हरियाणा में क्लास-1 में दाखिले की उम्र तय, अब इतनी उम्र के बच्चों को ही मिलेगा दाखिला

चंडीगढ़. केंद्रीय विद्यालय संगठन के बाद अब शिक्षा विभाग हरियाणा ने नई शिक्षा नीति के अनुसार सरकारी व प्राइवेट स्कूलों में क्लास-एक में दाखिले की प्रवेश आयु निश्चित कर दी है. शिक्षा विभाग ने सभी सरकारी और प्राइवेट स्कूल प्रबंधकों को निर्देश दिया है कि एक अप्रैल 2023 से शुरू हो रहे शिक्षा सत्र 2023- 24 में इन नियमों का पालन करें.

शिक्षा विभाग के इस सर्कुलर के हिसाब से 1 अप्रैल 2023 से शुरू हो रहे शिक्षा सत्र 2023-24 में क्लास-वन में दाखिले की प्रवेश आयु 5 साल 6 महीने होनी चाहिए. वहीं प्री प्राथमिक क्लास यानि एलकेजी और केजी में उम्र साढ़े तीन साल और साढ़े चार साल होनी चाहिए.

पहली कक्षा से पहले चल रही हैं कई कक्षाएं

वहीं इस नए आदेश पर हरियाणा अभिभावक एकता मंच के प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा ने कहा कि स्‍कूलों में दाखिले के लिए आयु के ऐसे नियम पहले से ही बने हुए हैं लेकिन स्कूल प्रबंधक उसका पालन नहीं करते हैं. हरियाणा शिक्षा नियमावली का नियम यह है कि क्लास वन से पहले सिर्फ दो ही प्री प्राथमिक क्लास, चाहे उनके नाम कोई भी हों होनी चाहिए लेकिन स्कूल प्रबंधकों ने कमाई के चक्कर में प्री नर्सरी, नर्सरी, एलकेजी यूकेजी नाम से 3-4 क्लास बना रखी हैं और इनके लिए अपनी मर्जी से दाखिला पॉलिसी व प्रवेश आयु रखी हुई है.

स्‍कूल प्रबंधक नहीं करते पालन

मंच का कहना है कि सबसे बड़ी बात यह है कि सरकारी स्कूलों में प्री प्राइमरी क्लासेज होती नहीं है इसलिए उनमें तो इस सर्कुलर के हिसाब से क्लास वन में प्रवेश आयु का पालन हो जाएगा लेकिन प्राइवेट स्कूल प्रबंधक किसी भी हालात में हरियाणा सरकार द्वारा तय की गई प्रवेश आयु का पालन नहीं करेंगे क्योंकि वहां पर क्लास वन में बहुत ही कम दाखिल होते हैं. ज्यादातर दाखिले प्री प्राथमिक क्लासों में किए जाते हैं और उनके लिए स्कूल प्रबंधकों ने अपनी मर्जी से नियम बना रखे हैं.

इन स्‍कूलों पर लगे रोक

मंच के विधि सलाहकार एडवोकेट बीएस विरदी ने शिक्षा मंत्री, शिक्षा सचिव से मांग की है कि नियमों के विपरीत जिन प्राइवेट स्कूलों ने क्लास वन से पहले तीन चार प्री प्राथमिक क्लासें बना रखी हैं उस पर पूरी तरह से रोक लगाई जाए और आगामी शिक्षा सत्र में प्री प्राथमिक दोनों क्लासों व क्लास वन में इस सर्कुलर के हिसाब से तय की गई प्रवेश आयु का स्कूल संचालकों से पालन कराया जाए.

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