आख़िर कौन हैं, मौलाना मुहम्मद साद कांधलावी ?

दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित तब्लीगी जमात के मरकज यानी इस्लामिक धार्मिक आयोजन केंद्र में कोरोना वायरस संक्रमण का सबसे बड़ा मामला सामने आने के बाद देश की राजधानी सहित पूरे देश में हड़कंप मचा हुआ है। सोमवार को यहां मौजूद 253 संदिग्ध मरीज तीन अस्पतालों में भर्ती करवाए गए थे। वहीं, 1,500 अन्य लोग मरकज में ही क्वारंटीन किए गए हैं। मरकज में कोरोना वायरस के संक्रमण की खबर मिलने के बाद मौलाना साद पर सामाजिक जिम्मेदारी को लेकर सवाल उठने लगे हैं। खबर है कि दिल्ली पुलिस ने महामारी अधिनियम 1897 और आईपीसी की दूसरी धाराओं के तहत मौलाना साद समेत छह लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है।

कौन हैं मौलाना साद?मौलाना साद का पूरा नाम मौलाना मुहम्मद साद कांधलावी है। मौलाना साद तब्लीगी जमात के संस्थापक मुहम्मद इलियास कांधलावी के पड़पोते हैं। बता दें कि तब्लीगी जमात भारतीय उपमहाद्वीप में सुन्नी मुसलमानों का सबसे बड़ा संगठन है। मौलाना साद के परदादा मौलाना इलियास कांधलावी ने 1927 में तब्लीगी जमात का गठन किया था। मौलाना इलियास उत्तर प्रदेश के शामली जिले के कांधला के रहने वाले थे और इसी वजह से वे अपने नाम के साथ कांधलावी लगाते थे।

मौलाना साद, मौलाना इलियास के चौथी पीढ़ी से आते हैं। मौलाना साद का जन्म 1965 को दिल्ली में हुआ था। मौलाना साद की शुरुआती पढ़ाई मदरसा काशिफुल उलूम, हजरत निजामुद्दीन में हुई और इसके बाद उन्होंने सहारनपुर से आलमियत की डिग्री हासिल की। 1995 में तब्लीगी जमात के सर्वेसर्वा मौलाना इनामुल हसन के निधन के बाद मौलाना साद ने खुद को संगठन का अमीर यानी सर्वेसर्वा घोषित किया और मरकज की जिम्मेदारी संभाली।

तब्लीगी जमात को लेकर हो चुके हैं विवादतब्लीगी जमात में साल 2017 के करीब बड़ा विवाद हुआ था जिसके बाद जमात को दो दल में बांट दिया गया था। पुरानी तब्लीगी जमात के मुखिया के रूप में मौलाना साद को खुद को घोषित किया, वहीं दूसरी जमात 10 लोगों के साथ सूरा कमेटी बन गई है जो कि दिल्ली के तुर्कमान गेट पर मस्जिद फैज-ए-इलाही से अपनी अलग तब्लीगी जमात चलाती है। मस्जिद फैज-ए-इलाही नाम की जमात में मौलाना इब्राहीम, मौलाना अहमद लाड और मौलाना जुहैर जैसे इस्लामिक स्कॉलर जुड़े हैं। कोरोना के संक्रमण को लेकर मस्जिद फैज-ए-इलाही ने एक मार्च को ही तब्लीगी जमात के आयोजन को रद्द कर दिया था।

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