी एक कॉमन सर्विस सेंटर को जिम्मेवारी देंगे, जो प्राथमिकता पर बच्चों के आधार कार्ड बनाएगी। बैठक में प्लेस ऑफ सेफ्टी के अधीक्षक कृष्ण कुमार की मांग पर उपायुक्त ने बताया कि मधुबन स्थित प्लेस ऑफ सेफ्टी भवन में हाई मास्ट लाईटें लगाई जाएंगी। भवन के पार्क में किशोरों के लिए जिम उपकरण भी लगाए जाएंगे। गौर हो कि प्लेस ऑफ सेफ्टी में सुविधाओं का जायजा लेने के लिए उपायुक्त निशांत कुमार यादव ने यहां का दौरा भी किया था।

बैठक में उपायुक्त ने सभी सदस्यों से कहा कि इस बात का ज्यादा से ज्यादा प्रचार हो कि यदि किसी व्यक्ति को कोई लावारिस बच्चा मिले, तो उसकी सूचना पुलिस को दी जाए। ऐसे बच्चे को किसी अंजान व्यक्ति के साथ कदापि ना भेजा जाए। पुलिस रिपोर्ट के बाद बाल कल्याण समिति उसकी उचित काउंसलिंग करे और स्थिति अनुसार उसे संरक्षण दिया जाए। बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष उमेश चानना की मांग पर उपायुक्त ने कहा कि उनके कार्यालय की डाक ले जाने में सहायता के लिए एक होम गार्ड की व्यवस्था की जाएगी। समिति की ओर से स्कूलों में बच्चों की काऊंसलिंग के वक्त जिला शिक्षा अधिकारी की ओर से ब्लाक रिसोर्स कोआरडीनेटर की डयुटी लगाई जाएगी।

 बैठक में जिला बाल संरक्षण अधिकारी रीना देवी ने उपायुक्त को समेकित बाल संरक्षण योजना का संक्षिप्त परिचय देकर बताया कि इस योजना के तहत 0 से 18 वर्ष तक के अनाथ, गुमशुद्घा, बेसहारा व जरूरतमंद बच्चों को संरक्षण प्रदान किया जाता है। योजना में दो तरह के बच्चों के लिए काम किया जाता है, जिसमें जरूरतमंद एवं संरक्षण वाले बच्चे तथा विधि का उल्लंघन  करने वाले बच्चे शामिल हैं। उन्होंने बताया कि जिला बाल संरक्षण सोसाईटी समेकित बाल संरक्षण योजना को सुचारू रूप से चलाती है। इसी प्रकार जिला बाल कल्याण समिति अनाथ, गुमशुद्घा, बेसहारा व जरूरतमंद बच्चों के हित में काम करती है। समिति में एक अध्यक्ष तथा चार सदस्य जिनमें एक महिला सदस्य को अनिवार्य रूप से शामिल किया गया है। उन्होंने बताया कि जरूरतमंद एवं संरक्षण वाले बच्चों को बाल कल्याण कमेटी के सामने पेश किया जाता है, ऐसे बच्चों को 24 घण्टे के अंदर-अंदर पेश करना अनिवार्य होता है।

बाल संरक्षण अधिकारी ने बताया कि जिले में किशोर न्याय बोर्ड कार्यरत है। कानून का उंल्लघन करने वाले बच्चों को 24 घण्टे के अंदर-अंदर किशोर न्याय बोर्ड के सामने पेश करना होता है। सम्बंधित केस का निपटारा 4 महीने के अंदर करना अनिवार्य है तथा केस के दौरान बच्चे को निरीक्षण गृह में रखा जाता है। उन्होंने बताया कि फोस्टर केयर स्कीम के तहत 0 से 18 साल तक के बच्चों को पढ़ाई तथा परवरिश के लिए 3 साल तक 2 हजार रूपये प्रतिमाह की आर्थिक मदद दी जाती है। यदि किसी बच्चें के माता-पिता की मृत्यु हो जाती है और कोई असम्बंधित परिवार जो बच्चे को पालने में इच्छुक व सक्षम हो, ऐसे परिवार को बाल कल्याण समिति फोस्टर केयर फैमिली घोषित करके इस स्कीम का लाभ देती है। इसी तरह की सपोंस्टरशिप स्कीम में ऐसे बच्चे जिसके माता-पिता दोनो में से किसी एक की मृत्यु हो चुी है, माता-पिता कोढ़ व एचआईवी से पीडि़त हो या जेल में हों अथवा माता तलाकशुद्घा हो, ऐसे प्रत्येक बच्चे को स्कीम के तहत प्रतिमाह 2 हजार रूपये पढ़ाई तथा परवरिश के लिए 3 साल तक दिए जाते हैं। गांव में रहने वाले बच्चे के परिवार की वार्षिक आय 24 हजार रूपये तथा शहर में रहने वाले बच्चे के परिवार की वार्षिक आय 30 हजार रूपये से अधिक नहीं होनी चाहिए।

बैठक में सीएमओ अश्विनी आहूजा, जिला शिक्षा अधिकारी रविन्द्र चौधरी, डीसीडब्ल्यूओ विश्वास मलिक, सीडब्ल्यूसी के अध्यक्ष उमेश चानना व गैर सरकारी सदस्यो के अतिरिक्त सीएमजीजीए अपूर्वा  शैल्के, श्रद्घानंद अनाथालय के प्रदान बलदेव राज आर्य, एमडीडी बाल भवन के संस्थापक सचिव पीआर नाथ तथा बाल संरक्षण अधिकारी सुमन देवी उपस्थित रही।

Advertisement