गणतंत्र दिवस पर मुख्यमंत्री ने इस गाँव को दी लाल डोरा से आजादी

करनाल : हरियाणा के करनाल का सिरसी गांव गणतंत्र दिवस के दिन देश का पहला लाल डोरा मुक्त गांव बन गया. मुख्यमंत्री मनोहर लाल और उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने ग्रामीणों को प्रापर्टी की टाइटल डीड (मालिकाना हक) वितरित किया. इसके लिए गाँव के सभी लोगों ने सरकार का आभार व्यक्त किया.

गांव की मैपिंग के बाद इसकी नोटिफीकेशन कर दी गई थी। जिसमें 357 लोगों की टाइटल डीड के लिए आईडी तैयार की गई थी। गौरतलब है कि लाल डोरा से मुक्त होने के बाद सिरसी गांव के लोगों को उनकी प्रापर्टी व प्लाटों का मालिकाना हक मिल गया, जिस पर वे स्तिथ हैं। इस सुविधा से प्रापर्टी मालिक अपनी प्रापर्टी को खरीद व बेच सकते हैं, जिसमें उन्हें किसी तरह की रूकावट नहीं होगी. ग्रामीण अब जमीन पर बैंकों के जरिये कर्ज भी ले सकेंगे. इसके साथ राजस्व रिकार्ड में इंतकाल चढ़ेगा.

निसिंग तहसील के गांव सिरसी की आबादी पिछली जनगणना के आधार पर 1129 है। यहां 224 घर बने हैं। इनमें करीब 45.7 प्रतिशत महिलाएं और 66.9 पुरुष हैं। साक्षरता दर 26.2 प्रतिशत है। आरक्षित वर्ग में अनुसूचित जाति के करीब 15.8 प्रतिशत लोग रहते हैं, तो अनुसूचित जनजाति का कोई व्यक्ति नहीं है। 26.7 प्रतिशत लोग कामकाजी हैं। देखने में किसी भी आम गांव की तरह नजर आने वाले सिरसी को अब लाल डोरा सीमा विवाद से हमेशा के लिए छुट मिल गई. रविवार को मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने ग्रामीणों को उनकी प्रापर्टी की टाइटल डीड यानी मालिकाना हक की सौगात प्रदान की.

आजादी के बाद इस विवाद की रखी गई आधारशिला

दरअसल, आजादी के फौरन बाद से ही इस विवाद की आधारशिला रख दी गई। तब विभाजन के समय संयुक्त पंजाब के लोगों को जहां जगह मिली, वहीं उन्होंने कब्जे कर रहना शुरू कर दिया। 1 नवंबर, 1966 को जब प्रदेश अस्तित्व में आया, तब प्रदेश की अलग से मुरब्बाबंदी की गई और लोगों ने ग्रामीण क्षेत्रों में आवास बनाने शुरू कर दिए। इन्हें लाल डोरा की संज्ञा दी गई। लाल डोरा सीमा में रहने वालों का कब्जा तो पीढ़ी-दर-पीढ़ी से है लेकिन वे मालिकाना हक से वंचित रहे। सिरसी की लाल डोरा मुक्ति के साथ पूरे हरियाणा में इन गांवों के रहने वालों की जिंदगी में एक नए युग की शुरुआत होने जा रही है

कैसे मिली मुक्ति

सिरसी के पायलट प्रोजेक्ट में प्रदेश सरकार ने सर्वे ऑफ इंडिया से एक एमओयू किया था, जिसके तहत गांव का ड्रोन से सर्वे कराकर बाकायदा नक्शा तैयार किया गया। सर्वे से यह चिह्नित हुआ कि गांव में कहां निर्माण है और उनका मालिक कौन है? विकास एवं पंचायत विभाग ने मैपिग की नोटिफिकेशन की। अब गांव के करीब 357 परिवारों को टाइटल डीड मिल गई है।

क्या होगा फायदा

यह प्रोजेक्ट लागू होने के बाद लाल डोरा सीमा के भीतर जमीन की रजिस्ट्री हो सकती है। पुश्तैनी जमीन अथवा उस पर बने ढांचों की खरीद-बेच कर सकेंगे। जमीन पर बैंकों के माध्यम से कर्ज लिए जा सकेंगे। राजस्व रिकॉर्ड में इंतकाल चढ़ेगा और कब्जाकार को मालिकाना हक मिलेगा। घरों को नंबर अलॉट होंगे। सिरसी के बाद सरकार ने प्रदेश के 15 जिलों के 75 गांवों में योजना विस्तार करते हुए मैपिंग के आदेश दिए हैं। करनाल, सोनीपत, जींद आदि जिलों के गांव योजना में शामिल किए जाएंगे.

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