
खाने के तेलों की कीमत को लेकर केंद्र सरकार की ओर से बड़ा फैसला लिया गया है। सेंट्रल बोर्ड ऑफ इन-डायरेक्ट टैक्स एंड कस्टम (CBIC) ने खाने वाले तेल की कीमतों को बढ़ने से रोकने के लिए एक साल से लगे खाने के तेल के स्टॉक लिमिट को हटाने का फैसला किया है। अब इस फैसले के बाद चेन और थोक विक्रेता अपनी जरूरत और मर्जी के अनुसार खाने के तेल और तिलहन का भंडारण कर पायेंगे।
सरकार के द्वारा यह फैसला अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल और तिलहन (Edible Oil Stock Limit) के गिरते दामों को देखते हुए लिया है। सरकार के इस फैसले से किसानों, दुकानदार और ग्राहकों सभी को फायदा मिलेगा। खाद्य मंत्रालय के बयान का हवाला देते हुए पीटीआई की ओर से कहा गया है कि खाने वाले तेल के आयात पर रियायती सीमा शुल्क को और 6 महीने के लिए बढ़ा दिया गया है। अब नई सीमा अगले साल मार्च में तय होगी।
पिछले साल अक्टूबर महीने में केंद्र सरकार के द्वारा तेल और तिलहन की बढ़ती कीमतों को कंट्रोल में रखने के लिए इसके भंडारण की सीमा तय कर दी थी। इसके बाद से बड़े रिटेलर्स से लेकर थोक विक्रेता तय मात्रा से ज्यादा खाने का तेल और तिलहन को स्टोर करके नहीं रख सकते थें। केंद्र सरकार ने यह कदम खाने के तेल के बढ़ती कीमतों को कंट्रोल करने के लिए किया था। लोकिन अब सरकार के नये आदेश के बाद से विक्रेता कितना तेल और तिलहन का भंडारण कर पाएंगे इसकी सीमा तय करने का अधिकार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पास चला गया है।