
चंडीगढ : सी.आई.डी. की तरह अब शहरी स्थानीय निकाय महकमे में भी विवाद खड़ा हो गया है। गत दिनों मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की बैठक में मेयरों और निगम आयुक्तों को दी गई शक्तियों से निकाय मंत्री अनिल विज अनभिज्ञ हैं। विज ने कहा कि उन्हें किसी भी तरह के फैसले की जानकारी नहीं है। उन्हें समाचार पत्रों में छपी खबरों से कुछ मालूम हुआ है लेकिन वह इस संबंध में कुछ नहीं कह सकते हैं।
विज ने कहा कि मुख्यमंत्री सर्वेसर्वा होते हैं और वह किसी भी विभाग की बैठक बिना मंत्री को बताए सीधे कर सकते हैं। हालांकि इस बैठक में अनिल विज को बुलाया गया था लेकिन विज बैठक में नहीं पहुंचे थे। दरअसल, शहरी स्थानीय निकाय महकमा मिलने के बाद अनिल विज ने विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए सी.एल.यू. सहित तमाम कार्यों को ऑनलाइन करने के आदेश दिए थे। इसके अलावा सभी नगर निगमों व नगरपालिकाओं में खर्च हुए पैसों की कैग से ऑडिट करने को कहा गया है।
विज के इस आदेश के बाद महकमे के अफसरों में हड़कंप मच गया। वहीं विभाग में कर्मचारियों और अधिकारियों पर अंकुश लगाने के लिए विज की ओर से मूवमैंट रजिस्टर भरने और बायोमीट्रिक हाजिरी लगाने के आदेश दिए गए थे। इसके अलावा कच्चे कर्मियों का वेतन सीधे उनके खाते में भेजने को भी कहा गया है। विज के आदेशों के तहत शहरी निकाय विभाग ने सी.एल.यू. के लिए ऑनलाइन पोर्टल तैयार किया, जिसको मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की ओर से मेयरों की बैठक में लांच किया गया।