
चंडीगढ़ : Delhi Assembly Elections हरियाणा में अपने सहयोगी दल जननायक जनता पार्टी (JJP) को भाजपा ने दिल्ली में तगड़ा झटका दिया है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में जजपी के साथ गठबंधन की अटकलों के बीच भाजपा ने अधिकतर उन सभी सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर दिए, जिन पर दुष्यंत चौटाला दावेदारी जता रहे थे। भाजपा ने दिल्ली में 57 उम्मीदवारों की सूची जारी की है। इस सूची में 12 वह सीटे भी शामिल है, जिनकी मांग जजपी द्वारा की जा रही थी। अब दुष्यंत चौटाला के कदम पर लोगों की निगाहें लगी हैं।
दुष्यंत चौटाला की पसंद की 12 विधानसभा सीटों पर भाजपा ने घोषित किए अपने उम्मीदवार :-
भाजपा द्वारा जजपी की पसंद वाली विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर दिए जाने के बाद अब दोनों दलों के बीच गठजोड़ पर संशय बन गया है। भाजपा की सूची घोषित होने के काफी देर बाद तक भी जजपी ने यह दावा नहीं किया कि उसकी दावेदारी वाली सीटों पर चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार जजपी की पृष्ठभूमि वाले है। इसका मतलब साफ है कि भाजपा ने दुष्यंत चौटाला की पसंद की सीटों पर अपने खुद के उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे है।
अब भाजपा व जजपा के बीच दिल्ली में गठबंधन पर संशय, भाजपा के जाट नेताओं के विरोध का हुआ असर :-
भाजपा की सूची जारी होने के बाद शुक्रवार देर शाम तक कयास लगाए जाते रहे कि दोनों दलों के बीच किसी भी समय गठबंधन का एलान हो सकता है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हरियाणा में भाजपा व जजपी सरकार में साझीदार है। दोनों दल काफी दिनों से दिल्ली में मिलकर चुनाव लडऩे का संकेत दे रहे थे। हाल ही में दुष्यंत चौटाला की इस मुद्दे पर भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात भी हुई थी, लेकिन भाजपा के प्रत्याशियों की सूची जजपी के टिकट के दावेदारों के लिए निराश कर देने वाली साबित हुई।
भाजपा ने जजपी की दावेदारी जिन सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित किए है, उनमें रिठाला, बवाना, मुंडका, द्वारका, मटियाला, छतरपुर, नजफगढ़, बिजवासन, देवली, बदरपुर, पालम और नरेला विधानसभा सीटें शामिल है। सिर्फ नांगलोई, महरौली और संगम विहार यह तीन विधानसभा सीटें ऐसी बची है, जो दुष्यंत चौटाला की पसंदीदा सीटों में शामिल रही। गठबंधन की स्थिति में इन तीनों सीटों पर दोनों दलों के बीच क्या सहमति बनती है? इस पर राजनीतिक दलों की निगाह रहेगी।
अलग-अलग राज्यों में अलग रणनीति से चलती रही है भाजपा :-
हरियाणा में भाजपा ने भले ही जजपी से समर्थन ले रखा है, लेकिन भाजपा ने दिल्ली में जजपी के सामने हथियार नहीं डाले है। भाजपा की रणनीति रही है कि वह अपने सहयोगी दलों के साथ दिल्ली में गठबंधन नहीं करती। पंजाब में भाजपा तत्कालीन शिरोमणि अकाली दल (बादल) की साझीदार रही है, लेकिन दिल्ली में उसने जब भी अकाली दल के उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे तो अपने चुनाव चिन्ह पर ही टिकट दिए। यही स्थिति अब हरियाणा को लेकर दिल्ली में बनी है। सूत्रों के अनुसार दुष्यंत ने भाजपा की उस पेशकश को ठुकरा दिया था, जिसमें भाजपा ने कहा था कि जजपी अपनी पसंद के चार उम्मीदवारों को भाजपा के चुनाव चिन्ह पर मैदान में उतार दे।
भाजपा के जाट नेताओं ने किया दिल्ली में दुष्यंत का विरोध :-
दिल्ली के रण में जजपी के साथ गठबंधन करने तथा उसे मजबूत सीटें देने का हरियाणा भाजपा के कई जाट नेता प्रबल विरोध कर रहे थे। दिल्ली भाजपा के पदाधिकारी भी इस गठबंधन के पक्ष में नहीं थे। भाजपा ने जजपी की पसंद वाली 12 सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर दुष्यंत चौटाला के सामने दुविधा की स्थिति पैदा कर दी है।
अब दुष्यंत के सामने अकेले चुनाव लडऩे अथवा भाजपा के सामने समर्पण कर देने के अलावा दूसरा कोई चारा नहीं बचा है। दिल्ली की नजफगढ़ विधानसभा सीट ऐसी है, जिस पर इनेलो के टिकट पर भरत सिंह विधायक बन चुके है। ऐसे में इस सीट पर जजपी की सबसे मजबूत दावेदारी थी।