
कंपनियां प्रोडक्ट्स तो बेच देती हैं लेकिन बाद में अक्सर देखा गया है कि ग्राहक परेशान घूम रहे होते हैं लेकिन बता दें कि अब प्रोडक्ट्स बेचने के बाद कंपनियां अपनी जिम्मेदारी से पीछे नहीं हट सकेंगी.
सरकार अब इस मामले में सख्त रुख अपनाते हुए इसके लिए नया नियम लाने की योजना बना रही है, जिसके बाद बेचे गए प्रोडक्ट को भले ही कंपनी बनाना बंद कर दे लेकिन बेचे गए प्रोडक्ट की सर्विस कंपनी को देनी ही होगी.
आप लोगों की जानकारी के लिए बता दें कि सरकार ने होम एप्लांयसेज बनाने वाली 23 कंपनियों को इस मामले में एक पत्र लिखा है. सरकार के इस कदम को उठाने से ग्राहकों को प्रोडक्ट खरीदने के बाद होने वाली टेंशन से मुक्ति मिल जाएगी.
क्या है इस कदम को उठाने के पीछे का मकसद
सरकार ने ना केवल रिपेयरिंग पॉलिसी के बारे में पूछा बल्कि रिपेयरिंग में आने वाले खर्च के बारे में भी बताने को कहा है. सरकार का ये कदम उठाने के पीछे का मकसद यह है कि कंपनी से प्रोडक्ट खरीदने के बाद ग्राहकों को किसी भी तरह से परेशानी ना हो और हमेशा ग्राहकों को सर्विसिंग मिलती रहे.
ऐसा अक्सर देखा गया है कि कई कंपनियां प्रोडक्ट बेचने के बाद ग्राहकों को सर्विस देने में दिक्कत करती हैं, वहीं अगर कंपनी का जो प्रोडक्ट आपने खरीदा है अगर कंपनी ने उसका प्रोडक्शन ही बंद कर दिया तो फिर उस प्रोडक्ट की रिपेयरिंग के लिए पार्ट्स भी नहीं मिल पाते हैं.
बता दें कि इस परेशानी से आप और हम नहीं बल्कि कई ग्राहक हर रोज जूझ रहे हैं, लेकिन सरकार आम जनता को हो रही इस परेशानी का हल निकाल कर लाई है जिसके बाद कंपनियों की मनमानी नहीं चलेगी.
सरकार ने इन कंपनियों से किया है संपर्क
ग्राहकों के राइट टू रिपेयर अधिकार की रक्षा के लिए केंद्र सरकार ने होम एप्लांयसेज बनाने वाली कंपनियों को एक पत्र लिखा है. पत्र में सरकार ने इन कंपनियों से प्रोडक्ट रिपेयर पॉलिसी पर जवाब मांगा है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सरकार ने इस मामले में सैमसंग, एलजी, सोनी, हैवेल्स, ब्लूस्टार, पैनासोनिक और फिलिप्स समेत कई अन्य कंपनियों से संपर्क किया है.