स्कूल बैग का ज्यादा बोझ उठाने वाले बच्चे रहते है ज्यादा स्वस्थ

वाशिंगटन – स्कूल बस्ते का ज्यादा बोझ उठाने वाले बच्चे शारीरिक और मानसिक तौर पर ज्यादा तंदुरुस्त होते हैं। अमेरिकन जर्नल ऑफ हेल्थ एजुकेशन में प्रकाशित एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जो बच्चे भारी बैग उठाते हैं, उनकी पेट और पीठ की मांसपेशियां ज्यादा मजबूत होती हैं। इसके कारण वे ज्यादा सक्रिय और सेहतमंद होते हैं।

ह्यूस्टन स्थित राइस यूनिवर्सिटी द्वारा 12 से 17 साल के 6000 बच्चों की सेहत पर किए गए अध्ययन के मुताबिक भारी बस्ता उठाने वाले बच्चों का विकास अन्य बच्चों के मुकाबले बेहतर होता है। रीढ़ विशेषज्ञा की अमेरिकन शिरोप्रैक्टिस एसोसिएशन का कहना है कि बच्चों के स्कूल बैग का भार उनके वजन के हिसाब से 5 से 10 फीसदी ही होना चाहिए।

अध्ययनकर्ताओं ने 132 स्टूडेंट्स के दो अलग-अलग ग्रुप बनाए

अध्ययन में पब्लिक स्कूल के छात्रों ने कर्ल-अप मैट्रिक का प्रदर्शन किया, जो पेट की ताकत और उसकी क्षमता को मापता है। अध्ययनकर्ताओं ने 132 स्टूडेंट्स के दो अलग-अलग ग्रुप बनाए। एक ग्रुप ने अपने वजन के मुताबिक निर्धारित मापदंड यानी 10 फीसदी तक वजन उठाया, जबकि दूसरे ग्रुप ने 25 फीसदी तक। यह प्रक्रिया करीब दो महीने तक चली। ज्यादा वजन उठाने वाले स्टूडेंट्स कम वजन उठाने वाले स्टूडेंट्स की तुलना में ज्यादा तंदुरुस्त निकले।

आंतरिक परीक्षा के परिणाम में भी इस ग्रुप ने बेहतर प्रदर्शन किया और उन्होंने सेहत को लेकर कोई शिकायत भी दर्ज नहीं कराई। जबकि कम वजन उठाने वाले स्टूडेंट्स के ग्रुप में ज्यादातर छात्रों ने मांसपेशियों में खिंचाव की शिकायत दर्ज कराई। मुख्य अध्ययनकर्ता लॉरा काबिरी ने कहा-‘हम इस अध्ययन के जरिए बच्चों के बस्ते का बोझ बढ़ाने की सिफारिश नहीं कर रहे, बल्कि यह बताना चाहते हैं कि ज्यादा बोझ भी बच्चों को तंदुरुस्त रख सकता है। इससे कोई नुकसान नहीं होता।’

देश में भी अंतरराष्ट्रीय मापदंड लागू, अमल का फैसला राज्यों पर छोड़ा

भारत में भी सभी स्कूलों में अंतरराष्ट्रीय मापदंड लागू हैं। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने स्कूल बैग का बोझ हल्का करने की गाइडलाइन सभी राज्यों को भेजी है। हालांकि, इसके अमल पर फैसला राज्यों पर छोड़ दिया गया है। मद्रास हाईकोर्ट ने पिछले साल सीबीएसई-एनसीईआरटी को स्कूली बैग का बोझ कम करने का आदेश दिया था।

 

Advertisement