
इन दिनों नामी इंजीनियरिंग संस्थान में दाखिले के नाम पर ठगी का ऑनलाइन खेल चल रहा है, देखिए कहीं आप भी शिकार न बन जाएं। कर्नाटक के नामी संस्थान की फर्जी वेबसाइट तैयार करके ठग लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। हरियाणा व चंडीगढ़ के अभिभावक इस झांसे में आकर हजारों रुपये गंवा भी चुके हैं।
इतना ही नहीं अफसर रैंक के लोग भी अपने बच्चों को इन नामी इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला करवाने के चक्कर में ठगे जा चुके हैं। शिकार हो चुके कुछ आला अफसरों द्वारा मामला केंद्रीय खुफिया एजेंसी के संज्ञान में भी लाया जा चुका है और ठगी के इस खेल का पर्दाफाश करने के प्रयास भी किए जा रहे हैं।
नामी संस्थान ने दाखिले के लिए मांगे हैं आवेदन
ठगों ने लोगों को अपने झांसे में लेने के लिए बहुत ही स्मार्ट तरीका ढूंढा है। कर्नाटक के नामी इंजीनियरिंग संस्थान की फर्जी वेबसाइट तैयार की गई। इस संस्थान ने येजीईटी-2020 फॉर इंजीनियरिंग कोर्स में दाखिले के लिए तारीखों की घोषणा कर रखी है। देश में बहुत से छात्र इस संस्थान में दाखिले के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाते हैं।
दाखिले के लिए संस्थान की वेबसाइट पर यूजीईटी-2020 आवेदन फॉर्म निकाले जा चुके हैं। 17 अप्रैल तक ये उपलब्ध रहेंगे और संस्थान की वेबसाइट पर ही इसे ऑनलाइन भरा जाना है। उसके बाद 10 मई को दाखिले के लिए एंट्रेस टेस्ट होना है। मगर ठगों ने संबंधित संस्थान की फर्जी वेबसाइट तैयार करके लोगों को इसका शिकार बनाने शुरू कर दिया है।
एक अफसर ऐसे हुआ ठगी का शिकार
ठगी के शिकार एक आला अफसर ने बताया कि वे अपने बेटे का दाखिला संबंधित संस्थान में करवाना चाहते है। इसके लिए उन्होंने जब वेबसाइट ओपन करके ऑनलाइन फॉर्म भरने का प्रोसेस शुरू किया तो उनसे सबसे पहले यूजर आईडी व पासवर्ड क्रिएट करने की एवज में 2950 रुपये फीस मांगी गई।
वेबसाइट पर मौजूद फोन नंबरों पर जब उन्होंने संपर्क किया तो उन्होंने भी साफ कहा कि यदि वे फीस नहीं भरेंगे, तो यूजर आईडी व पासवर्ड नहीं मिलेगा। इसके बिना वे इस साइट पर एप्लीकेशन फॉर्म नहीं भर पाएंगे। अंतत: उन्होंने दिए गए अकाउंट में ऑनलाइन ही फीस ट्रांसफर कर दी। उसके बाद उन्हें इंतजार करने की सलाह दी गई।
उसके बाद वेबसाइट पर ही आवेदक व अभिभावकों की फोटो व हस्ताक्षर मांगे गए। फिर अचानक वेबसाइट नो रिस्पांस मोड में चली गई। जिस मोबाइल नंबर पर बातचीत हो रही थी, वहां से भी अब कोई जवाब नहीं आ रहा है। नके जैसे बहुत से लोग हैं, जिन्होंने उनकी तरह फीस भरी है। लेकिन अब न तो वेबसाइट चल रही है और न ही मोबाइल।